-हॉस्पिटल में पेशेंट के एडमिट कराने के लिए पेशेंट के तीमारदारों को करनी पड़ रही मशक्कत
-शमशान में शव ले जाने के लिए भी चल रही वेटिंग, शवों के अंतिम संस्कार को भी लाइन
केस:-1 तीन घंटा में मिला शव वाहन
शहर के सैटेलाइट के पास रहने वाले एक युवक के पिता की मौत हो गई। युवक ने बताया कि उसने शव वाहन से शव ले जाने के लिए कॉल की तो बताया कि वाहन अभी नहीं तीन घंटा बाद मिल पाएगा। तब तक शव की अंतिम यात्रा के लिए तैयारी पूरी कर लीजिए। इसके बाद दिए समय से कुछ देर बाद शव वाहन आया और शव को अंतिम संस्कार के लिए लेकर गया। इसके बाद अंतिम संस्कार के लिए इंतजार भी करना पड़ा और परेशान भी हुए।
केस-2
सुभाषनगर एरिया में एक रिलेटिव की मौत हो गई। अंतिम संस्कार के लिए शव ले जाने के लिए सुबह दस बजे शव वाहन मंगवाने के लिए फोन किया। लेकिन बताया कि शव वाहन अभी कहीं शव लेकर जा रहा है। उसके बाद दो शव और ले जाएगा इसके बाद ही आपको वाहन मिल पाएगा। टाइम पूछने पर बताया कि अभी चार घंटा करीब टाइम लगेगा जाएगा। इसके बाद दूसरे शव वाहन को फोन किया तो उसने भी वेटिंग टाइम दिया, किसी तरह चार घंटे बाद ही वाहन मिला।
बरेली:
कोरोना का कहर लोगों पर मुसीबत बनकर टूट रहा है। हॉस्पिटल्स में बेड और ऑक्सीजन के लिए तीमारदार भटक रहे हैं। हर तरफ लंबी लाइन ही नजर आ रही है। इतना ही नहीं अब तो शमशान भूमि पर अंतिम संस्कार के साथ 'स्वर्ग' धाम ले जाने वाले वाहनों में भी 4-6 घंटे तक की वेटिंग चल रही है। हालांकि यह सभी स्वर्गधाम वाहन सामान्य रूप से हुई मौत वाले शव को ही शमशान भूमि तक पहुंचा रहे हैं जबकि कोविड मृतकों के शव एम्बुलेंस से ही सीधे शमशान भूमि भेजे जा रहे हैं।
4-6 घंटे तक वेटिंग
शहर में स्वर्गधाम वाहन ड्राइवर्स की माने तो सामान्य दिनों में उनके पास सिर्फ 3-4 कॉल ही आती थी जिसके लिए वह समय रहते अटेंड कर लेते थे। क्योंकि एक शव को ले जाने में दो घंटा औसतन लग जाता है। लेकिन अब तो एक ही दिन में दर्जन भर से अधिक कॉल अटैंड करनी पड़ रही हैं। ऐसे में उनके पास जो कॉल आती है उसके लिए वह वेटिंग में टाइम देते हैं। इसके लिए पहले ही बता दिया जाता है कि वाहन आने तक शव को ले जाने की तैयारी पूरी कर लें ताकि शव वाहन दूसरी जगह जाए तो उन्हें भी परेशानी न हो। इसके लिए अब वाहन का रुकने का टाइम भी दो घंटा की जगह एक घंटा से कम ही कर दिया है।
समाजसेवी संस्थाएं चलवा रही वाहन
शहर में किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद शमशान तक शव ले जाने के लिए शहर में कई समाजसेवी संस्थाओं के वाहन संचालित हो रहे हैं। यह सभी संस्थाएं शमशान भूमि तक शव पहुंचाने के लिए दूरी के हिसाब से खर्चा लेती हैं। ताकि मृतक के परिजनों को कोई प्रॉब्लम न हो।
-सामान्य दिनों की अपेक्षा इस वक्त शव वाहन के लिए अधिक डिमांड बढ़ी है। लेकिन हम तो सामान्य मौत से होने वाले शव को ही ले जाते हैं। कोविड पेशेंट के लिए तो एम्बुलेंस ही आती है। शहर में संस्था के जो भी वाहन हैं वह नॉन कोविड शव ही ले जाते हैं।
अर्जुन, लाइंस क्लब संस्था
-पंजाबी महासभा की तरफ से शहर में दो शव वाहन संचालित हो रहे हैं। यह बात ठीक है कि अब सामान्य दिनों की अपेक्षा शव वाहन की कुछ दिनों से अधिक डिमांड बढ़ी है। इससे वेटिंग भी हो रही है। लेकिन शव वाहन जरूरतमंद को आसानी से मिल जा रहे हैं।
देवराज चंडोक, महामंत्री, पंजाबी महासभा