खुद जांचें दूध का दम
दूध के नाम पर आप कितना पानी पी रहे हैं, इसे आप घर बैठे जांच सकते हैं। बस जरूरत है एक लैक्टोमीटर की। दूध की डिलीवरी लेते समय आप खुद इसकी मदद से जांच सकते हैं कि दूध में पानी की मात्रा कितनी है। इसके अलावा एक घरेलू नुस्खा भी अपना सकते हैं। दूध की एक बूंद अपने हाथ के नाखून पर टपकाकर देखें, अगर दूध नाखून पर ठहर जाए तो दूध में पानी कम है। अगर दूध की बूंद न ठहरे तो पानी की मात्रा दूध में ज्यादा है।

एक लाख दस हजार लीटर की डिमांड डेली
बरेली सिटी में दूध की खपत हर दिन 90,000 लीटर की है। इसमें 50,000 लीटर की सप्लाई सिटी की 403 डेयरियां करती हैं। जबकि 30,000 लीटर दूध के लिए प्राइवेट दूध कंपनियों पर डिपेंडेंसी है। फेस्टिव सीजन की वजह से इन दिनों मार्केट में दूध की जबरदस्त डिमांड है। सिटी की चार बड़े दूध मार्केट के सोर्सेज के मुताबिक, 20,000 लीटर हर दिन एक्स्ट्रा डिमांड है।


60 परसेंट पानी, 40 परसेंट दूध
फेस्टिव सीजन में डिमांड और सप्लाई के बीच बढ़े डिफरेंस को दूधिए पानी से पूरा कर रहे हैं। दूध के नाम पर कितना पानी आपके चाय के प्याले का रंग फीका कर रहा है। ये समझना मुश्किल नहीं है। एक दूधिए ने नाम न छापने की कंडीशन पर बताया कि सिटी की चार बड़ी दूध मंडियां चौधरी तालाब, धर्मकांटा, चौपुला और श्यामगंज में पहुंचने वाले दूध की क्वालिटी में 60 परसेंट की गिरावट है। असल में दूधारु पशुओं से दूध तो उतना ही आ रहा है,ऐसे में बढ़ी डिमांड को पूरा करने के लिए दूधिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।


50,375 लीटर डेयरियों से
सिटी में एक सर्वे के मुताबिक, हर डेयरी में लगभग 25 गाय और भैंसें हंै। एक दुधारु जानवर से रोजाना औसतन 5 लीटर दूध आता है। ये औसत इसलिए 5 लीटर माना गया है क्योंकि इसमें से कई से ज्यादा तो कई पशु बीमारियों के कारण कम दूध दे रहे हैं। इस औसत के हिसाब से कुल दूध के प्रोडक्शन को कैलकुलेट करें तो सिटी में 403 डेयरियों से 50,375 लीटर सप्लाई हर रोज हो रही है।  


Rate में भारी difference
सोर्सेज के मुताबिक, दूध में पानी की मिलावट का सौदा खासे फायदे का है। असल में एक लीटर दूध की कीमत दूधिए ओपन मार्केट में तय करते हैं। इस वक्त मार्केट में दूध की मिनिमम कीमत 18 से 20 रुपए प्रति लीटर है। मैक्सिमम रेट में प्योरिटी के नाम पर दूध 40 रुपए तक में एक लीटर मुहैया होता है। वहीं प्राइवेट कंपनियों का पैकेट वाला दूध मार्केट में मिनीमम 30 रुपए से स्टार्ट होकर 42 रुपए तक जाता है। ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि जिस दूध को बड़ी-बड़ी कंपनियां ज्यादा रेट में सप्लाई करती है उसी को दूधिये सस्ता कैसे उपलब्ध करवा देते हंै।


इन areas से supply
दूध के व्यवसाय से जुड़े हुए लोग पानी की मिलावट की बड़ी वजह फेस्टिव सीजन के साथ घट रही डेयरियों की संख्या, चारा और भूसा महंगा होने के बाद घटती पशुओं की संख्या को भी ठहरा रहे है। वहीं नाम न छापने की कंडीशन पर एक दूधिया ने बताया कि डिमांड सप्लाई की खाई का फायदा सिंथेटिक दूध के कारोबारी भी उठा रहे है। इन दिनों सिंथेटिक दूध की सप्लाई सबसे ज्यादा रामगंगा, फरीदपुर, मीरगंज, भमौरा, नकटिया, नरियावल क्षेत्र से हो रही है। जिसकी खपत सिटी की चार मंडियों के जरिए पूरी सिटी में बेरोकटोक चल रहा है।  

