लीज पर हैं दोनों कैंटीन

पुराने और सैटेलाइट बस अड्डे की कैंटीन परिवहन निगम ने लीज पर दी है। सैटेलाइट की कैंटीन दिसंबर 2007 में 10 साल के लिए जबकि पुराना बस अड्डा की कैंटीन तीन महीने पहले एक साल की लीज पर दी गई है।

रेट लिस्ट ही नहीं देते है

लीज के टाइम यह डिसाइड होता है कि कैंटीन ओनर अगर प्राइस इंक्रीज करेंगे तो बाकायदा इसकी जानकारी परिवहन निगम को देंगे। विभाग को प्राइस जायज नहीं लगते हैं तो वे रेट बढ़ाने से इंकार कर सकते हैं। मगर ऐसा तो तब होगा जब कैंटीन ओनर रेट लिस्ट निगम को दे। सैटेलाइट बस अड्डे के स्टेशन मास्टर रूम सिंह ने बताया कि वह वहां 9 महीने से ड्यूटी पर हैं लेकिन कैंटीन ओनर ने मेन्यू की प्राइस लिस्ट नहीं दी है। उनके पहले जो स्टेशन मास्टर थे, उन्हें भी कोई लिस्ट नहीं दी गई थी।

कहते हैं, महंगाई बढ़ गई है

कैंटीन ओनर इसके लिए महंगाई बढऩे का तर्क दे रहे हैं। उनका कहना है कि बार-बार आलू, तेल, घी समेत हर खाद्य पदार्थ का रेट बढ़ रहा है तो वे क्यों न बढ़ाएं। उन्हें परिवहन निगम को भी हर महीने 35 हजार रुपए देने पड़ते हैं। अगर लीज लेते समय वाले प्राइस पर ही बेचेंगे तो फिर उन्हें नुकसान हो जाएगा। कैंटीन चलाना मुश्किल हो जाएगा। हालांकि इस चक्कर में पैसेंजर्स का काफी नुकसान हो रहा है। लोग जल्दबाजी के में ज्यादा हिसाब-किताब नहीं करते। करीब-करीब हर आइटम में 5 से 10 रुपए का डिफरेंस है।

महंगाई बढ़ रही है तो क्या किया जाए। वैसे भी हम प्राइस जल्दी-जल्दी नहीं बढ़ाते। दिसंबर 2007 में कैंटीन लीज पर ली थी। पिछले पांच साल में महंगाई इस कदर बढ़ी है कि रेट बढ़ाना मजबूरी हो गई थी।

-हरीश जायसवाल, ओनर, फूड प्लाजा कैंटीन, सैटेलाइट

जो रेट लिस्ट परिवहन निगम ने फिक्स की है, हम उसी रेट पर सामान बेचते हैं। ऐसा नहीं है कि कस्टमर से अधिक पैसे लेते हैं।

-छोटे लाल, कैंटीन संरक्षक, पुराना बस स्टैंड

अगर ऐसी बात है तो इसपर तुरंत जांच की जाएगी। गलत पाए जाने पर कैंटीन ओनर पर पेनाल्टी लगाई जाएगी। उसके बाद भी अगर कोई सुधार नहीं होता है तो लीज निरस्त कर दी जाएगी।

-पीके बोस, क्षेत्रीय प्रबंधक, परिवहन निगम

जनरली समान का रेट बढ़ाने के बाद कैंटीन ओनर सूचना

नहीं देते हैं। एक बार लीज पर लेने के बाद वे निश्चिंत हो जाते हैं। यह गलत है। सैटेलाइट पर स्थित कैंटीन को 10 साल की लीज पर दिया गया है।

-नीरज अग्रवाल, एआरएम प्रशासन, परिवहन निगम

हम लोग तो कैंटीन में लिखे रेट पढ़कर ही ऑर्डर करते हैं लेकिन पैसे इससे ज्यादा चार्ज किए जाते हैं। यह गलत है। परिवहन निगम को इस बात का ध्यान देना चाहिए कि कैंटीन ओनर लोगों से अधिक पैसे न ले सके।

- मोहम्मद बिलाल, पैसेंजर