कंट्रोल रूम से ली जानकारी
डीआईजी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुंरत कंट्रोल रूम से पुलिस फोर्स व अधिकारियों की स्थिति के बारे में जानकारी ली। लेकिन कोई संतोष जनक जबाव नहीं मिला। इस पर उन्होंने एसपी सिटी शिव सागर सिंह पर नाराजगी जताते हुए जबाव मांगा। इसके अलावा टाइम पर न पहुंचने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ रपट लिखने के आदेश दिए। डीआईजी एलवी एंटनी देव कुमार का कहना है कि लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
नहीं हुए सिक्योरिटी के इंतजाम
जानकारी के अनुसार संडे को शहर में गणेश उत्सव के चलते तीन जुलूस व कई अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने तथा किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए पुलिस व प्रशासन द्वारा सिक्योरिटी के इंतजाम किए जाने थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पुलिस फोर्स के साथ-साथ अधिकारी भी संडे को छुट्टी मनाते नजर आए। न तो जुलूसों व कार्यक्रमों में टाइम से पुलिस फोर्स पहुंची और न ही जुलूस में पर्याप्त मात्रा में पुलिस फोर्स की व्यवस्था की गई थी। आई नेक्स्ट भी एक खबर के माध्यम से इस समस्या को उजागर कर चुका है। हमारी पड़ताल के दौरान भी पुलिस पिकेट समेत कई जगह पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी पर मौजूद नहीं थे। इसके बाद एसपी सिटी ने खुद इसका संज्ञान लिया था और चेकिंग समेत रजिस्टर मेंटेन करने के निर्देश दिए थे।
समय पर मौजूद नहीं थी फोर्स
डीआईजी ने बताया कि दोपहर में अचानक उन्होंने शहर के हालात का जायजा लिया। जब वह चौकी चौराहे के पास पहुंचे तो देखा वहां पर कोई फोर्स मौजूद नहीं थी। यहां से गणेश मूर्ति का विसर्जन किया जाना था। इसके साथ ही जुलूस भी निकलना था। कार्यक्रम ढाई बजे से शुरू होना था। लेकिन डेढ़ बजे तक कोई फोर्स मौजूद नहीं थी। चौकी चौराहा पर सिर्फ चौकी इंचार्ज व एक अन्य पुलिस कर्मी नजर आया। जब चौकी इंचार्ज से फोर्स के बारे में पूछा गया तो वो संतोष जनक जबाव नहीं दे सके। उसके बाद कंट्रोल रूम से फोर्स की उपस्थिति की जानकारी ली गयी लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला। इस संबंध में कोतवाली से जवाब आया कि अभी फोर्स की जानकारी दी जा रही। जब फोर्स के उपस्थित होने का टाइम पूछा गया तो उसकी भी कोई जानकारी नहीं दी गई। इसके बाद उन्होनें एब्सेंट पुलिसकर्मियों की रपट तैयार करने का आदेश दिया। इसके अलावा एसपी सिटी से भी इस संबंध में जबाव मांगा गया है।
नहीं लिया सबक
डीआईजी एलवी एंटनी ने बताया कि वह मूर्ति विसर्जन के दौरान रामगंगा नदी के पास पहुंचे तो हालत अच्छी नहीं मिली। यहां पर जुलूस में अनवॉन्टेड लोग दिखे। फोर्स भी कम थी। उनका कहना है कि पहले भी यहां पर विसर्जन के दौरान हादसा हुआ था। उस वक्त चार-पांच लोगों की गंगा में डूबने से मौत हुई थी। यहां पर गोताखोर तो लगा दिए गए थे, लेकिन स्नान के लिए नदी में बैरीकेटिंग नहीं की गई थी। शहर में एक माह में दो बार दंगा होने के बाद 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। इसके अलावा कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। कई लोग घायल भी हुए थे लेकिन फिर भी न जाने क्यों पुलिस व प्रशासन के अधिकारी सबक नहीं ले रहे हैं। लगता है कि वो किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहे हैं।