बच्चा वार्ड के अपग्रेडेशन का काम जारी, नवजातों को इमरजेंट इलाज मिलना मुश्किल

कई मासूम बेइलाज लौटे, इलाज न होने के बावजूद हास्पिटल एडमिट करने को मजबूर

<बच्चा वार्ड के अपग्रेडेशन का काम जारी, नवजातों को इमरजेंट इलाज मिलना मुश्किल

कई मासूम बेइलाज लौटे, इलाज न होने के बावजूद हास्पिटल एडमिट करने को मजबूर

BAREILLY:

BAREILLY:

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में नवजात मासूमों के इलाज की हालिया डगर बेहद मुश्किल हो गई है। हॉस्पिटल का बच्चा वार्ड मासूमों को इलाज देने से पहले फिलहाल खुद की बीमारियां दूर कर रहा है। बच्चा वार्ड के एनआईसीयू में पिछले महीने भर से अपग्रेडेशन की कवायद चल रही है। ऐसे में वार्ड में गंभीर हालत में इलाज के लिए आने वाले नवजात मासूमों को एडमिट करने की दिक्कत खड़ी हो गई है। एनआईसीयू का रेनोवेशन होने के चलते वहां प्रॉपर इलाज मयस्सर न होने से डॉक्टर्स मासूमों के एडमिट करने से बेबसी जता रहे। वहीं गरीब परिजन इलाज न मिल पाने की दुविधा में वापस लौटने को मजबूर हैं।

बंद हुआ एनआईसीयू

पिछले साल नवंबर में डीएम ने हॉस्पिटल के दौरे पर बच्चा वार्ड की हालत देखी। एनआईसीयू की हालत देख डीएम ने सीएमओ को इसके अपग्रेडेशन की कवायद शुरू करने के निर्देश दिए थे। काम शुरू हुआ और इसमें तेजी भी आई। मौजूदा समय में एनआईसीयू के दोनों वार्ड में रेनोवेशन का काम चल रहा है। जिससे इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया है। ऐसे में बीमार नवजातों को एनआईसीयू के इलाज की सुविधा मिलनी बंद हो गई है।

इलाज में सिफर् ऑक्सीजन

बच्चा वार्ड में यूं तो एनआईसीयू पहले से रहा लेकिन यहां इसकी सुविधाएं नाम भर की ही रही। एनआईसीयू में महज ऑक्सीजन व वॉर्मिग मशीन की ही सुविधा नवजातों को गंभीर हालत में इलाज देने के काम आती थी। एनआईसीयू बंद हो जाने से अब वार्मिग मशीन की सुविधा भी फिलहाल जाती रही। सिर्फ ऑक्सीजन ही नवजातों को गंभीर हालत में दी जाने वाली इकलौती इमरजेंट मेडिकल सुविधा रह गई है। हालांकि नवजातों के लिए हीटर ब्लोअर लगाने की वैकल्पिक व्यवस्था शुरू की गई, लेकिन यह नाकाफी साि1बत हुई।

पहले से चेता रहे डॉक्टर्स

एनआईसीयू के अपग्रेडेशन के चलते हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन भी नवजातों के गंभीर केसेज एडमिट करने से हाथ खड़े कर रहा है। जबकि फीमेल हॉस्पिटल व अन्य हॉस्पिटल्स से रेफर होने वाले केसेज लगातार वार्ड में आ रहे हैं। रेफर किए गए केसेज को एडमिट करने से साफ मना करने में बेबस डॉक्टर्स परिजनों को इलाज की सभी व्यवस्थाओं के बारे में पहले से ही चेता रहे हैं। जिससे कि किसी अनहोनी में उन पर सवाल न खड़े हो। ऐसे में कई परिजन अपने मासूमों को किसी और हॉस्पिटल में ले जाने को मजबूर हैं, तो कई गरीब पैसे न होने के चलते वार्ड में ही अपने कलेजे के टुकड़े के ठीक होने की आस लगाएं बैठे हैं।

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एनआईसीयू के अपग्रेडेशन की वजह से बच्चों को इलाज देने में थोड़ी दिक्कत आ रही है। वॉर्मिग मशीन न चल पाने पर हीटर का इंतजाम किया गया है। परिजनों को पहले ही सारी व्यवस्था की जानकारी दे दी जा रही है। जिससे वे इलाज के लिए खुद जिम्मेदार रहे। - डॉ। डीपी शर्मा, सीएमएस