शिक्षा विभाग के हिंदी पढ़ना सीखो महा कार्यक्रम के तहत दी जाएगी ट्रेनिंग
-ट्रेनिंग में सिखाया जाएगा हिंदी शब्दों का ध्वनि ज्ञान
-फर्स्ट फेज में लगभग 550 टीचर्स लेंगे हिस्सा
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BAREILLY: यूं तो अगर सब्जेक्ट की बात की जाए तो हम लोगों को हिंदी सबसे सरल लगती है, लेकिन सच्चाई यह है कि इस भाषा को भी बहुतेरे लोग न तो शुद्धता से पढ़ पाते हैं न ही बोल पाते हैं। शिक्षा विभाग के सर्वे में कुछ इसी तरह का रिजल्ट सामने आने के बाद विभाग अब गुरुजी को ट्रेंड करने की तैयारी कर रहा है। विभाग का मानना है कि अगर गुरुजी सीख लेंगे तो फिर वह बच्चों को भी ठीक से सिखाएंगे।
हिंदी में कमजोर पाए गए छात्र
दरअसल, इस ट्रेनिंग के पीछे एक सर्वे की फाइंडिंग है। ख्0क्0 में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा यह सर्वे प्राइमरी स्कूलों के करीब ब्0,00 बच्चों पर कराया गया था। जिसमें बच्चों का हिंदी ज्ञान परखा गया था। रिजल्ट में पाया गया था कि कक्षा क् से फ् तक के बच्चे हिंदी के बेसिक यानि अक्षर ज्ञान से ही परिचित नहीं हैं। इस सर्वे के आधार पर ये योजना ख्0क्क् में शुरू की गई। इसके आधार पर टीचर्स का ये ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया गया।
बच्चों को सिखाने में होंगी आसानी
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस ट्रेनिंग में प्राइमरी के टीचर्स को यह भी बताया जाएगा कि आखिर वह किस तरह से बच्चों को इनोवेटिव तरीके से सिखाएं जिससे की वह बेहतर तरीके से उसको सीख लें। ट्रेनिंग में टीचर्स को हिंदी सिखाने के ऐसे तरीकों के बारे में बताया जाएगा, जिससे बच्चों को ध्वनि समझकर अक्षर का ज्ञान हो सके।
ध्वनि ज्ञान पर होगा जोर
हिंदी पढ़ना सीखो महा कार्यक्रम में चल रहे इस प्रोग्राम में हिंदी भाषा सिखाने के लिए टीचर्स को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी। ये ट्रेनिंग बीएसए दफ्तर में दी जानी है, जिसमें लर्निग मैटेरियल को दीवार पर पेंट किया जाएगा। वॉल पेंटिंग की हेल्प से टीचर्स को स्वर ज्ञान कराने के तरीके सिखाए जाएंगे। ट्रेनिंग प्रोग्राम में डिस्ट्रक्ट के करीब भ्भ्0 टीचर्स हिस्सा लेंगे।
यूनेस्को के मैर्थड पर आधारित है ट्रेनिंग
'क' से कबूतर पढ़ते आ रहे बच्चों को ध्वनि व अक्षर ज्ञान कराने के लिए कबूतर से परिचित कराते हुए उसके पहले अक्षर 'क' का ज्ञान कराया जाएगा। इस बार जो ट्रेनिंग प्रोग्राम आर्गनाइज होने जा रहा है उसमें ट्रेडिशनल मैथड के उलट पढ़ाने के तरीके समझाए जाएंगे। प्रैक्टिकल चीजों के माध्यम से अक्षर ज्ञान कराने के इस तरीके को 'मूर्त से अमूर्त' की ओर बढ़ने का मैथड कहा जाता है। इस मैथड का सबसे पहले उल्लेख यूनेस्को ने किया था। उसी के आधार पर इस प्रोग्राम को डिजाइन किया गया है। ट्रेनिंग प्रोग्राम क्7 अप्रैल से शुरू होगा। इसके साथ ही कई दूसरे खास बिंदुओं को भी ट्रेनिंग प्रोग्राम में जोड़ा जाएगा।
हिंदी में इंग्लिश के मुकाबले ज्यादा अक्षर होने के चलते स्टूडेंट्स इन अक्षरों को समझ नहीं पाते हैं। ऐसे में टीचर्स को ये सिखाने की कोशिश होगी कि वे किस तरह ध्वनि ज्ञान को आसान तरीके से स्टूडेंट्स तक पहुंचा सकें। हिंदी सीखने के लिए ध्वनि ज्ञान बहुत जरूरी है, इस साल ट्रेनिंग में हम टीचर्स को सिखाएंगे कि किन तरीकों से बच्चों को हिंदी ध्वनियों से परिचित करा सकते हैं।
- मुकेश सिंह, डिस्ट्रक्ट ट्रेनिंग कोअर्डिनेटर