थानों में नहीं लग रही सहायक दिवसाधिकारियों की ड्यूटी
पब्लिक की हेल्प के लिए बनायी गई थी सेल
BAREILLY:
पुलिस थानों में अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए पहुंचने वालों को दर दर की ठोकर न खानी पड़ इसके लिए शासन ने सभी थानों में हेल्प डेस्क बनाने का फरमान जारी किया था। हेल्प डेस्क पर पहुंचने वाली पब्लिक को कोई परेशानी न उठानी पड़ी इसके लिए बाकायदा मेल और फीमेल पुलिस वालों की तैनाती की व्यवस्था की गई थी। लेकिन ऐसा लगता है कि इस हेल्प डेस्क को अब खुद ही हेल्प की दरकार है। चलिए सिटी के प्रमुख थानों की हेल्प डेस्क की आपको असलियत दिखाते हैं।
इनकी ड्यूटी की गई थी फिक्स
पुलिस अधिकारियों के पास अक्सर लोग शिकायत लेकर पहुंचते हैं कि थानों पर उनकी सुनवाई नहीं होती है। पिछले साल पब्लिक को दौड़-भाग से बचाने के लिए तत्कालीन एसएसपी आकाश कुलहरि ने सभी थानों में हेल्प डेस्क की तर्ज पर एक सेल का गठन किया था। इस सेल में सभी थानों पर एक एसआई रैंक का दिवसाधिकारी और उसके अंडर में दो सहायक दिवसाधिकारी की ड्यूटी लगाई गई थी, जिसमें एक कांस्टेबल व एक लेडी कांस्टेबल की ड्यूटी फिक्स की गई थी। इन दिवसाधिकारियों की जिम्मेदारी थी कि थानों में आने वाला कोई भी फरियादी वापस ना जा सके। सभी को रजिस्टर्स मेंटेन करने के लिए कहा गया था। कुछ महीनों तक सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा, लेकिन फिर सब कुछ पुराने ढर्रे पर आ गया। क्या है थानों का हाल आइए आपको बताते हैं
थाना -कैंट टाइम- क्क्:ब्भ् एएम
थाना है या मयखाना
थाने में पहुंचते वही हाल मिला जिसकी हमें उम्मीद थी। थाना में काफी लोग अपनी एसएचओ के रूम के बाहर मौजूद थे। वहीं थाना के ऑफिस के बाहर कुर्सियों पर कुछ एसआई व लेडी कांस्टेबल आपस में बातें कर रहे थे। जब उन लोगों से पूछा गया कि सहायक दिवसाधिकारी की टेबल कौन सी और किसकी ड्यूटी लगी है तो बताया गया कि एक लेडी कांस्टेबल की डयूटी लगी है। जब पुरुष कांस्टेबल के बारे में पूछा तो जवाब आया कि पहले अंकुर की डयूटी लगती थी, लेकिन छह महीने से किसी की ड्यूटी नहीं लग रही है, जिस लेडी कांस्टेबल की ड्यूटी थी वो भी नई अप्वाइंट हुई थी और उनके पास पूरा बैग भी नहीं था। हां, एक रजिस्टर जरूर रखा हुआ था। यही नहीं थाना के अंदर के ऑफिस में तीन-चार बाइक खड़ी थीं और गेट के कोने पर ऑटो के साइड में शराब की बोतलें पड़ी हुई थीं, जिससे साफ था कि रात में थाना मयखाना बन जाता होगा। जब थाना से वापस जाने लगे तो सहायक दिवसाधिकारी को इंट्री कराने की याद आ गई।
थाना-बारादरी टाइम- क्ख्:क्भ् पीएम
साहब किसकी पर्ची काटनी है
यहां तो कैंट से भी ज्यादा खराब स्थिति मिली। यहां किसी भी सहायक दिवसाधिकारी की ड्यूटी ही नहीं लगाई गई थी। हेल्प डेस्क पूरी तरह से खाली पड़ी हुई थी। हां, थाना के एक साइड में दिवसाधिकारी हसीन जरूर मौजूद थे। जब इस बाबत पूछा तो बताया गया कि दूसरे कामों में ड्यूटी लगाई गई है। पहले संध्या की ड्यूटी लगती थी, उसका ट्रांसफर हो गया है और अब रानी की ड्यूटी लगाई जाती है। जब इस बारे में इंस्पेक्टर से पूछा तो जवाब मिला जब वो बैठे हैं तो फिर दूसरों की क्या जरूरत। उन्होंने एक लेडी कांस्टेबल को बुलाकर पूछा और कहा कि कोई तो आने वालों की पर्ची काटकर दे दे। इस पर कांस्टेबल ने भी कहा बताओ सर किसकी पर्ची काटनी है।
थाना-प्रेमनगर टाइम- क्ख्-ब्भ् पीएम
लेडी कांस्टेबल मेडिकल कराने गई हैं
अन्य थानों की तरह यहां हालात ठीक नहीं थे। सहायक दिवसाधिकारी की टेबल पूरी तरह से खाली पड़ी हुई थी और दो महिलाएं भी बैठी हुई थीं। कुछ देर बाद उस पर एक एसआई आकर बैठ गया, लेकिन उनकी ड्यूटी दिवसाधिकारी के रूप में नहीं थी। जब ऑफिस में जाकर पूछा गया तो बताया गया कि कई महीनों से जेंटस सहायक दिवसाधिकारी की ड्यूटी नहीं लगती है। क्योंकि थाना में स्टाफ की कमी है। लेडी कांस्टेबल की ड्यूटी लगायी गई थी, लेकिन वो आरोपी का मेडिकल कराने गई हैं।
थाना- कोतवाली टाइम- क्ख्:भ्भ्
पुरुष कांस्टेबल की ड्यूटी नहीं लगती
सिटी का सबसे अहम और बड़ा थाना कोतवाली है। इस थाना में आए दिन पुलिस अधिकारियों की मीटिंग होती रहती है। सीओ का ऑफिस भी इसी के अंदर बना हुआ है और एसपी सिटी का ऑफिस भी चंद कदमों की दूरी पर है, लेकिन यहां भी हेल्प डेस्क सिर्फ नाम की ही रह गई है। यहां मौके पर लेडी कांस्टेबल अपनी ड्यूटी करते दिखीं, लेकिन जेंटस कांस्टेबल की यहां ड्यूटी ही नहीं लगाई जाती है। पहले एक जेंटस कांस्टेबल की ड्यूटी लगती थी, लेकिन कई महीनों से ड्यूटी नहीं लगती है।
पब्लिक की सुनवाई थानों पर हर हाल में होनी चाहिए। अगर थाने में हेल्प डेस्क पर सहायक दिवसाधिकारियों की ड्यूटी नहीं लगाई जा रही या फिर वो गायब मिल रहे हैं तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। शासन के आदेशों का पालन हर हाल में सुनिश्चित कराया जाएगा।
- जकी अहमद, आईजी जोन, बरेली