बरेली (ब्यूरो)। रेबीज की बीमारी जानलेवा साबित होती है। कुत्ता, बिल्ली, बंदर, सियार जैसे जानवरों के काटने पर एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाकर खुद को सुरक्षित किया जा रहा है। कुत्ता और बंदरों के हमला कर लोगों को जख्मी करने की घटनाएं तो पहले से होती आ रही हैं, हाल के महीनों में सियार भी लोगों को जख्मी कर रहे हैं.गनीमत यह है कि एंटी रेबीज वैक्सीन शहर में 300 बेड अस्पताल से लेकर पीएचसी, सीएचसी तक एआरवी के इंजेक्शन लग रहे हैं।

सबसे अधिक बंदरों से घालय
शनिवार को रेबीज दिवस है। इस बहाने पिछले अप्रैल अगस्त माह तक जिले में कुत्ता, बिल्ली, बंदर और सियार काटने पर एआरवी लगवाने की स्थिति और उपलब्धता का आंकलन किया गया। अप्रैल माह से लेकर अब तक सबसे ज्यादा बंदरों ने लोगों को जख्मी किया है.अप्रैल माह में कुत्तों के काटने पर 11,500, बिल्लियों के काटने पर 768, बंदरों के काटने से 3739 और सियार व अन्य जानवरों के काटने पर 185 लोगों को एआरवी के इंजेक्शन लगाए गए। मई महीने में कुत्ता काटने से 10,531, बिल्ली काटने से 574, बंदर काटने से 3603, सियार व अन्य जानवरों के काटने पर 129 लोगों ने इंजेक्शन लगवाए। जून माह में कुत्ता काटने पर 9,902, बिल्ली काटने पर 853, बंदर काटने पर 3820, अन्य जानवरों के काटने पर 138 इंजेक्शन लगाए गए। जुलाई माह में कुत्ता काटने पर 11,356, बिल्ली काटने पर 1166, बंदरों के काटने पर 4,737 और सियार व अन्य जानवरों के काटने पर 588 लोगों ने एआरवी के इंजेक्शन लगवाए। अगस्त महीने में 11,531 लोगों को बंदरों ने, 1196 लोगों को बिल्लियों ने, 4,737 लोगों को बंदरों ने और 588 लोगों को अन्य जानवरों ने जख्मी किया है जिसमें सियार भी शामिल हैं। पिछले दो महीनों में सियार के हमले ने 34 लोगों को जख्मी किया था, जिनका उपचार कराया गया और वन विभाग की टीमों ने गांवों में कांङ्क्षबग भी की। रेबीज की बीमारी से लोगों को बचाने के लिए विगत वर्षों की अपेक्षा इस साल एआरवी की उपलब्धता बनी रही है।

वर्जन
रोजाना 200 से 250 मरीजों को एआरवी के इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। कुत्ता, बंदर, बिल्ली, सियार काटने पर मरीजों को एआरवी की तीन डोज दी जा रही है। पिछले अप्रैल माह से एआरवी की भरपूर उपलब्धता है। समय पर डिमांड पूरी हो रही है, किसी को कोई दिक्कत नहीं हो रही है।
- डा.वैभव शुक्ला, एआरवी प्रभारी 300 बेड अस्पताल