एसी-स्लीपर कोच हुए ठसाठस, जगह पाने को टीटीई को दे रहे पैसे
पैसे लेकर महिला, विकलांग व लगेज कोच में जगह दे रही जीआरपी
BAREILLY:
होली के त्योहार पर घर पहुंचने की मुसाफिरों की फिक्र रेलवे के जिम्मेदारों के लिए कमाई का मौका भी बन गई है। घर पहुंचने की जल्दी और ट्रेन में जगह पाने की मुसाफिरों की जद्दोजहद ने रेलवे के इन जिम्मेदारेां के लिए मुट्ठी गर्म करने का मौका दे दिया है। लगेज कोच से लेकर स्लीपर कोच की फर्श पर भी जगह दिलाने की मुसाफिरों की अपील, बिना नोटों के जिम्मेदारों के कान तक नहीं पहुंच रही। मजबूरन लंबे सफर में ट्रेन में जगह पाने के लिए मुसाफिरों से टीटीई से लेकर जीआरपी की खाकी तक रुपए ऐंठने से गुरेज नहीं कर रही।
बर्थ नही तो फश्ा ही सही
होली पर घर जाने के लिए जंक्शन पर मुसाफिरों को थर्सडे को भी राहत न मिली। ट्रेनों के जनरल कोच में टॉयलेट तक में मुसाफिर बैठकर सफर करने को मजबूर हैं। वहीं स्लीपर कोच की हालत जनरल जैसी हो गई। रिजर्वेशन कंफर्म न होने पर वेटिंग टिकट वाले स्लीपर कोच की फर्श पर ही सोने-बैठने को मजबूर हैं। वहीं जनरल टिकट लेकर स्लीपर कोच में पैर रखने की जगह तलाशने वाले कई मुसाफिर टीटीई को भ्0 से क्00 रुपए देकर ही कोच में चढ़ पा रहे।
खाकी भी नहीं पीछे
जनरल टिकट लेकर ट्रेन में सफर करने का ख्वाब देखने वाले गरीब व जरूरतमंद मुसाफिरों की मजबूरी का जीआरपी के कई जवान भी जमकर फायदा उठा रहे। ऐसे मुसाफिरों को ख्0 से लेकर भ्0 रुपए लेकर विकलांग से लेकर महिला व लगेज कोच तक में आसानी से जगह दिलाई जा रही। जो मुसाफिर बिना पैसे दिए इन कोच में चढ़ रहे, उन्हें जीआरपी जबरदस्ती उतारने से भी नहीं कतरा रही। वहीं थर्सडे को भी इंक्वायरी और जनरल टिकट विंडों पर मुसाफिरेां की लंबी लाइन लगी रही। थर्सडे देर रात तक जंक्शन पर मुसाफिरों ट्रेनों के इंतजार में बैठे रहे।