बरेली(ब्यूरो)। समय के साथ लोगों में होम्योपैथी का क्रेज बढ़ा है। प्राइवेट डॉक्टर्स के क्लीनिक्स पर मरीजों की भरमार है। वहीं जिला अस्पताल के होम्योपैथिक सेंटर पर मरीजों का अकाल है। यहां मरीजों को मात्र एक रुपए में इलाज मिलता है। इसके उलट प्राइवेट डॉक्टर्स के यहां पांच सौ से हजार रुपए तक लिए जाते हैैं
चिकित्सकों की कमी
अस्पताल की चिकित्सा अधिकारी डॉ। कल्पना चौहान बताती हैं कि उनके पास सभी तरह के मरीज आते हैैं। सबसे अधिक मरीज स्किन संबंधी समस्याओं के आते हैैं। साथ ही श्वास संबंधी मरीज भी आते रहते हैैं। कोविड के बाद से मरीजों की संख्या काफी कम हुई है। कोविड में यह संख्या शून्य तक पहुंच गई थी। अस्पताल में दो चिकित्सक के पद हैैं, लेकिन लंबे समय से एक चिकित्सक ही सेवा दे रहे हैैं। इसका प्रभाव ओपीडी पर भी देखने को मिलता है।
विमेन आती हैैं सबसे ज्यादा
जिला अस्पताल स्थित राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय के डॉक्टर ने बताया कि उनके पास समस्या लेकर आने वालों में महिलाओं की संख्या अधिक रहती है। वहीं इसमें बच्चे भी शामिल होते हैैं। पुरुष डॉक्टर न होने के कारण अधिक मेल पेशेंट्स यहां नहीं आते हैैं। उन्होंने बताया कि अस्पताल से सारी दवाएं दी जाती हैैं, लेकिन लोग आते ही नहीं हैैं।
मानसिक रोगों का भी उपचार
चिकित्सा अधिकारी बताती हैैं कि उनके पास दवाएं भरपूर मात्रा में हैैं। मानसिक रोगों के इलाज के सवाल पर वह बताती हैैं कि उनके यहां लक्षणों के आधार पर मरीजों को दवाएं दी जाती हैैं। इसमें नींद की गोलियां नहीं दी जाती है। वहीं अन्य बीमारियों की दवा भी अस्पताल में उपलब्ध है।
समस्या का समाधान
होम्योपैथी दवाई से इलाज तो लगभग सभी बीमारियों का हो जाता है, लेकिन पुरानी और असाध्य बीमारियों के लिए सबसे अच्छा इलाज माना जाता है। होम्योपैथी से समस्या जड़ से खत्म हो जाती है। होम्योपथी की दवाईयां ऐलर्जी,एग्जिमा,अस्थमा,कोलाइटिस,माइग्रेन आदि में भी दी जाती हैैं।
सपनों के आधार पर भी इलाज
होम्योपैथिक इलाज में पेशेंट की हिस्ट्री काफी मायने रखती है। किसी की बीमारी पुरानी है तो डॉक्टर उससे पूरी हिस्ट्री पूछता है। मरीज क्या सोचता है, वह किस तरह के सपने देखता है, जैसे सवाल भी पूछे जाते हैं। ऐसे तमाम सवालों के जवाब जानने के बाद ही मरीज का इलाज शुरू किया जाता है। मरीज की हिस्ट्री और लक्षणों के आधार पर ट्रीटमेंट किया जाता है।