बरेली( ब्यूरो) : शहर में वैसे तो बहुत सी ऐतिहासिक इमारतें हैं, जो हमारे शहर का गौरव बढ़ा रही हैं। वहीं कुछ ऐसी इमारतें भी हैं जहां से शिक्षा लेकर निकले छात्रों ने जिले के साथ देश का भी नाम रोशन किया, लेकिन अनदेखी की मार के चलते ये इमारतें जर्जर हो चुकी हैं। हम बात कर रहे हैं शहर के माध्यामिक शिक्षा परिषद के इंटर कॉलेजेज की। कई ऐसे कॉलेजेज हैं जिनकी बिल्डिंग भी जर्जर हो चुकी है। बावजूद इसके स्टूडेंट्स यहां बैठने को मजबूर हैं। कई कॉलेज ऐसे भी हैं जिन्हें बने एक सदी से अधिक समय बीत चुका है।

जर्जर हुई छतें, दीवारें
शहर में कोहाड़ापीर स्थित केडीएम इंटर कॉलेज की स्थापना वर्ष 1910 में हुई थी। कभी शहर के नामचीन कॉलेजेज में शामिल यह कॉलेज अब अपना अस्तित्व बचाने को जूझ रहा है। आलम यह है कि कॉलेज की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। लाइबे्ररी पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुकी है। अब उसे बंद कर दिया गया है। स्कूल की दीवारें जर्जर हो चुकी हैं। छतों का भी यही हाल है। हर साल यूपी बोर्ड एग्जाम मेें इस कॉलेज को एग्जाम सेंटर भी बनाया जाता है, बावजूद कॉलेज की दशा सुधारने की सुध कोई नहीं ले रहा है

लैब बनी खंडहर 1912
वर्ष 1912 में सिविल लाइंस में बना एसवी इंटर कॉलेज भी शहर के नामचीन कॉलेजेज की लिस्ट में शामिल रहा है। यहां के कई स्टूडेंट्स ने अपनी योग्यता के दम पर जिले का नाम रोशन किया। आज भी यहां क्लासेस तो लगती हैं लेकिन अनदेखी की मार से यह भी अछूता नहीं रहा। स्कूल की केमिस्ट्री लैब बदहाल हो चुकी है। इसके बावजूद स्टूडेंट्स यहीं सीखने को मजबूर हैं। कई बार इसके बारे में लिखित शिकायत भी संबधित विभाग को दी गई। लेकिन आज तक कोई भी पॉजिटिव सूचना नहीं मिली। इसके अलावा स्कूलों के कमरों को भी बहुत बुरा हाल है। छतों की हालात भी लगभग जर्जर हो चुकी है।

सभागार हुआ जर्र्जर 1946
गुलाब राय इंटर कॉलेज शहर के पुराने स्कूलों में से एक है। वर्ष 1946 में कॉलेज की स्थापना हुई। कॉलेज की बिल्डिंग के साथ ही यहां का सभागार भी जर्जर स्थिति में है। बावजूद इसके समय-समय पर यहां कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। दीवारों से सीमेंट छुटने लगा और दीव्रारें खोखली हो गई हैं। जिनमें चूहों ने बिल बना लिए हैं। कॉलेजेज के टॉयलेट इतने गंदे हैं कि वहां खड़ा होना मुश्किल हो जाता है। टॉयलेट भी लगभग जर्जर हो चुके हैं।

लगा दिए सीसी कैमरे
स्कूलों की हालात इतनी खराब होने के बाद भी क्लास रूम्स में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए हैं। हर साल यहां बोर्ड एग्जाम सेंटर बनाया जाता है। बड़ी संख्या में यहां स्टूडेंट्स परीक्षा देने आते हैं। इसके बावजूद इन कॉलेजेज की दशा सुधारने पर ध्यान नहीं दिया जा रह है। आलम यह है कि एग्जाम के दौरान यहां फर्नीचर भी दूसरे कॉलेजेज से मंगवाना पड़ता है।


प्रशासन की अनदेखी
शहर के पुराने कॉलेजो की आज से नहीं बल्कि कई सालों से जर्जर हालत हैं। जिन्हे आज तक अनदेखा किया गया है। जिसकी वजह से आज कॉलेजों की स्थिति जर्जर हो गई है। इनके लिए कई बार एप्लीकेशन भी दी गई जिन पर आज तक कोई ध्यान नहीं दिया गया। जिसकी वजह से कॉलेजों की हालात दिनों दिन खराब होती जा रही है। आज तक किसी भी कॉलेज का आज तक नवीनी करण नहीं किया गया।