मुफ्त जांच कराने के लिए भी हॉस्पिटल कर्मचारी ने वसूले 1400 रुपए
डायरेक्टर ने मामले पर झूठ बोला, एडी-हेल्थ सीएमओ ने फटकारा
तीमारदार से डायरेक्टर ने की बदतमीजी, डीएम ने गठित की जांच कमेटी
BAREILLY: दिमागी मरीजों के बेहतर इलाज के लिए बनाया गया मेंटल हॉस्पिटल, नए विवादित डायरेक्टर की अगुवाई में खुद ही बीमार हो गया है। हॉस्पिटल के मेन गेट पर बीते तीन दिनों से मानसिक रूप से कमजोर एक महिला मरीज रामबेटी पड़ी है, लेकिन हॉस्पिटल में उसे एडमिट नहीं कराया गया। यही नहीं मरीज के घरवालों से जांच के नाम पर पैसे भी वसूले गए और उनका सामान तक जबरन रखवा लिया गया। तीन दिन से भूखे प्यासे खुले आसमान के नीचे इंसाफ व इलाज की राह ताक रहे मरीज के लिए डीएम को खुद आगे आना पड़ा। पूरे मामले में जब डायरेक्टर से सवाल किए गए तो उन्होंने मामले की जानकारी पर पहले झूठ बोला और फिर मरीज के तीमारदार को मीडिया के सामने ही अपने केबिन से बाहर निकाल दिया।
ओपीडी के बाद किया बाहर
गांव बानामऊ, पोस्ट सिमरिया, जिला हरदोई के रहने वाले राकेश यादव अपनी बीमार पत्नी रामबेटी को इलाज के लिए बरेली लाए। राकेश ने फ् नवंबर को मेंटल हॉस्पिटल की ओपीडी में डॉक्टर मांगलिक को दिखाया। डॉ। मांगलिक ने जरूरी जांच लिखवाकर मरीज को फैमिली वार्ड में एडमिट करने के लिए रिकमेंड किया, लेकिन इसके बावजूद रामबेटी को एडमिट करने के बजाए हॉस्पिटल स्टाफ ने उसे मेनगेट से बाहर कर दिया। पति राकेश ने बताया कि डेढ़ साल पहले भी करीब क्क् महीनों तक रामबेटी का यहां इलाज चला था, लेकिन इस बार हॉस्पिटल वालों ने उन्हें बाहर कर दिया।
मुफ्त जांच के वसूले क्ब्00 रुपए
इलाज देने के बजाए मरीज को जबरन हॉस्पिटल से बाहर निकालने वाले स्टाफ ने रामबेटी के पति से अवैध वसूली भी की। पति राकेश यादव ने बताया कि ओपीडी में लिखी जांचों के लिए हॉस्पिटल के ही एक कर्मचारी ने उससे क्ब्00 रुपए लिए और रिपोर्ट लाने की बात की। रामबेटी के जो भी टेस्ट हुए वह डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में हुए जो कि पूरी तरह फ्री थे। इस बात की जानकारी होते ही राकेश ने इसकी कंप्लेन करने की कोशिश की तो उसे मेनगेट के अंदर ही नहीं आने दिया गया। वहीं ओपीडी में आते समय उसका कुछ सामान हॉस्पिटल में ही रह गया था। राकेश ने जब अपना सामान दिलाने की बात की तो स्टाफ ने इसके बदले रुपए देने की मांग की।
डीएम को भी डायरेक्टर का ठेंगा
बिना इलाज तीन दिन से मरीज के हॉस्पिटल के गेट पर ही पड़े रहने की खबर डीएम को मालूम हुई तो वेडनसडे को उन्होंने तुरंत इस पर एक्शन लिया। डीएम संजय कुमार ने सीएमओ डॉ। विजय यादव को तुरंत मरीज को एडमिट कराने के निर्देश दिए। तहसील दिवस पर बिजी होने के चलते सीएमओ दोपहर तक खुद हॉस्पिटल न पहुंच सके। लेकिन हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ। एसके श्रीवास्तव को इस बारे में निर्देश दिए। इसके बावजूद डायरेक्टर ने मरीज की सुध न ली। न ही किसी कर्मचारी को भेज मरीज को एडमिट कराने की मेहनत की। पूरे मामले में डीएम ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। जो तीन दिन में अपनी जांच रिपोर्ट देगी।
मीडिया से की बदतमीजी
डीएम के इस मामले में कार्यवाही करने के बाद जब मीडिया ने डायरेक्टर डॉ। एसके श्रीवास्तव से बात की तो उनका रवैया बेहद रूड और अभद्रता वाला रहा। सबसे पहले डायरेक्टर ने मीडिया के सिर्फ एक ही रिपोर्टर को केबिन में आने की बात की, इस पर आपत्ति उठी तो डायरेक्टर ने मामला संज्ञान में न होने की बात की। इस दौरान इलेक्ट्रानिक मीडिया के रिपोर्टर वीडियो कवरेज करने लगे तो डायरेक्टर ने उनसे बदतमीजी से बात की और हॉस्पिटल में फोटो खींचने में मनाही की बात की। रिपोर्टर ने बात समझानी चाही तो उसे जबरदस्ती कमरे से बाहर निकलवा दिया।
पकड़ा गया डायरेक्टर का झूठ
एक गरीब और लाचार मरीज को तीन दिनों से इलाज न देने और हॉस्पिटल के गेट पर ही पड़े रहने के सवालों पर परेशान डायरेक्टर ने इसके लिए मरीज के तीमारदारों को ही दोष दिया। डायरेक्टर डॉ। एसके श्रीवास्तव ने कहा कि इस मामले में मरीज के तीमारदार ने उनसे संपर्क नहीं किया। इस पर मरीज के पति राकेश यादव को डायरेक्टर के केबिन में बुलवाया गया। राकेश ने मीडिया के सामने बताया कि सबसे पहले वह डायरेक्टर साहब से ही मिला था और एडमिट कराने की गुहार लगाई थी, लेकिन इन्होंने बाहर भेज दिया था। इससे नाराज डायरेक्टर ने मीडिया के सामने ही राकेश को डांटकर केबिन से बाहर निकाल दिया।
गर्ल्स को दे रहे 'स्पेशल ट्रेनिंग'
हॉस्पिटल में पहले ही दिन से अपने मिजाज व बिहेवियर को लेकर डायरेक्टर डॉ। एसके श्रीवास्तव विवादित रहे हैं। वेडनसडे को भी डॉ। श्रीवास्तव ओपीडी के अपने केबिन में दो गर्ल्स के साथ बैठे थे। पता करने पर गर्ल्स ने बताया कि वह दोनों आरयू में मास्टर इन सोशलवर्क की स्टूडेंट्स हैं। ओपीडी में 90 दिन की ट्रेनिंग के लिए आई हैं। वहीं हॉस्पिटल स्टाफ ने बताया कि हॉस्पिटल में स्टूडेंट्स खासकर गर्ल्स को ऐसी किसी तरह की ट्रेनिंग की परमिशन नहीं है। यह नियमों के खिलाफ है। हॉस्पिटल में अक्सर इसी तरह गलत तरीके से डायरेक्टर की शह पर गर्ल्स ट्रेनिंग के नाम पर आती हैं। वहीं दोनों लड़कियों से आरयू से मिला ट्रेनिंग का परमिशन लेटर दिखाने को कहा गया तो वह कोई परमिशन लेटर न दिखा सकी।
एडी हेल्थ-सीएमओ ने फटकारा
मेंटल हॉस्पिटल में मरीज को तीन दिन से इलाज न मिलने की जानकारी पर हेल्थ डिपार्टमेंट के आला अफसरान भी जागे। वेडनसडे को तहसील दिवस खत्म होने पर एडी हेल्थ डॉ। सुबोध शर्मा, सीएमओ डॉ। विजय यादव और सिटी मजिस्ट्रेट उमेश कुमार मंगला मेंटल हॉस्पिटल पहुंचे। पूरे मामले में की जानकारी होने पर सीएमओ व एडी हेल्थ ने डायरेक्टर डॉ। एसके श्रीवास्तव को कड़ी फटकार लगाई। सीएमओ व एडी हेल्थ ने मरीज को तुरंत एडमिट कराने के निर्देश दिए। साथ ही मरीज के घरवालों से जांच के नाम पर वसूली किए जाने की जांच कराने के निर्देश दिए। अधिकारियों ने पूरे मामले में डायरेक्टर की भूमिका भी गलत पाए जाने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात की।
मामला बेहद संवेदनशील है। मरीज को तीन दिन से इलाज न मिलने और अवैध वसूली पर तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई है। कमेटी तीन दिन में अपनी जांच रिपोर्ट देगी। रिपोर्ट मिलने के बाद ही दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
- संजय कुमार, डीएम