- साइलेंस जोन में कहीं नहीं दिखा साइन बोर्ड

- नॉइज पॉल्यूशन मानक से 30 डेसीबल ज्यादा

- कार्रवाई के नाम पर डिपार्टमेंट में भी सिफर

BAREILLY: सिटी में एक दर्जन से अधिक साइलेंस जोन है, लेकिन इसकी परवाह किसी को नहीं। आलम यह है कि प्रजेंट टाइम में साइलेंस जोन सिर्फ कागजों में ही रह गया है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक इस जोन में हॉस्पिटल, एजुकेशन इंस्टीट्यूट, और कोर्ट के 100 मीटर के दायरे में हॉर्न, लाउड स्पीकर्स और पटाखे जलाना प्रतिबंधित होता है। नियम तोड़ने वालों पर एक्शन लेने का जिम्मा पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और ट्रैफिक पुलिस का होता है, लेकिन जिम्मेदारों ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति की है। नतीजा साइलेंस जोन में नॉइज पॉल्यूशन लेवल अपने चरम पर है।

शोरबाजी का टशन

नियमों की धज्जियां उड़ाने में वीआईपी गाडि़यों से लेकर पब्लिक ट्रांसपोर्ट तक शामिल है। इस पर नकेल कसने के बजाय डिपार्टमेंट चुप बैठा है। ज्यादातर युवा शो ऑफ के लिए प्रेशर हॉर्न का यूज करते हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश शासन लिखे व्हीकल्स भी इसमें पीछे नहीं है। सिटी में एक दर्जन से अधिक साइलेंस जोन है, लेकिन इसकी जानकारी और नॉइज पॉल्यूशन से बचने के लिए अवेयरनेस की कमी है। सिटी के वाहन चालक साइलेंस जोन के बारे में उतने अवेयर नहीं है। वहीं इनके आस-पास इनकी इंफॉर्मेशन देने वाले साइन बोर्ड न के बराबर है।

साइलेंस जोन का दर्द ए हाल

कोर्ट हो या फिर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल सभी को साइलेंस जोन का दर्द झेलना पड़ रहा है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में डेली 2,000 नए पेशेंट ओपीडी में आते हैं, जबकि उनके साथ आपने वाले अटेंडेंट की संख्या भी हजारों में होती है। वही दूसरी ओर कोर्ट में भी वकीलों और केस की सुनवाई के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग पर डे पहुंचते हैं। कैंट एरिया छोड़ दिया जाए तो कोर्ट और डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के आस-पास नॉइज पॉल्यूशन की स्थिति स्टैंडर्ड मानक से कहीं अधिक है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नियम के मुताबिक दिन में इन क्षेत्र का मानक 50 डेसीबल होना चाहिए, लेकिन प्रजेंट टाइम में इन में नॉइज पॉल्यूशन 70 से 80 डेसीबल के बीच पहुंच गया है।

व्हीकल्स की बढ़ती संख्या भी जिम्मेदार

ऑफिसर्स की लापरवाही के साथ ही सिटी में हर साल बढ़ रहे वाहनों की संख्या इसके लिए जिम्मेदार है। आरटीओ ऑफिस में रजिस्टर्ड्र बाइक, जीप, ऑटो, टैक्टर, ट्रक और बस सहित अन्य व्हीकल्स की संख्या 6 लाख से भी अधिक है। व्हीकल्स द्वारा निकले वाले पॉल्यूशन की जांच के लिए कोई प्रॉपर व्यवस्था नहीं है, जिस वजह से सिटी में बढ़ रहे पॉल्यूशन को कंट्रोल करना मुश्किल होता जा रहा है।

कई डिजीज होने की संभावना

डॉक्टर्स की मानें तो शोरगुल से बच्चों में कॉन्सन्ट्रेशन की क्षमता पर निगेटिव इफेक्ट पड़ता है। उनमें चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है। यूथ में तनाव का बढ़ना भी इसी के साइड इफेक्ट में से एक है। खासकर हमारी वर्क एफीशिएंसी पर नॉइज पॉल्यूशन का बूरा असर पड़ता है। सीनियर सिटीजन्स में मेमोरी लॉस होता है। इस तरह की समस्याओं को उत्पन्न करने वाली चीजों से बचना ही सही है। लोगों को वाहनों में प्रेशर हॉर्न या हूटर्स यूज करने से बचना चाहिए। साइलेंस जोन और भीड़भाड़ वाले जगहों पर बेवजह हॉर्न का यूज नहीं करना चाहिए।

कार्रवाई के क्या है प्रोसेस

सीपीसीबी के नियमों की अनदेखी पर बकायदा कार्रवाई का प्रावधान है। गाडि़यों में प्रेशर हॉर्न और हूटर्स यूज करते पाए जाने पर 1,000 रुपए जुर्माना लगाया जा सकता है, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही का ही नतीजा है कि प्रजेंट टाइम में साइलेंस जोन में नॉइज पॉल्यूशन स्टैंडर्ड मानक से कहीं अधिक है।

नॉइज पॉल्यूशन स्टेट्स

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के न्वॉयेज पॉल्यूशन की गाइडेंस

एरिया - नाइट - डे

साइलेंस - 40 - 50

रेजिडेंशियल - 45 - 55

कॉमर्शियल - 55 - 65

इंडस्ट्रियल - 70 - 75

नोट- (आंकड़े डेसीबल में दिन 6 am - 9 pm और रात 9 pm - 6 am.)

व्हीकल्स हॉर्न के लिए लिमिट्स

वाहन - स्टैंडर्ड

टू एंड थ्री व्हीलर - 80

फोर व्हीलर - 82

कॉमर्शियल - 85

पैसेंजर - 91

नोट- व्हीकल्स की डीटेल्स लिमिट्स सीपीसीबी की वेबसाइट www.cpcb.nic.in/Noise_Standards.php पर भी देखी जा सकती है।

टाइम टू टाइम जांच होती है। पब्लिक को अवेयर करना होगा। ट्रैफिक पुलिस की जिम्मेदारी है कि वे प्रेशर हॉर्न और हूटर्स यूज करने वालों पर कार्रवाई करें।

-- आरके त्यागी, रीजनल ऑफिसर, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, बरेली रीजन