बरेली (ब्यूरो)। ब्रिटेन से बीते 26 नवंबर को बरेली पहुंचे एनआरआई की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद स्वास्थ्य महकमे में अफरा-तफरी है। हैरत की बात तो यह है कि बरेली में तीन दिन तक अपने पिता से मिलकर कोरोना संक्रमित एनआरआई वापस विदेश लौट गया लेकिन उसकी कांटेक्ट ट्रेसिंग नहीं हो सकी। लेकिन अब लापरवाही की परतें खुलने लगी है। बता दें कि सर्विलांस टीम की ओर से कड़ी मशक्कत के बाद संक्रमित एनआरआई की कांटेक्ट ट्रेसिंग कर युवक के पिता से बात की तो मंडे को बताया कि उसने शहर की फोकस और एल्फा लैब में कोरोना जांच कराई थी, बीती तीन दिसंबर को एल्फा लैब की निगेटिव जांच रिपोर्ट आने के बाद वह शहर से वापस लौट गया। लेकिन अगले दिन यानि चार दिसंबर को फोकस लैब की जांच में वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। अब इसमें कहीं न कहीं प्राइवेट लैब की कार्य कुशलता पर सवाल उठना लाजमी है।

जीनोम को भेजा गया सैंपल
कैंट सदर बाजार में पिता से मिलने आया एनआरआइ कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट का शिकार तो नहीं, इसका पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग सैंपल की रिपोर्ट जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए मंडे को लखनऊ स्थित किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी यानि केजीएमयू भेजा गया। रिपोर्ट आने के बाद कोरोना संक्रमण के वैरिएंट की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

सवालों के घेरे में फोकस लैब
प्राइवेट लैब की लापरवाही के चलते समय पर एनआरआई को सर्विलांस टीम ट्रेस नहीं कर सकी। लेकिन फोकस और एल्फा दोनों लैब सवालों के घेरे में आ गईं है। इसलिए ही मामले में कहां लापरवाही की गई है इसकी जानकारी के लिए एसीएमओ प्रशासन डॉ। हरपाल सिंह और आईडीएसपी प्रभारी डॉ। अनुराग गौतम की टीम ने छापा मारी की। वहीं फोकस लैब कर्मियों से ली गईं जानकारी के अनुसार एनआरआई के मोबाइल नंबर पर अभी तक स्वास्थ्य विभाग की टीम का संपर्क नहीं हो पाया है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की टीम को एनआरआई के पिता ने बताया है कि बेटे से उनकी बात हुई है, वो ब्रिटेन पहुंच गया है। ऐसे में साफ है कि कहीं न कहीं से युवक ने अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट से उड़ान भरने के लिए फर्जी निगेटिव आरटी-पीसीआर रिपोर्ट का इंतजाम किया। क्योंकि उसके डेटा में फोकस लैब के टेक्नीशियन का नंबर था, ऐसे में निजी लैब कर्मी भी पूरे मामले में संदेह के घेरे में है।


फोकस लैब को पहले भी दिया जा चुका है नोटिस
बता दें कि एनआरआई को चार दिसंबर की शाम दिल्ली से अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट के जरिए वापस ब्रिटेन जाना थाए इसलिए इससे संबंधित दस्तावेज लैब पर तीन दिसंबर को दर्ज कराकर उन्होंने सैंपलिंग कराई थी। ब्रिटिश पासपोर्ट पर बरेली का मूल निवासी होने की ही बात थी, पूरा पता नहीं दर्ज था। ऐसे में फोकस लैब को स्थानीय पता और मोबाइल नंबर लेना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस वजह से ही पाजिटिव रिपोर्ट आने के बाद एनआरआई को समय पर ट्रेस नहीं किया जा सका। टीम के पहुंचने से पहले ही एनआरआई ब्रिटेन के लिए रवाना हो चुका था।

वर्जन
फोकस और एल्फा लैब का औचक निरीक्षण कर किया गया, युवक के पिता से फोन पर बात करने पर इसका खुलासा हुआ है कि उसने तीन दिसंबर को युवक ने एल्फा लैब में भी कोरोना जांच कराई थी, जो कि निगेटिव आने के बाद शहर से वापस गया है हालांकि अगले ही दिन अन्य लैब से पॉजिटिव आने पर दोनों ही लैब की भूमिका संदिग्ध है। पक्ष के आधार पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ.अनुराग गौतम, प्रभारी, आईडीएसपी