- डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक सर्जन पर पैसे लेकर गलत इलाज का आरोप
- ऑपरेशन में हड्डी निकाल छोटी कर दी टांग, पीडि़त ने लगाई सीएमएस से गुहार
BAREILLY: डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में बेहतर इलाज की उम्मीद में आना एक युवक के लिए जिंदगी की सबसे बड़ी गलती साबित हो रहा है। यहां के डॉक्टर की कारगुजारी के चलते युवक को जिंदगी भर के लिए अपाहिज होने का जख्म मिला है। युवक का आरोप है कि हॉस्पिटल के एक ऑर्थोपेडिक सर्जन ने ऑपरेशन के नाम पर तो पहले उससे हजारों रुपए ऐंठ लिए। फिर इलाज के नाम पर गलत ऑपरेशन कर उसे अपाहिज बना दिया। युवक पिछले सवा साल से ट्राई साइकिल पर इस अपने साथ हुई ज्यादती के खिलाफ हॉस्पिटल के चक्कर काट रहा है। बैसाखियों के सहारे चलने को मजबूर युवक ने थर्सडे को एक बार फिर अपने परिजनों के साथ आकर सीएमएस से इंसाफ दिलाने की मांग की।
इलाज के लिए मांगी घूस
सुभाष नगर के रहने वाले 30 साल के सुरेश सिंह का कहना है कि वह ऑटो ड्राइवर था। करीब 7 साल पहले एक रोड एक्सीडेंट में उसके बांये पैर में फ्रैक्चर हो गया। हापुड़ के एक हॉस्पिटल में इलाज में उसके पैर में रॉड डाल दी गई। करीब सवा साल पहले पैर में दर्द और चलने फिरने में दिक्कत होने पर उसने डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक सर्जन से इलाज शुरू कराया। सुरेश का आरोप है कि सर्जन ने ऑपरेशन की जरूरत बताते हुए 7 हजार रुपए देने की मांग की। सुरेश ने अच्छे इलाज की उम्मीद में इस नाजायज मांग को मंजूर कर लिया और घूस देकर इलाज कराया।
छोटी कर दी टांग
निजी हॉस्पिटल के महंगे इलाज से बचने की समझदारी सुरेश पर भारी पड़ी। गरीब सुरेश ने जिस प्रॉब्लम को दूर करने की चाहत में इलाज कराया सर्जन ने वह समस्या ही जड़ से अलग कर दी। सुरेश का कहना है कि पैर में जहां से फ्रैक्चर था वहां की टूट हड्डी में दर्द हो रहा था, लेकिन हड्डी जुड़ रही थी। पर डॉक्टर ने ऑपरेशन कर वह हड्डी ही काटकर अलग कर दी। इससे उसका बायां पैर हमेशा के लिए छोटा हो गया। ट्राई साइकिल और बैसाखी के सहारे अब जिंदगी में घिसट रहे सुरेश ने सीएमएस से सर्जन के खिलाफ कार्रवाई करने और उसका सही ऑपरेशन कराने की मांग की।
हॉस्पिटल में भी सुनवाई नहीं
बूढ़ी मां और पत्नी के साथ इंसाफ की गुहार लगाने पहुंचे सुरेश को हॉस्पिटल से भी राहत नहीं मिली। सीएमएस से मिलकर अपनी आपबीती सुनाने पहुंचे सुरेश को किसी भी तरह की मदद न हो सकने का दो टूक जवाब दे दिया गया। वहीं आरोपी ऑर्थोपेडिक सर्जन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लिखित में कंप्लेन देने को कहा गया। सीएमएस ऑफिस से निराश लौटे सुरेश अपने परिजनों के साथ आरोपी डॉक्टर की तलाश में ओपीडी पहुंचे पर वह मौके पर मिले नहीं। पीडि़त युवक के ती बच्चे हैं और घर की जिम्मेदारी उसके कंधों पर ही है।
सरकारी डॉक्टर बता रहे निजी हॉस्पिटल का रास्ता
डॉक्टर पर पेशेंट को एडमिट न करने और मिसबिहेव करने के आरोप
BAREILLY: पेशेंट्स को बेहतर इलाज व दवाओं के साथ सभी बुनियादी सुविधाएं देने के आला अफसरान के आदेश डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में महज जुबानी दावे बनकर रह गए हैं। हॉस्पिटल में पेशेंट्स के साथ मिसबिहेव करने की घटनाओं में थर्सडे को एक और इजाफा हो गया है। बालाजी बिहार, कर्मचार नगर के नवीन पांडेय और उनकी वाइफ मुन्नी पांडे ने डॉ। अनिल कुमार अग्रवाल के खिलाफ मिसबिहेव के आरोप लगाए हैं। पांडे कपल का कहना है कि थर्सडे को बेटे के पेट में दर्द होने पर उसे सुबह 7 बजे हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड लेकर पहुंचे। बेटे की दर्द से बुरी हालत थी। यह देख मेडिकल स्टाफ ने डॉ। अनिल अग्रवाल को बुलाया। उन्होंने आते ही बदतमीजी शुरू कर दी और बेटे के इलाज के लिए एडमिट करने से साफ इंकार कर दिया।
पैसे नहीं तो क्यों करते हो बच्चे
नवीन पांडेय का आरोप है कि डॉक्टर की बदतमीजी के बावजूद उन्होंने बेटे को एडमिट करने की अपील की, जिस पर डॉक्टर ने प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाने को कहा। साथ ही हॉस्पिटल का नाम पता मालूम न होने पर खुद बताने की सलाह दी। डॉक्टर के इस रवैये पर बुजुर्ग कपल ने पैसे न होने की बात कही तो बदले में उन्हें एक और कड़वा जवाब मिला। कपल ने बताया कि डॉक्टर ने उन्हें पैसे न होने पर बच्चे क्यों पैदा करने की उलाहना दी। लोजपा के जिलाध्यक्ष के साथ मिलकर बुजुर्ग कपल ने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ सीएमएस से लिखित में शिकायत दर्ज कराई।
डॉक्टर अनिल अग्रवाल के खिलाफ कंप्लेन मिली है। इस मामले पर एक कमेटी बनाकर जांच शुरू कराई जा रही है। वहीं ऑर्थोपेडिक सर्जन के खिलाफ युवक ने लिखित में कोई शिकायत नहीं दी। लिखित में कंप्लेन मिलने पर ही जांच के बाद कार्रवाई होगी।
- डॉ। आरसी डिमरी, सीएमएस