बरेली(ब्यूरो)। चार साल के लंंबे इंतजार के बाद अखिरकार तीन सौ बेड अस्पताल में फ्राइडे को ओपीडी शुरू की गई। यहांं पहले दिन कुल 27 पेशेंट्स इलाज कराने पहुंचे, वहीं दूसरी तरफ जिला अस्पताल ओपीडी में फ्राइडे को भी पशेंट्स की लंबी कतार लगी रही। दरअसल थर्सडे को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने 300 बेड अस्पताल, जिला अस्पताल समेत अन्य स्थानों पर निरीक्षण किया था। इसमें उन्होंने तीन सौ बेड अस्पताल में ओपीडी शुरू करने के निर्देश दिए थे। साथ ही कहा था कि यहां ओपीडी शुरू होने से जिला अस्पताल पर कम भार पड़ेगा। साथ ही पेशेंट्स को बेहतर सुविधा मिल पाएगी।
तैनात रहे डॉक्टर
तीन सौ बेड अस्पताल में पांच डॉक्टर्स को तैनात किया गया था। इसमें भी एक पैथोलॉजिस्ट, एक दंत चिकित्सक व तीन फिजिशियन्स शामिल रहे। ओपीडी में तीन सौै बेड चिकित्सा प्रभारी डॉ। वागीश वैश्य व पूर्व चिकित्सा प्रभारी सतीश चंद्रा रहे। डॉ। वागीश वैश्य ने बताया कि ओपीडी के लिए पूरी तैयार कर ली गई हैैं। पहले दिन कुल 27 पेशेंट्स अस्पताल में पहुंचे, जिसमें खुर्रम गौटिया निवासी पेशेंट सीने मे दर्द व बुखार की शिकायत लेकर पहुंचे, जिस पर उन्हें प्राथमिक उपचार देने के बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
कैसे हो जांच रीएजेंट नहीं मौजूद
जांचों के लिए जरूरी रीएजेंट तीन सौ बेड अस्पताल को प्रोवाइड नहीं कराया गया है। सीएमएस डॉ। वागीश वैश्य का कहना है कि कुछ रीएजेंट यहां उपलब्ध हैैं। अन्य के लिए लेटर लिखा गया है। बता दें कि कई जरूरी जांचों के लिए इन रीएजेंट्स का यूज किया जाता है। टायफायड, ब्लड शुगर, मलेरिया, हीमोग्लोबिन आदि में रिजेंट्स का इस्तेेमाल होता है। यहां पर तीन लैब टेक्रीशियन तैनात हैं, लेकिन रीएजेंट्स की कमी के कारण रोगियों की जांचें नहीं हो पा रही हैं।
अधिकारी नहीं बैठे ओपीडी में
वेडनसडे को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अधिकारियों को भी स्टाफ कम होने की दशा में ओपीडी में बैठकर पेशेंट्स देखने के निर्देश दिए थे। साथ ही एडी हेल्थ, सीएमओ व एसीएमओ को प्रतिदिन सीएचसी, पीएचसी व उपकेंद्रों का निरीक्षण करने के निर्देश भी दिए थे, लेकिन फ्राइडे को जिला अस्पताल की ओपीडी में कोई भी अधिकारी पेशेंट्स को देखते हुए नजर नहीं आया।
फिर भर गया पानी
जिला अस्पताल में सीवर के गंदे पानी को डिप्टी सीएम के निरीक्षण से पहले साफ करवा दिया गया था। लेकिन, फ्राइडे को जिला अस्पताल के हालात फिर पहले जैसे ही हो गए। पेशेंट्स को दवा लेने के लिए सीवर के गंदे पानी से होकर जाना पड़ रहा था। इसको लेकर किसी ने भी संज्ञान लेना उचित नहीं समझा।