Working women में बढ़ रही frigidity

तेज रफ्तार जमाने के साथ सिटी की वूमेन भी कदम मिला कर चल रही हैं। चाहे वह कॉर्पोरेट हो, गवर्नमेंट सेक्टर हो या बिजनेस। हर फील्ड में सिटी की वूमेन की प्रेजेंस है। वहीं एक सच्चाई यह भी है कि जितनी तेजी से पिछले कुछ सालों में प्रोफेशनल फिल्ड में आधी आबादी की धमक नजर आई है, उतनी ही तेजी से वूमेन में फ्रिजीडिटी (फीमेल इम्पोटेंसी) की प्रॉब्लम भी बढ़ी है। आंकड़ों की मानें तो सिटी की हर 100 में से 15 वूमेन इस प्रॉब्लम को फेस कर रही हैं।

High calorie food से दिक्कत

हैक्टिक शेड्यूल और लॉन्ग सिटिंग आवर्स ने वूमेन की पूरी रूटीन को चेंज कर दिया है। समय की कमी की वजह से वह हाई कैलोरीज और लो न्यूट्रिशन वाला रेडीमेड मार्केट फूड प्रिफर कर रही हैं। इसका रिजल्ट यह हो रहा है कि ज्यादातर प्रोफेशनल वूमेन ओबिसिटी की शिकार हो रही हैं। हालांकि प्रॉब्लम देखने में छोटी लगती है। मगर गाइनेकोलॉजिस्ट भारती सरन के अकॉर्डिंग फ्रिजीडिटी से पीडि़त ज्यादातर वूमेन की प्रॉब्लम का मेन कॉज ओबिसिटी डायग्नोस हो रहा है। खासकर 16 से 55 साल के ऐज ग्रुप में 100 वूमेन में से 15 वूमेन में फ्रिजीडिटी की प्रॉब्लम सामने आ रही है.   

होती हैं दो stage

इंपोटेंसी की प्रॉब्लम मेल और फीमेल दोनों को होती है। फीमेल में इंपोटेंसी की प्रॉब्लम को मेडिकल टर्म में फ्रिजीडिटी कहा जाता है। इसकी दो स्टेज होती है प्राइमरी और सेकेंडरी। डॉक्टर्स के अकॉर्डिंग फीमेल्स के लिए सेफ सेक्सुअल लाइफ 16 से 55 साल तक होती है। अगर इंपोटेंसी की प्रॉब्लम 16 साल के बाद डायग्नोस होती है, तो इसे प्राइमरी स्टेज माना जाता है, जबकि मैरिज के 5 से 10 साल के बाद प्रॉब्लम डायग्नोस होती है तो इसे सेकेंडरी स्टेज कहा जाता है।  

तो हो जाती है frigidity

फ्रिजीडिटी के मेन कॉजेज में लैक ऑफ सेक्स एजुकेशन, साइक्लॉजिकल रीजन और लाइफ स्टाइल जनरेटेड प्रॉब्लम्स ही हैं। हालांकि इस प्रॉब्लम के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार लाइफ स्टाइल जनरेटेड प्रॉब्लम्स ही मानी जाती हैं। डॉ। संजीव के अकॉर्डिंग एकेडमिक एंड वर्किंग लाइफ में एक्स्ट्रीम कॉम्पिटेटीव एटमॉस्फियर, लॉन्ग सिटिंग वर्किंग आवर, इंक्रीजिंग ट्रेंड ऑफ वॉचिंग पोर्नोग्राफी और कंजम्पशन ऑफ फास्ट एंड रेडीमेट मार्केट फूड विद हाई कैलोरीज वर्किंग वूमेन में बढ़ रही डिजीज के सबसे बड़े कारण हैं।  

 

हो जाता है हार्मोनल disbalance  

डॉक्टर्स के अकॉर्डिंग इन सभी कॉजेज से ही ओबिसिटी होती है। इसकी वजह से वूमेन में हार्मोनल डिसबैलेंस हो जाता है। हार्मोनल डिसबैलेंस की वजह लैक ऑफ सेक्सुअल डिजायर की शुरुआत होती है। ये हार्मोन्स स्ट्रीजन, टेस्टोस्ट्रानॉन और अदर एंड्रोजेंस जैसे डीएमईएएस होते हैं। इन हार्मोन्स में बैलेंस बिगडऩे से वूमेंस में फ्रिजीडिटी की प्रॉब्लम सामने आती है।  

