बरेली (ब्यूरो)। अगर आप बाहर चाय पीते हैं और चाय पीने के लिए पेपर कप्स को ज्यादा बेहतर मानते हैं तो, इसे अपनी भूल मानें। इस भूल से अंजान लोग चाय की दुकान पर अक्सर यही कहते हैं कि भैया चाय पेपर कप में ही देना। यह मान लें कि पेपर कप्स भी स्वास्थ्य के लिए उतने ही खतरनाक हैं जितने प्लास्टिक कप्स, क्योंकि पेपर कप्स में भी भीतर प्लास्टिक कोटिंग होती है, और यह प्लास्टिक कोटिंग गर्म चाय से धीरे-धीरे पिघलते हुए उसी में मिक्स हो जाती है। इसके बाद चाय टॉक्सिक और नुकसानदेह हो जाती है। जानकार बताते हैं कि पेपर न ही फैट रेसिस्टेंट होता है ओर नही वॉटर रेसिस्टेंट। फूड पैकेजिंग के लिए जिस पेपर का इस्तेमाल किया जाता है उसकी सर्फेस पर कोटिंग जरूरी होती है। कागज वाले कप में यह ही कोटिंग ही चाय को रोकती है।
कागज में भी खाद्य सामग्री रखना खतरनाक
एफएसएसएआई यानि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने खाद्य सामग्री विक्रेताओं को इस संबंध में पहले भी नोटिस जारी कर किया था। इसमें बताया गया था कि किसी भी प्रिंटेड पेपर में यूज की गई इंक कैमिकल ही होता है। यह कैमिकल हेल्थ के लिए बहुत ही हानिकारक होते हैं। इसीलिए खाना पैक करने आदि में पेपर का इस्तेमाल न करें।
कुल्हड़ मोर सेफ
चाय-काफी के लिए उपयोग किए जाने वाले पेपर कप्स से हमारे हेल्थ के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। इस कप की प्लास्टिक कोटिंग से हमारे शरीर में प्लास्टिक पार्टिकल्स पहुंच रहे हैं तो इनके जलने से वातावरण में भी जहरीला धुआं मिक्स हो जाता है। इनको नालियों में फेंक देने से नाले-नालियां भी चोक हो जाते हैं। इसकी जगह कप या कुल्हड़ का उपयोग किया जाना बेहतर है। यह पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
पीएलए में फॉसिल फ्यूल नहीं
कागज के कप में जिस प्लास्टिक फिल्म का प्रयोग होता है। उसे पीएलए कहते हैं। यह एक प्रकार का बायो प्लास्टिक ही होता है। बायो प्लास्टिक रिन्यूएबल सोर्सेस से बनाया जाता है। जैसे कॉर्न, गन्ना आदि से। इन्हें बनाने में फॉसिल फ्यूल का प्रयोग नहीं किया जाता है। पीएलए को बायो डिग्रेडेबल कहा जाता है, लेकिन फिर भी यह सेहत के मुफीद नहीं है।