बरेली (ब्यूरो)। गोशाला से निकलने वाले गोबर से अब देशी खाद ही नहीं उपयोगी गोकाष्ठ बनाए जाएंगे। इसके लिए शहर के सिटी शमशान भूमि के पास बनी गोशाला में गोकाष्ठ बनाने के लिए दो मशीने लगाई जा रही हैं। मशीनें 3 मार्च को बरेली पहुंच जाएंगी और चार मार्च से गोकाष्ठ बनाने का काम भी शुरू हो जाएगा। इन मशीनों को लगवाने का काम कोई और नहीं बल्कि इनर व्हील क्लब ऑफ बरेली साउथ की तरफ से किया जा रहा है। संस्था के पदाधिकारियों की मानें तो वह मशीनों को गोशाला में दान कर पर्यावरण संरक्षित करने के लिए बढ़ावा देना चाहते हैं। ताकि पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को भी अवेयर किया जा सके।
लोगों में आएगी अवेयरनेस
इनर व्हील क्लब ऑफ बरेली साउथ के पदाधिकारियों की मानें तो संस्था प्रदूषण कम करने के लिए कुछ काम करना चाहती थी। इसी दौरान विचार आया कि क्यों ने गोशाला से निकलने वाले गोबर से गोकाष्ठ बनाने की मशीन लगा दी जाए। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है। इसके बाद क्लब के सभी मेंबर्स ने गोशाला के जिम्मेदारों से अनुमति ली और दो मशीन गोकाष्ठ बनाने की दान में देने की बात कही। जिस पर दोनों में सहमति बनी और अब गोकाष्ठ बनाने के लिए 3 मार्च को गोशाला में दो मशीनें राजस्थान से पहुंच जाएंगी। इनर व्हील क्लब ऑफ साउथ की अध्यक्ष स्वीटी मित्तल का कहना है कि इससे दूसरे लोगों में भी पर्यावरण सरंक्षण के प्रति अवेयरनेस बढ़ेगी।
वृक्ष होंगे संरक्षित
डेली गोकाष्ठ बनाने वाली दोनों मशीनें 8 घंटा में 10 कुंतल गोकाष्ठ तैयार करेंगी। इससे जो गोकाष्ठ तैयार होगा उसे शमशान भूमि पर यूज किया जा सकेगा। इससे शमशान भूमि पर चिताओं का जलाने के लिए यूज होने वाली लकड़ी का भी यूज कम होगा। ये गोकाष्ठ लकड़ी से अपेक्षा सस्ता भी होगा। इसीलिए इसका उपयोग लकड़ी की अपेक्षा सस्ता भी रहेगा, और लोग इसका उपयोग भी करेंगे। इससे पेड़ों का कटान भी कम होगा।
छह सौ गायें हैं गोशाला में
सिटी शमशान भूमि के पास बनी गोशाला में करीब छह सौ गाय पाली जा रही हैं। इन सभी गायों के गोबर को अभी तक तो सिर्फ देशी खाद बनाने के लिए यूज किया जाता था। लेकिन अब इससे कुछ नवाचार और पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी बेहतर हो सकेगा। क्योंकि अब गोबर से गोकाष्ठ बनाया जाएगा। जो काफी उपयोगी भी होगा। जानकारों की मानें तो छह सौ गायों से डेली 30-35 कुंतल करीब गोबर निकलता है।
ये होंगे फायदे
आठ से दस परसेंट तक लकड़ी के मुकाबले कम होगा कार्बन उत्सर्जन
पेड़ों की हो रही कटाई में आएगी कमी, पर्यावरण होगा संरक्षित
लकड़ी से कम दाम में मिलेगी गोबर से बनी लकड़ी
कम कार्बन उत्सर्जन से काफी हद तक वायु प्रदूषण से राहत मिलेगी
महिलाओं को भी मिलेगा रोजगार
गोशाला में 600 गायें हैं, जिसमें से 40 गाय दूध देती है, जबकि 560 गाय अभी दूध नहीं देती हैं। गायों का जो गोबर है, उस से अब गोकाष्ठ बनाया जाएगा। इसके लिए निजी संस्था की तरफ से दो मशीने दान में मिली हैं। गोकाष्ठ बनने से पर्यावरण संरक्षित होगा साथ ही प्रदूषण काम होगा। गोकाष्ठ लकड़ी की अपेक्षा सस्ता भी होगा।
राजीव बूबना, अध्यक्ष गौशाला नियर सिटी शमशान भूमि