कैसे बचाएं खुद को

ये प्रॉब्लम लोगों के घर के टूटने का कारण भी बनती है। ऐसे में इस प्रॉब्लम का समय पर ट्रीटमेंट जरूरी है। कुछ प्रिकॉशंस लेकर इस प्रॉब्लम से बचा जा सकता है। डॉक्टर्स बताते हैं कि हर रोज कम से कम 2 से 3 लीटर पानी पीएं। मिल्क प्रोडक्ट ज्यादा से ज्यादा यूज करें। हाई फाइबर फूड जैसे अमरूद, नासपाती, सेब, अमरूद और आडू खाएं। हैक्टिक शेड्यूल में काम करते हुए कम से कम टेंशन लेने की कोशिश करें।

सिर्फ 20 मिनट exercise  

दिन में सिर्फ 20 मिनट की एक्सरसाइज वरदान साबित हो सकती है। कट्स एंड कर्व की फिटनेस ट्रेनर हर्ष खत्री के अकॉर्डिंग नींद की टाइमिंग में कटौती जरूरी है। सोने का शेड्यूल कम होते ही वूमेन का वेट गेन होना कम हो जाता है। सुबह के वक्त सिर्फ 20 मिनट अगर घर पर जॉगर, साइक्लिंग या लाइट वार्म अप किया जाए तो भी बहुत फायदा होता है। उन्होंनें बताया कि बिना फिटनेस ट्रेनर के खास एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए। खासकर उन्हें जिन्हें सरवाइकल की प्रॉब्लम होती है।

दिन में 5 से 6 बार लें हल्की diet   

न्यूट्रीशियनिस्ट डॉ। रितू राजीव बताती हैं कि अगर वर्किंग वूमेन डाइट चार्ट को फॉलो करें तो खुद को कई तरह की प्रॉब्लम्स से बचा सकती हैं। दिन में दो बार हैवी डाइट लेने से ज्यादा 5 से 6 हल्की डाइट लेना ज्यादा बेनिफीशियल होता है। अर्ली मॉर्निंग गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद के साथ बादाम ब्रेक फास्ट टोंड मिल्क के साथ दलिया, मुस्ली या ज्वार ले सकते हैं। दूध के साथ 3 अंडे भी ले सकते हैं। ऑमलेट और एक कप दूध का कॉम्बिनेशन भी अच्छा है। ऑफिस के लिए एक पैकेट पॉपकॉर्न, चने का पैकेट या फ्रूट ले सकते हैं। टिफिन में     जहां तक पॉसिबल हो ऑयली खाना न लें। दही, रोटी और मौसमी सब्जियां ही खाएं। इवनिंग में वापस आकर सूप के साथ हाई फाइबर बिस्किट ले सकते हैं। डिनर 9 बजे से पहले डिनर जरूर कर लें। दाल, सब्जी रोटी और साथ में सलाद जरूर होना चाहिए।

Nonveg का diet chart

-नॉनवेज में ग्रेवी की जगह रोस्टेड मीट प्रिफर करना चाहिए।

-डिनर लाइट होना चाहिए इसलिए नॉनवेज को डिनर के समय नहीं लेना चाहिए। ब्रेकफास्ट और लंच में नॉनवेज ले सकते हैं।

-नॉनवेज फूड में 50 से 55 परसेंट तक कार्बोहाड्रेट 15 से 20 परसेंट फैट और 30 से 35 परसेंट प्रोटीन होना चाहिए।

-डेली मीट खाने से बचें, फिश और एग को डेली मील में शामिल कर सकते हैं।

वर्किंग कल्चर में बदलाव के साथ फ्रिजीडिटी की प्रॉब्लम बढ़ती जा रही है। मेरे पास मैक्सिमम केसेज ऐसे आते हैं। ओबिसिटी सिर्फ एक प्रॉब्लम नहीं, बल्कि प्रॉब्लम्स का बंच है।

डॉ। संजीव अग्रवाल, सोलर फर्टीलिटी सेंटर

प्रोफेशनल वूमेन में सबसे बड़ी प्रॉब्लम होती है कि वह फिजिकल प्रॉब्लम को ज्यादातर नजरअंदाज करती हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। लेट डायग्नोस होने पर ट्रीटमेंट में उतनी ही प्रॉब्लम आती है।

डॉ। वंदना, गाइनेकोलॉजिस्ट

अक्सर देखा गया है कि वूमेन डाइटिंग के जरिए वेट कम करना चाहती हैं, वहीं ज्यादा भूख लगने पर एक साथ खाना खाती हैं। ये ज्यादा नुकसान दायक है। दिन में कम से कम 5 से 6 हेल्दी फूड होना चाहिए।

डॉ। रितू राजीव, न्यूट्रीशियनिस्ट

हर दिन सुबह कुछ वक्त अपने लिए निकालना चाहिए। 15 से 20 मिनट का वर्कआउट कई समस्याओं से एक साथ निजात दिलाने में मददगार होता है।

हर्ष खत्री, फिटनेस ट्रेनर     

Report by: abhishek.mishraa@inext.co.in