बरेली (ब्यूरो)। मेडिकल हब के तौर पर पहचान कायम करने वाला शहर जल्दी ही इस फील्ड में और भी बुलंदियों को छुएगा। इसमें बड़ी भूमिका निभाने वाला है सरकारी यूनानी मेडिकल कॉलेज। शहर के हजियापुर में 113 करोड़ की लागत से बन रहा यह सरकारी मेडिकल कॉलेज जल्द हïी कंप्लीट हो जाएगा। इसके बाद नए साल में यहां से ओपीडी शुरू हो जाएगी। इससे पब्लिक को चिकित्सा की प्राचीनतम पद्यति से इलाज मिलने लगेगा।
2023 मार्च में पूरा होना था कंप्लीट
कई साल से यूनानी मेडिकल कॉलेज बनाने की बात चल रही थी। हजियापुर में नगर निगम की जमीन भी फाइनल कर ली गई थी। इसके बाद यहां एक साइन बोर्ड भी लगा दिया गया। इसमें दी गई जानकारी के मुताबिक इसका निर्मा.ा जून 2016 से शुरू होना था। इसे जून 2018 तक पूरा होना था। तब इसकी अनुमानित लागत 95 करोड़ निर्धारित की गई थी। इस प्रोजेक्ट को समय से मंजूरी नहीं मिलने से इसका टाइम पीरियड और कॉस्ट दोनों बढ़ गए। फाइनली इस मेडिकल कॉलेज का निर्मा.ा अक्टूबर 2021 से शुरू हुआ और मार्च 2023 में इसको बनकर तैयार हो जाना था।
छह महीने का मिला एक्सटेंशन
वेंसा इंफ्र ास्ट्रक्चर लिमिटेड को इसका कांट्रैक्ट मिला और पीडब्ल्यूडी को इसके निर्मा.ा की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई। निर्मा.ा लेट होने के बारे में कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि बीच में 10 महीने तक उनका पेंमेंट नहीं हुआ, जिससे निर्मा.ा कार्य धीमा हो गया। इसके चलते ही शासन से छह महीने का एक्शटेंशन दिया।
लगभग पूरा
कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर के अनुसार मेडिकल कॉलेज का निर्मा.ा लगभग पूरा हो चुका है। साइट पर एकेडेमिक और हॉस्पिटल बिल्डिंग का स्ट्रैक्चर तैयार कर लिया गया है। हॉस्टल और रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स को फिनिशिंग टच दिया जा रहा है। कंस्ट्रक्शन कंपनी का दावा है कि वह जल्द निर्मा.ा कार्य पूरा करा देगी।
कभी हुआ करता था कूड़ा
हजियापुर में जिस जगह पर यूनानी मेडिकल कॉलेज बन रहा है, वह कभी नगर निगम का ट्रेंचिंग ग्राउंड हुआ करता था। यहां 10 से 12 फीट तक कूड़ा डंप था। मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग्स के अलावा साइट पर जितनी भी जगह खाली है, उससे कूड़ा हटाया जाना है। इस कूड़े को यहां से शिफ्ट करने के लिए पीडब्ल्यूडी के साथ ही कंस्ट्रक्शन कंपनी ने भी नगर निगम से खाली जमीन उपलब्ध कराने की मांग की थी। नगर निगम इसके लिए कहीं भी खाली जमीन उपलब्ध नहीं करा पाया।
कूड़ा निस्तार.ा को लगाया प्लांट
कूड़ा शिफ्टिंग के लिए नगर निगम की ओर से से कहीं भी जमीन उपलब्ध नहीं कराने से कंपनी को साइट पर ही कूड़ा निस्तार.ा प्लांट लगाना पड़ा। यह प्लांट 600 मेट्रिक टन कैपिसिटी का है। इस प्लांट से सेग्रीगेट होकर निकलने वाली मिट्टी को साइट पर ही फिलिंग के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि आरडीएफ (रिप्यूज्ड डेराई फ्यूल) यानी पॉलीथिन वेस्ट को जबलपुर में एक सीमेंट फैक्ट्री को सप्लाई किया जा रहा है।
साइट लेआउट
एकेडेमिक बिल्डंग-1
हॉस्पिटल बिल्डिंग-1
ब्वायज हॉस्टल-1
गल्र्स हॉस्टल-1
रेजिडेंशियल बिल्डिंग्स
टाइप टू- 1
टाइप थ्री-1
टाइप फोर एंड फाइव-1
सब स्टेशन बिल्डिंग
डायनिंग ब्लॉक
एसटीपी
वाटर हारवेस्टिंग
मेडिकल कॉलेज का निर्मा.ा कार्य पूरा कराने का निर्धारित समय तक पूरा कर दिया जाएगा। तब तक हर संभव निर्मा.ा पूरा कराने का प्रयास है। बीच में 10 महीने तक पेमेंट रुकने से निर्मा.ा में बाधा आई, पर अब पेमेंट का काई इश्यू नहीं है।
मनोज त्रिपाठी, प्रोजेक्ट मैनेजर कंस्ट्रक्शन कंपनी वेंसा इंफ्र ास्ट्रक्चर लिमिटेड