मेधावियों को गोल्ड पहनाने की तमन्ना अधूरी रह गई राज्यपाल की

BAREILLY: कॉनवोकेशन में मेधावियों का यह सपना होता है कि वे चांसलर/गवर्नर के हाथों गलें में सुनहरा तमगा पहने। लेकिन मंडे को आरयू की ऑर्गनाइज क्ख्वीं कॉनवोकेशन में स्टूडेंट्स का यह सपना अधूरा रहा गया। मेधावियों को मेडल न पहना पाना गवर्नर/चांसलर राम नाइक को भी चुभ गया। उन्होंने मंच पर कहा भी दिया कि उनकी तमन्ना थी कि वे टॉपर्स को अपने हाथों गोल्ड मेडल पहनाएं, लेकिन मेडल का रिबन ही इतना छोटा था कि वे इसे पहना नहीं सके। लिहाजा, उन्होंने मेडल मेधावियों के हाथ में थमा दिया।

यदि गवर्नर मेधावियों को मेडल पहनाते तो उनको गाउन के साथ पहनी टोपी को उतारनी पड़ती। लेकिन वे इस परंपरा को तोड़ना नहीं चाहते थे। यही नहीं उन्होंने लगे हाथ आरयू को एक और नसीहत दे डाली। स्टूडेंट्स को बांटे गए सर्टिफिकेट पर उन्होंने चुटकिले अंदाज में अपनी बात रखते हुए कहा कि यदि यह लेमिनेटेड होता तो कितना अच्छा होता। हमारे जमाने में ऐसे सर्टिफिकेट को तो फ्रेम करवाकर घर की दीवार पर टांगते थे। कॉनवोकेशन में गवर्नर मोदी इफेक्ट से सराबोर दिखे। हल्के-फुल्के अंदाज में जहां उन्होंने सभी में व्यक्तित्व सुधारने का मंत्र फूंका तो दूसरी तरफ व्यवस्थाओं पर सलीके से तंज भी कसा। सभागार में मौजूद सभी उनकी इस अदा के कायल हो गया। मल्टिपरपज हॉल में मौजूद सभी टीचर्स, स्टूडेंट्स, पुलिस और डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों समेत आमजन को अपना व्यक्तित्व सुधारने का ब् मंत्र भी दिया। जो कि उनको बीकॉम के प्रोफेसर कॉलेज की पढ़ाई के दौरान दिया था। पहला मंत्र दिया सदा हंसते रहने का, लेकिन ख्याल रहे कि गलत समय पर न हंस पड़ें। दूसरा मंत्र दिया एप्रिसिएशन का चाहे किसी छोटे आदमी ने ही अच्छा काम क्यों ना किया हो, प्रोत्साहित करना चाहिए। तीसरा मंत्र दिया किसी की अवमानना करने से बचें, क्योंकि इससे अपना ही व्यक्तित्व छोटा पड़ जाता है। उनका चौथा मंत्र था कि हर काम को बेहतर तरीके से किया जा सकता है। चौथे मंत्र के जरिए ही उन्होंने आरयू की व्यवस्था पर तंज कसा।

युवा शक्ति ही ले जाएगी राष्ट्र को आगे

उन्होंने युवाओं का आहवान करते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण में युवा शक्ति ही अहम भूमिका निभाती है। लेकिन इसके लिए अपनी संस्कृति और परम्परा से जुड़े रहना बहुत अहम है। इसके पीछे तर्क देते हुए कहा कि पुराने समय में नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्व प्रसिद्ध यूनिवर्सिटीज थे, जहां पर विश्व भर से स्टूडेंट्स पढ़ने आते थे लेकिन आज व‌र्ल्ड के टॉप ख्00 यूनिवर्सिटीज में भारत का एक भी यूनिवर्सिटी शुमार नहीं है। पुराने यूनिवर्सिटीज अपनी परम्पराओं का बेहतर तरीके से निर्वहन किया करते थे। हालांकि आज विश्व के हर कोने में भारत के इंजीनियर्स, डॉक्टर्स और रिसर्च अपनी मेधा का डंका बजा रहे हैं।

मोदी इफेक्ट रहे सराबोर

कॉनवोकेशन के राज्यपाल के कार्यक्रम में मोदी का इफेक्ट साफ नजर आया। इस बात की चर्चा भी आम थी। राज्यपाल ने पहले ही निर्देश दे दिए थे कि वे डायरेक्ट इंट्रेक्ट करेंगे। लिखित भाषण प्रोवाइड नहीं करेंगे। अपनी बात को बहुत ही सहज और सलीके से सभी के समने रखा, जिसमें तंज भी था और खूबियां भीं। अभिभाषण में कई मौके आए जब उन्होंने चुटकी ली। यही नहीं उन्होंने पहले ही निर्देश दे दिए थे कि भोजन में केवल सादा यानि वेज रहेगा और कोल्ड ड्रिंक तो बिल्कुल नहीं। यहां तक कि अंत समय में उन्होंने अपने लिये अलग से मंगाये गये वीवीआईपी सोफे और कुर्सियों को हटवा दिया। कॉनवोकेशन के बाद उन्होंने पीएचडी स्टूडेंट्स के साथ अलग से फोटो सेशन कराया। वह भी स्वयं उन्हें अपने पास बुलाकर। जबकि उनके कार्यक्रम में यह शामिल नहीं था। अमूमन पीएचडी डिग्री धारकों को गवर्नर से मिलने और उनके हाथों डिग्री लेने का अवसर नहीं मिलता है।