मंडे सुबह क्रिटिकल हुई नवजात की कंडीशन, जीने की उम्मीदें कम
एनआईसीयू में अलग से नर्स की व्यवस्था नहीं, देखरेख को स्टाफ नहीं
BAREILLY: अपनों से धुत्कारी हुई और मौत की चौखट पर फेंक दी गई मासूम की जिंदगी को भले ही कुछ फरिश्तों ने बचा लिया हो लेकिन उसकी जिंदगी पर मौत की परछाई बनी हुई है। पैदा होते ही ममता की छांव से बेदखल की गई इस नवजात को अब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में स्टाफ की देखभाल भी सही से नसीब नहीं हो रही। बच्चा वार्ड के एनआईसीयू में एडमिट नवजात की हालत मंडे सुबह एकाएक बेहद गंभीर हो गई। करीब मौत के मुहाने पर पहुंच चुकी मासूम को ड्यूटी पर मौजूद इकलौती स्टाफ नर्स ने देखा तो डॉक्टर को बुलाया। डॉ। श्रीकृष्ण ने काफी कोशिशों के बाद मासूम की उखड़ रही सांसों को फिर ि1जंदगी दी।
डॉक्टर्स ने कहा उम्मीदें कम
भोजीपुरा जंक्शन पर रेलवे ट्रैक पर संडे को मिली नवजात की हालत अब भी खतरे में है। डॉक्टर्स ने बताया कि नवजात की हालत को देखते हुए उसकी जीने की उम्मीदें काफी कम होती जा रही हैं। सात महीने की प्रीमेच्योर डिलिवरी और महज क् किलोग्राम का वजन होने से शरीर में इम्यून सिस्टम भी काफी कमजोर है। ऐसी क्रिटिकल कंडीशन में मां का दूध और देखभाल ही सुरक्षा का काम करती है। लेकिन मां के ही छोड़े जाने से यह अबोध बच्ची एनआईसीयू में मशीन में ही अपनी जिंदगी की जंग लड़ रही है।
स्टाफ कम, कौन करें केयर
पैरामेडिकल स्टाफ और नर्सेस की कमी से जूझ रहे हॉस्पिटल में नवजात समेत एडमिट अन्य मासूमों की देखभाल के लिए जरूरी स्टाफ ही मौजूद नहीं है। बच्चा वार्ड के एनआईसीयू में अलग से किसी स्टाफ की तैनाती नहीं है। पूरे बच्चा वार्ड में ही तीनों शिफ्ट में एक-एक नर्स ही ड्यूटी पर लगाई गई हैं। इकलौती नर्स के कंधों पर ही वार्ड के बच्चों और एनआईसीयू की जिम्मेदारी है। जबकि क्रिटिकल कंडीशन वाले केसेज के लिए बनाए गए एनआईसीयू में ही तीनों शिफ्ट में अलग से एक स्टाफ नर्स होनी चाहिए।
-सुबह नवजात की हालत काफी खराब हो गई थी। जानकारी होते ही उसे वार्मर लगाया गया व लाइफ सेविंग ड्रग और इंजेक्शन दिए गए। बच्ची की हालत काफी नाजुक है, मां का दूध मिल नहीं रहा बचने की उम्मीदें कम हैं।
- डॉ। श्रीकृष्ण, चाइल्ड स्पेशलिस्ट