करोड़ों के फ्यूल फ्रॉड की जांच में अब तक कोई प्रोग्रेस नहीं
फर्जी नौकरी की जांच शुरू ही नहीं, हाईकोर्ट पहुंचा मामला
नंदौसी में निगम की जमीन और सरायों पर कब्जे की जांच ठंडी
BAREILLY: शहर के डेवलपमेंट और ब्यूटीफिकेशन में मेहनत करने के बजाए बरेली नगर निगम घोटालों और फर्जीवाड़ों में रोल मॉडल बन नाम कमा रहा है। साल ख्0क्ब् जैसे निगम में घोटालों, फर्जीवाड़ों और विवादों की सौगात लेकर ही आया है। पिछले तीन महीने में नगर निगम में फर्जीवाड़े के करीब आधा दर्जन मामले उभरकर सामने आए। डीजल से लेकर निगम की करोड़ों की जमीन के घोटालों और घूस देकर नौकरी करने से लेकर गलत एफिडेविट पर पक्की नौकरी पाने के फर्जीवाड़ों ने चर्चाओं के बाजार में निगम का नाम टॉप लिस्ट में बनाए रखा है। इस पर भी खास यह कि इन घोटालों पर जांच कराने के नाम पर दागियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। अब तक एक भी घोटाले में ना तो निगम के अधिकारी कोई जांच रिपोर्ट दे सकें और ना ही किसी दोषी पर कार्रवाई की गई।
फ्यूल फ्रॉड की फेक जांच
नगर निगम का फ्यूल फ्रॉड ही वह घोटाला है जिसके खुलासे के बाद से निगम में घपलों की कतार लग गई। निगम में डीजल सप्लाई के नाम पर हर महीने लाखों का तेल कागजों में खर्च दिखा घोटालेबाजों की जेब मोटी कर रहा था। ख्फ् जनवरी को नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने इस फ्यूल फ्रॉड का खुलासा किया था। फ्क् जनवरी को नगर आयुक्त ने तेल में हो रहे खेल की जांच के लिए अपर नगर आयुक्त की अगुवाई में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया। इन तीन महीनों में घोटाले की जांच में कोई प्रोग्रेस नहीं दिखी। नगर आयुक्त ने तो नगर स्वास्थ्य अधिकारी की एक महीने में करीब 7 हजार लीटर के गबन की रिपोर्ट को ही सिरे से खारिज कर दिया।
जांच स्टेटस- करोड़ों रुपए का घोटाला नजर आ रहे इस फ्यूल फ्रॉड में अब तक किसी के खिलाफ आरोप नहीं तय हो पाए हैं। जांच अधर में है। रिपोर्ट में और देरी के आसार
फर्जी नौकरी में तो जांच ही नही
निगम के नगर स्वास्थ्य विभाग में फ् मार्च को फर्जी नौकरी के एक मामले का खुलासा उजागर हुआ था। फर्जी एफिडेविट के बेसिस पर मृतक आश्रित कोटे में पक्की नौकरी दिलाने वाले घोटालेबाजों ने अधिकारियों की नाक के नीचे यह खेल खेला। मामले में आरोपी युवक मनीष ने फर्जी एफिडेविट पर मृत पिता की जगह निगम में नौकरी पक्की कर अप्वॉइंटमेंट लेने की भी तैयारी कर ली। जबकि उसकी मां तीन साल से निगम में ही पति की मौत के बाद स्थाई सफाई कर्मचारी पद पर काम कर रही थीं। फर्जीवाड़ा पकड़ में आने पर आरोपी का अप्वॉइंटमेंट रद्द कर दिया गया। वहीं जांच की कमान अपर नगर आयुक्त को सौंपी गई, लेकिन ढाई महीने में ना तो फर्जीवाड़े में शामिल बाबुओं की शिनाख्त हुई और ना ही उनके खिलाफ कार्रवाई।
जांच स्टेटस- युवक की नौकरी रद्द करने के बाद जिम्मेदारों की ओर से जांच के नाम पर कुछ भी नहीं किया गया। ढाई महीने बाद भी जांच के निर्देश दबे रहे। दागी बाबुओं को बचाने की कोशिश।
सरायों के कब्जे पर डाला पर्दा
स्टेशन रोड पर जंक्शन से सटी निगम की सरायों पर अवैध कब्जों के मामले में भी जिम्मेदार बेसुध है। निगम की बनी इन भ्ब् सरायों पर कई साल से भूमाफियाओं का कब्जा रहा। वहीं इस बीच भ्0 से ज्यादा अवैध निर्माण कर निगम की जमीन हड़प ली गई। करोड़ों की इस प्रापर्टी पर औने पौने दाम में पहुंचवालों को कब्जा दिला दिया गया, जिनसे मिलने वाला किराया होने वाली इनकम के मुकाबले रत्ती भर भी नहीं है। वहीं कब्जेदारों के समय पर किराया ना देने से निगम को अपनी सरायों से ही करीब क्ब् लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। मामले का खुलासा तो हुआ पर अधिकारियों ने अपने ही मातहतों पर घपले का आरोप लगा इस फर्जीवाड़े को दबा दिया। करोड़ों की प्रॉपर्टी को कौडि़यों के भाव किराए पर देने वालों के खिलाफ जांच का मामला ठंडे बस्ते में डाल ि1दया गया।