तो यहां करें शिकायत
नए नियमों के एकॉर्डिंग, अगर आपको खाद्य सामग्री में किसी भी तरह की मिलावट मिलती है, तो उसका नमूना आप खुद खाद्य विश्लेषण विभाग, लखनऊ में भेज सकते हैं। इसकी फीस 200 रुपए कंज्यूमर को ही बीयर करनी पड़ती है। अगर दोष साबित हो जाए तो सजा का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त लोकल लेवल पर कंज्यूमर्स चीफ फूड इंस्पेक्टर के ऑफिस में लिखित शिकायत कर सकते हैं।

क्या होता है सिंथेटिक दूध
दूध मार्केट के एक दूध व्यवसायी ने बताया कि सिंथेटिक दूध बनाने के लिए पानी में साबुन, सोडियम हाइड्राक्साइड, वनस्पति तेल, नमक और यूरिया को मिक्स किया जाता है। इस मिक्चर को कुछ एमल्सीफाइस के साथ लोहे के बड़े-बड़े कड़ाहों में मिलाया जाता है। इन्हें तब तक चलाया जाता है जब तक कि इसका गाढ़ा घोल न तैयार हो जाए। ये घोल सफेद रंग का तैयार होता है। इसके बाद इसमें तुलनात्मक प्योर मिल्क की डेंसिटी के बराबर पानी मिलाया जाता है। तैयार मिक्चर में यूरिया या सोडियम सल्फेट ग्लूकोज या माल्टोज जैसे कुछ धुलनशील फर्टीलाइजर मिलाए जाते है। जिससे दूध का गाढ़ापन बरकरार रहता है। दूध में चिकनाई के लिए रिफाइंड आयल का यूज किया जाता है।


दूध की कैसे हो पहचान
*अगर आपको दूध पर शक है तो थोड़ा सा दूध हाथ की हथेली पर रगडि़ए। दूध को हाथ पर रगडऩे पर अगर झाग बनने लगे तो दूध सिंथेटिक है।
*कुछ देर तक अगर सिंथेटिक दूध को बर्तन में रखा जाए तो उसका रंग पीला हो जाता है। जबकि असली दूध का रंग नहीं बदलता है।

Health पर असर
*सिंथेटिक दूध पाचन क्रिया को प्रभावित करता है। लीवर को बैडली इफेक्ट करता है।
*दूध को यूज करने के बाद जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, पेट में ऐठन, मरोडऩ, एसीडिटी और जवाइंडिस की शिकायत हो सकती है।
*मिलावटी दूध में यूज्ड केमिकल गुर्दे पर भी असर डालते हैं
*एलर्जी वाले मरीजों में केमिकल एलर्जी पैदा करते है। कुछ केसेज में पीडि़त को दमे का अटैक भी हो सकता है।
*इस दूध से खाने की नली में अल्सर हो सकता है।
(डॉ सुदीप सरन के अनुसार। )


 दूध की सप्लाई     प्योर मिल्क    टोंड मिल्क    डबल टोंड मिल्क
 मदर डेरी                  39           30             13
 अमूल                     40           30             14
 दूधिया                  35-40      22-25         10-12      
(रेट पर लीटर में)

हम पहले से सचेत हैं। मिठाई, तेल और घी की छापेमारी पहले से चल रही है। दूध की मंडियों पर भी छापेमारी जल्द शुरू हो जाएगी। जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-सुनील कुमार,
चीफ फूड इंस्पेक्टर

दूध में मिलावट हर तरह से गलत है। फेस्टिव सीजन में सिंथेटिक दूध की मार्केट में आमद बढ़ जाती है। दूध में ज्यादा पानी मिलाया जाता है। इसके लिए एडमिनिस्ट्रेशन को स्टेप लेना चाहिए।
-लल्लू लाल यादव,
डेयरी संचालक


Report by - Abhishek Mishra