पीएचडी के नए ऑर्डिनेंस के तहत गाइड की मनमानी पर लगेगी रोक

गाइड सेलेक्ट करने का काम करेगी यूनिवर्सिटी की कमेटी

BAREILLY: अपने रिश्तेदारों पर मेहरबान रहने वाले गुरुजी की मनमानी अब पीएचडी में नहीं चल पाएगी। पीएचडी के नए ऑर्डिनेंस में गुरुओं की इस मनमानी पर सख्ती से पाबंदी लगाई गई है। ऑर्डिनेंस में यह साफ दिया गया है कि कोई भी गाइड अपने रिश्तेदारों को रिसर्च में सुपरवाइज नहीं कर सकता। यहां तक कि गाइड सेलेक्ट करने का काम कैंडीडेट नहीं करेगा। यूनिवर्सिटी की कमेटी ही डिसाइड करेगी किस स्टूडेंट को कौन सा गाइड देना है। ऑर्डिनेंस में यह भी दिया गया है कि गाइड अपने इंट्रेस्ट के अनुसार कैंडीडेट नहीं सेलेक्ट कर सकता।

UGC ने लगाई थी लगाम

पीएचडी के गिरते लेवल को लेकर चौतरफा आलोचना होने लगी थी। खासकर लिट्रेरी फील्ड के रिसर्च वर्क की। अपनों को ही पीएचडी कराना, कॉपी पेस्ट के रिसर्च वर्क का चलन काफी बढ़ गया था। इसके बाद यूजीसी ने 2009 में नया रेगूलेशन जारी कर गुरुओं की मनमानी पर लगाम लगाने की कवायद शुरू की। आरयू के नए पीएचडी ऑर्डिनेंस में रेगूलेशन 2009 के रूल्स को ही इंक्लूड किया गया है, जिसके तहत गाइड नियुक्त करने के सख्त रूल्स दिए गए हैं। इसमें गुरु चेले के गठजोड़ पर लगाम लगाई गई है।

RDC appoint करेगी guide

आरयू के ऑर्डिनेंस के 8.03 बिंदु पर साफ दिया गया है कि गाइड को सेलेक्ट करने की प्रक्रिया किसी कैंडीडेट या फिर किसी टीचर को नहीं सौंपी जाएगी। सुपरवाइजर नियुक्त करने की प्रक्रिया र्डिपार्टमेंट के रूल्स के तहत की जाएगी। इससे पहले बिंदू 7.06 में यह साफ तौर पर निर्देशित है कि रिसर्च डेवलपमेंट कमेटी (आरडीसी) सिनॉप्सिस अप्रूव कर कैंडीडेट के लिए सही गाइड का चुनाव करेगी, जिसे फरदर डीन के थ्रू फैकल्टी बोर्ड से अप्रूव कराया जाएगा। बिंदू 8.04 ए में निर्देशित है कि यूनिवर्सिटी का वीसी डीन के कंसल्टेशन के आधार पर गाइड के लिस्ट को फाइनलाइज करेगा। वहीं इसी बिंदू के बी में दिया गया है कि कोई भी गाइड अपने रिश्तेदार को रिसर्च वर्क में सुपरवाइज नहीं कर सकता। चाहे गाइड और कैंडीडेट का ब्लड रिलेशन हो या फिर मैरिज रिलेशन।

खुद ही ढूंढ लेते थे guide

अब तक जितनी भी पीएचडी होती आईं हैं, उसमें कैंडीडेट और गुरुजी जमकर मनमानी करते आ रहे थे। कैंडीडेट रजिस्ट्रेशन से पहले ही तय कर लेता था कि रिसर्च के लिए उसका गाइड कौन होगा। गाइड की सेटिंग के चलते कैंडीडेट का आसानी से रजिस्ट्रेशन भी हो जाता था। यही नहीं टीचर हमेशा अपने चहेते रिश्तेदारों के गाइड बन जाया करते थे। नए ऑर्डिनेंस से इस सभी गोलमाल पर रोक लग सकेगी।

Degree के साथ मिलेगा certificate

यूनिवर्सिटी को कैंडीडेट्स को पीएचडी की डिग्री अवॉर्ड करते समय एक प्रोविजनल सर्टिफिकेट भी देना होगा। जो यह प्रमाणित करेगा कि पीएचडी यूजीसी रेगुलेशंस ख्009 के तहत कराई गई है। अब तक आरयू से जितनी भी पीएचडी हुई हैं, उनके कैंडीडेट को यूनिवर्सिटी ने यह सर्टिफिकेट नहीं दिया है। दरअसल ख्009 से जितनी भी पीएचडी अवॉर्ड हुई हैं, उन कैंडीडेट्स को यह प्रोविजनल सर्टिफिकेट देना अनिवार्य है। लेकिन आरयू यह प्रूव करने में अक्षम साबित हुआ है कि उसके द्वारा कराई गई पीएचडी नियमों का पालन करती है। आरयू के प्रो। वीपी सिंह ने बताया कि पीएचडी की प्रक्रिया शुरू करने को लेकर सभी डींस को निर्देश जारी कर दिया गया है। प्रक्रिया ऑर्डिनेंस में दिए गए नियमों के तहत ही फॉलो की जाएगी।