जांच स्टेटस- सरायों पर हुए अवैध कब्जे और घपले में निगम के जिन कर्मचारी-अधिकारियों की मिलीभगत रही, उनके खिलाफ जांच ही नहीं की गई। करोड़ों की प्रापर्टी पर कब्जेदारों जमे हुए हैं।
नंदौसी पर नींद बरकरार
नंदौसी का मामला निगम में इस साल उजागर हुए घोटालों में सबसे बड़ा रहा। नंदौसी में निगम की ख्000 स्कॉवयर मीटर से ज्यादा की करोड़ों की जमीन है, जिसे घोटालेबाज हड़प गए। मामले में शिकायत मिलने पर अधिकारी जागे तो जांच में मेयर हाउस से जुडे़ बड़े ठेकेदारों का नाम सामने आया, जिन्होंने निगम की इस जमीन पर हॉट मिक्स प्लांट बना काफी एरिया में कब्जा कर लिया। अधिकारियों को जमीन से जुड़ी फाइल की याद आई तो विभाग में फाइल नदारद मिली। खोजबीन की तो फाइल में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। निगम के ही बाबुओं की मिलीभगत से पुरानी फाइल की जगह नई फाइल दिखा दी गई। इसमें निगम की असल जमीन का रिकॉर्ड बेहद कम दिखा जांच की दिशा पलटने की कोशिश हुई। डेढ़ महीने बाद भी अपनी करोड़ों की जमीन पर अवैध कब्जा हटाने और उस पर अपना दावा ठोंकने में निगम बेबस रहा।
जांच स्टेटस- मेयर हाउस और निगम के निर्माण व मानचित्र विभाग से जुड़े कर्मचारियों से शपथपत्र लिए गए। मामले में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। जांच में अब तक कोई आरोपी नहीं बना।
फर्जी ड्यूटी का मामला गोल
निगम में ड्यूटी करने के नाम पर घर बैठे महीने की पूरी पगार डकारने वाले क्भ् कर्मचारियों का मामला भी समय के साथ ठंडे बस्ते में दफन हो गया। बैकलॉग कोटे के तहत नौकरी पर रखे गए क्भ् कर्मचारियों को मेयर हाउस से अटैच्ड किया गया था। इनकी कंप्लेन में मालूम हुआ कि यह सभी कर्मचारी ड्यूटी किए बगैर ही अपनी पूरी सेलरी ले रहे थे। मार्च में नगर आयुक्त ने सभी कर्मचारियों की परेड करवाई। इसमें खुलासा हुआ कि बरेली से बाहर रह रहे इनमें से ज्यादातर कर्मचारी महीने भर ड्यूटी से गायब रहते और सैलरी से भ् हजार रुपए की घूस दे, अपनी नौकरी पर जमे रहे। वहीं निगम को बिना काम करने वाले इन कर्मचारियों से हर महीने बतौर सैलरी करीब ख् लाख रुपए की चपत लगती रही।
जांच स्टेटस- नगर आयुक्त ने इस फर्जीवाड़े में निगम के पुराने अधिकारियों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। साथ ही घोटाले में शामिल मेयर हाउस से जुड़े लोगों की जांच के निर्देश दिए, जो अब तक शुरू ही नहीं हुई।
निगम में जिन मामलों में फर्जीवाड़ों की कंप्लेन मिली उनकी जांच कराई जा रही है। सरकारी काम काज होने की वजह से थोड़ा समय लग रहा है। चुनाव की वजह से भी जांच में थोड़ी देरी हुई है, जो दोषी हैं उनके खिलाफ कार्रवाई तय है।
- उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त
निगम में जितने घोटाले हुए हैं, उनकी जांच में जानबूझ कर लापरवाही बरती जा रही है। इनमें घोटालों के दागियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। इन घोटालों की रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। जल्द ही इनकी जांच में देरी की रिपोर्ट भी भेजी जाएगी।
- डॉ। आईएस तोमर, मेयर