यह भी जानें
-170 जर्जर भवन स्वामियों को नगर निगम ने जारी किया था नोटिस
- 20 दिन पहले करीब जारी किया गया था नोटिस
-11 लोगों की मौत मुंबई में जर्जर बिल्डिंग के गिरने से हुई थी
- मुंबई में हादसे के बाद भी शहर में जर्जर भवनों में रह रहे लोग
-नोटिस जारी कर भूला नगर निगम, कभी भी हो सकता है हादसा
-डीजे आईनेक्स्ट ने किया रियलिटी चेक, गिरने की हालत में कई बिल्डिंग
बरेली : हाल ही में मुंबई में जर्जर बिल्डिंग के ढहने से उसमें रहने वाले 11 लोगों की मौत हो गई थी। इसको लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने मंडे को शहर में रियलिटी चेक किया तो स्थिति चौंकाने वाली निकली। पता चला कि शहर में भी कई जर्जर भवन हैं, जहां पर लोग रह रहे हैं। यह जर्जर बिल्िडग कभी भी ढह सकती है जिससे बड़ा हादसा हो सकता है लेकिन हैरत की बात है कि जिम्मेदारों ने अभी तक इन घरों को खाली करने को लेकर कोई भी कार्रवाई नहीं की है। हालांकि 20 दिन पहले नगर निगम नोटिस जारी किया था लेकिन इसके बावजूद लोग इन जर्जर भवनों में रह रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अगर बरेली में ऐसे हादसा होता है तो कौन जिम्मेदार होगा।
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में हेल्थ वर्कर्स के रहने के लिए बने आवासों में करीब 100 से ज्यादा परिवार रह रहे हैं। ये आवास कभी भी ढह सकते हैं। कोरोना से जंग में हेल्थ वर्कर्स का सबसे अहम रोल है। लेकिन यही वर्कर्स जिला अस्पताल के ठीक पीछे बने जर्जर आवासों में रहने को मजबूर हैं। लोगों का कहना है कि जब लगातार बारिश होती है तो रात में सोने में भी डर लगता है जहन में यह सवाल रहता है कि कहीं आवास ढह न जाए।
पुरानी पुलिस लाइंस
चौपुला स्थित पुरानी पुलिस लाइंस में कर्मचारियों के करीब 70 परिवार निवास कर रहे हैं। इस बिल्डिंग का पिछले कई सालों से सौंदर्यीकरण तक नहीं कराया गया है। वही दीवारों पर दरारे पड़ गई है। मानसून का आगाज होने के बाद कभी तो बिल्डिंग की दीवारों में करंट तक आ जाता है। लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदारों ने इन घरों में रह रहे लोगों की सुध नहीं ली।
शहर कोतवाली
शहर कोतवाली में बने आवासों में करीब 50 पुलिस कर्मियों के परिवार निवास करते हैं लेकिन इन परिवारों की रात भी रोज सदमे में गुजर रही है। दीवारों में दरारों के साथ ही गेट पर दरवाजे तक नहीं है। कई बार उच्च अफसरों से सौंदर्यीकरण कराने को कर्मचारियों ने कहा लेकिन आश्वासन के सिवा कोई सुधार नहीं हो सका।
सैटेलाइट
सैटेलाइट स्थित रोडवेज कॉलोनी में भी कई आवास जर्जर हो चुके हैं। लेकिन अन्य कोई इंतजाम न होने के कारण मजबूरन कर्मचारियों को यहां रहना पड़ रहा है। कई आवासों की दीवारों पर पेड़ तक उग आए हैं लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है।
यह है नियम
नगर निगम की ओर से शहर में अभियान चलाकर ऐसे भवनों की पहचान की जाती है, जिनकी हालत जर्जर हो चुकी हो। इसके बाद निगम मकान मालिक को नोटिस जारी कर निर्धारित समय को खाली करने को कहता है। इसके बाद इन भवनों को गिरा दिया जाता है। अगर तय समय में मकान मालिक भवन खाली नहीं करता है या विरोध करता है तो कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।
शहर के 170 भवन स्वामियों को नगर निगम ने नोटिस जारी किया था। भवन स्वामियों को बताया गया था कि भवन जर्जर हैं। खुद ही उनको गिराएं, नहीं तो वह कभी भी गिर सकते हैं। इसमें 40 भवन बेहद खराब स्थिति में पहुंच चुके हैं।
सिर्फ कागजों में कार्रवाई
चीफ इंजीनियर भूपेश कुमार सिंह ने शहर में साल 2017-18 में नगर निगम ने शहर में जर्जर भवनों को चिह्नित करने के लिए अभियान चलाया था। चारों जोन में करीब 170 भवन जर्जर मिले थे। इन भवनों के स्वामियों को नोटिस भी दिए गए, लेकिन न तो भवन स्वामियों ने भवन गिरवाए और न ही नगर निगम ने कोई कार्रवाई की। अब इन्हें नोटिस फिर जारी किया गया है। कुछ भवन खाली हो गए हैं। उनमें ताला पड़ा हुआ है। कुछ भवन है, जिनमें लोग रह रहे हैं। उन्हें खाली करने को कहा गया है, जिस पर निगम ने नोटिस तो जारी किया गया, लेकिन दोबारा इन भवनों की निरीक्षण करने की भी जहमत नहीं उठाई गई। इसकी वजह से लोग अब भी इन जर्जर भवनों में रह रहे हैं जो कभी भी गिर सकते हैं।
प्री मानसून से पहले ही 170 भवन स्वामियों को नोटिस जारी किया गया था। टीम को दोबारा भेजकर निरीक्षण कराया जाएगा वहीं जिन लोगों को नोटिस जा चुका है उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।
संजीव प्रधान, पर्यावरण अभियंता