साहू रामस्वरूप डिग्री कॉलेज में स्टूडेंट्स के मुकाबले टीचर्स हैं बेहद कम
हजारों स्टूडेंट्स को पढ़ाने का भार कुछ ही टीचर्स पर
BAREILLY: जहां पर हजारों स्टूडेंट्स को पढ़ाने की जिम्मेदारी जब मुठ्ठी भर टीचर्स पर हो तो ऐसे में टीचर्स किस सिचुएशन में पढ़ाते होंगे और स्टूडेंट्स क्या पढ़ते होंगे इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। साहू रामस्वरूप गर्ल्स डिग्री कॉलेज की यही स्थिति है। यहां पर हजारों स्टूडेंट्स को पढ़ाने का भार कुछ ही टीचर्स पर है। जबसे टीचर्स के पद स्वीकृत हुए हैं, तब से आज तक नए पद स्वीकृत नहीं किए गए और जो थे उनमें से भी कम हो गए। नए टीचर्स की नियुक्ति तक नहीं की गई। यहां तक कि यहां पर संविदा पर भी टीचर्स अप्वॉइंट नहीं हैं। ऐसे में टीचर्स और स्टूडेंट्स दोनों ही लचर व्यवस्था का खामियाजा भुगत रहे हैं।
फ्0 में से 9 हो गए कम
साहू रामस्वरूप में केवल आर्ट्स की ही क्लासेज कंडक्ट की जाती हैं। बीए की करीब 7ब्0 और एमए की करीब ब्70 सीटें हैं। आर्ट्स के करीब क्फ् कोर्सेस की पढ़ाई होती है। इनमें स्टूडेंट्स की स्ट्रेंथ करीब फ्,000 है। इनको पढ़ाने के लिए टीचर्स के फ्0 पद स्वीकृत हैं। उनमें से भी 9 टीचर्स कम हो गए हैं। अधिकांश तो रिटायर हो गए हैं और एक-आध ट्रांसफर ले चुके हैं। महज ख्क् टीचर्स के कंधों पर फ्,000 स्टूडेंट्स के फ्यूचर को संवारने का बोझ है।
रेशियो से डेढ़ गुना ज्यादा स्टूडेंट्स
यूजीसी की मानक की बात करें तो म्0 स्टूडेंट्स पर एक टीचर होना कंपलसरी है, लेकिन यहां पर एक टीचर पर रेशियो से डेढ़ गुना ज्यादा स्टूडेंट्स को पढ़ाने का बोझ है। क्ब्0 से ज्यादा स्टूडेंट्स पर एक टीचर नियुक्त है।
तीन सब्जेक्ट्स में एक भी टीचर नहीं
साहू रामस्वरूप में आर्ट्स के क्फ् सब्जेक्ट्स की पढ़ाई कराई जाती है। तीन सब्जेक्ट्स तो ऐसे हैं, जिनमें एक भी टीचर की नियुक्ति नहीं है। संगीत तबला, संगीत सितार और शारीरिक शिक्षा में एक-एक पद स्वीकृत है, लेकिन इन कोर्सेस में एक भी टीचर की नियुक्ति नहीं है। इनके अलावा हिंदी में भ् में से ब्, इंग्लिश में फ् में से ख्, चित्रकला में ब् में से क् और संगीत गायन में ब् में से फ् टीचर्स ही नियुक्त हैं।
वर्षो से नहीं हुई नियुक्ति
बाकी कॉलेजेज की तरह ही यहां की भी वही व्यथा है। कॉलेजेज अपने स्तर से टीचर्स की नियुक्ति नहीं कर सकते। टीचर्स के नए पदों की स्वीकृति और नियुक्ति शासन के आदेश पर आयोग करता है, लेकिन वर्षो बीत गए पद बढ़ाना तो दूर नियुक्ति तक नहीं हुई है। कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ। शशि बाला राठी बताती हैं कि हायर एजूकेशन की तरफ से जब-जब टीचर्स का ब्यौरा मांगा जाता है, तब-तब दे दिया जाता है। हम वे ही टीचर्स रख सकते हैं जो शिक्षा विभाग द्वारा भेजे जाते हैं। ऐसी सिचुएशन में हमारे में हाथ में कुछ नहीं रहता।