- एसएसपी, एसपी देहात, एसपी ट्रैफिक के बाद अब एसपी सिटी की रिपोर्ट भी आई पॉजिटिव

- थाने-चौकी की पुलिस से नाखुश, हर दिन आते थे डेढ़ सौ से दो सौ शिकायतकर्ता

बरेली। जिले में कोरोना संक्रमण इस कदर पैर पसार रहा है कि लोगों को बचने का रास्ता ही नजर नहीं आ रहा। फील्ड, बाजारों व अन्य पब्लिक प्लेसेस में काम करने वालों के साथ ही एसी लगे कमरों में बैठने वाले अधिकारी भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। ऐसे ही हाल के चलते पुलिस महकमे के ऑफिसों में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। एसपी आरए फिर एसएसपी और एसपी ट्रैफिक के बाद अब एसपी सिटी की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आने के बाद फरियादियों को इन ऑफिसेज से मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। हालात यूं हैं की यहां आने वाले फरियादी शिकायत प्रकोष्ठ में एक टेबल पर शिकायत पत्र रखवाकर लौटा दिए जा रहे हैं।

मीडिया सेल द्वारा दी जानकारी

ट्यूजडे को एसपी सिटी रवींद्र सिंह ने मीडिया सेल के जरिए अपनी कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट साझा की। साथ ही पिछले कुछ दिनों में उनके संपर्क में आए पुलिसकर्मी व अन्य लोगों से भी उन्होंने टेस्ट कराने की बात कही। एसपी आरए राजकुमार अग्रवाल, एसएसपी रोहित सिंह सजवान और एसपी ट्रैफिक राममोहन सिंह के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद एसपी सिटी ही पूरा शहर संभाल रहे थे। अब ये सारी जिम्मेदारियां एसपी क्राइम सुशील कुमार के कंधों पर हैं।

80 प्रतिशत कम हुए फरियादी

थाने चौकी की कार्रवाई से असंतुष्ट पीडि़त मदद की गुहार लगाने एसएसपी कार्यालय समेत अन्य अधिकारियों के पास शिकायत लेकर पहुंचते हैं, लेकिन इस आपातकाल जैसे स्थिति में पीडि़तों के पास कोई रास्ता नहीं बचा। अधिकारियों के पॉजिटिव होने के बाद इन कार्यालयों में आने वाले फरियादियों की संख्या में 80 प्रतिशत से भी ज्यादा की गिरावट आई है। वहीं जो शिकायत लेकर आते भी हैं उन्हे मायूस होकर लौटना पड़ता है। अब ऐसे में इन मामलों को संबंधित सीओ व थाना प्रभारियों के पास ही जांच के लिए भेजा जा रहा है।

शिकायती पत्र रखो, फिर बस तारीख का इंतजार

कोरोना का खौफ इस कदर ऑफिसेज में फैला हुआ है, कि किसी अंजान को पास बैठना तो दूर पुलिसकर्मी उसका शिकायत पत्र भी नहीं ले रहे। ऐसे ही कुछ एसएसपी ऑफिस में बने शिकायत प्रकोष्ठ के हालात हैं। यहां आने वाले फरियादियों के शिकायती पत्र वहां रखी एक टेबल पर रखवा लिए जाते हैं। सुनवाई नहीं होती। इसके बाद उन्हें तारीख मिलने का इंतजार करने को कहा जाता है। फिर जमा हुए सारे शिकायत पत्रों को संबंधित सीओ के पास भेज दिया जाता है। जोकि फरियादी को बुलाकर उनकी शिकायतें सुनते हैं।