बरेली(ब्यूरो)। नंदन वन स्कीम से बरेली सिटी महकेगा। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट शहर के करीबी इलाकों में फूलदार पौधे रोपे जाएंगे। नंदन वन सीबीगंज में रेलवे की खाली पड़ी जमीन पर बनाया जाएगा। यह ही नहीं शहर की तमाम जगहों पर इन पौधों को रोपा जाएगा। इससे पूरा सिटी ही खिला-खिला सा नजर आएगा। शहर के दूसरे एरिया भी चिह्नित किए जा रहे हैं, जहां नंदन वन डेवलप किए जाएंगे। यहां पर एक हजार तक पौधे रोपे जाएंगे। यकीनन इससे शहर की खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे। इसी महीने में पौधे रोपे जाने का काम शुरू किया जा रहा है। इसके लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। लोगों को अवेयर भी किया जा रहा है ताकि उनका भी इस स्कीम में कोऑपरेशन हो।

चंपा-चमेली खुशबू तो गुलमोहर बिखेरेगा छटा
वन विभाग के मुताबिक शहर में विकसित किए जा रहे नंदन वन में तमाम तरह के फूलदार पेड़ रोपे जाएंगे। इनमें हरश्रृगांर, चंपा, चमेली, गुलमोहर, अमलताश, चांदनी, बोगेनवेलिया, कैमेलिया, सर्पगंधा, करौंदा, इंद्रजौ, कोरैय्या, पिलवा, घोंट, फराश, मोरपंखी, कठनीम, झरबेरी, झाऊ, धौला, मौला, हिंगोट, फाइकस बैंजामिना, बाटलब्रस, गुड़हल, क्रोटन, कनेर, कदम्ब आदि पौधे शामिल हैं।

भगवान इंद्र के वन का नाम है नंदन
नंदन का मतलब होता है आनंद देने वाला, प्रसन्न करने वाला। नंदन वन भगवान इंद्र के उपवन का नाम है। माना जाता है कि यह स्वर्ग में अवस्थित है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक यह सबसे सुंदर स्थानों में से एक है। यहां देवराज इंद्र सुखपूर्वक विहार करते हैं। नंदन वन भले ही फारेस्ट डिपार्टमेंट डेवलप कर रहा है, लेकिन उसकी जिम्मेदारी नगर निगम को दी जाएगी। नगर निगम इसका रखरखाव करेगा।

बदलेगी तस्वीर
शहर में घूमने-फिरने के लिए यूं तो कई पार्क हैं, लेकिन नंदन वन ऐसी जगह होगी जहां सिर्फ और सिर्फ फूलों के पेड़ होंगे। पौधों का चुनाव करते हुए इस बात का ख्याल रखा गया है कि नंदन वन बारहोमास सुंदर बना रहे और महकता रहे। जहां गर्मियों में तमाम तरह के पौधे फूल देना बंद कर देते हैं तो यहां गुलमोहर, अमलतास और कदंब अपने खूबसूरत फूलों से उपवन को सुंदर बनाएंगे। वहीं हर श्रृंगार और चंपा जैसे फूल खुश्बू बिखेरेंगे। नंदन वन से बहकर जाने वाली हवा आसपास के इलाके को महका देगी।

बोले अधिकारी
जिले में नंदन वन बनाया जाएगा। इसे सीबीगंज में रेलवे की जमीन पर बनाया जाएगा। इसके साथ ही शहर में भी पौधे लगाए जाएंगे। इनकी देखभाल भी सुनिश्चत कराई जाएगी।
समीर कुमार, डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर