बरेली (ब्यूरो)। एक ऐसा समय भी था, जब उनके पिता के पास तीनों बहनों की कोचिंग के फीस भरने के लिए भी पैसे नहीं थे। उस समय तीनों बहनों की फीस और पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए पिता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। पिता को परेशानियों और मुफलिसी से लड़ते देख उन्हें भी आगे बढऩे का जज्बा और सकारात्मक उर्जा मिली। जिसके बाद हर हालात को मात देते हुए तीनों ने सफलता हासिल की। यह कहना दरोगा और उसके समकक्ष पदों के लिए चयनित बदायूं निवासी सगी तीन बहनों का है। जिन्होंने अपने कंधे पर दो स्टार लगाकर परिवार समेत जिले का नाम रोशन किया।

हालात से लडक़र पाई सफलता
रविवार को बरेली पुलिस लाइन सभागार में दरोगा और उसके समकक्ष पदों के लिए चयनित 194 नवनियुक्त दरोगा को नियुक्ति पत्र वितरित किए गए। इसमें बदायूं जिले के गांव उघैती निवासी तीन सगी बहनों शैली गुप्ता, शिल्पी गुप्ता और शिखा गुप्ता को भी एडीजी जोन पीसी मीना ने नियुक्ति पत्र सौंपा। इस दौरान तीनों बहनों ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से बातचीत में बताया कि वह एक मध्यम वर्गीय परिवार से हैं। उनके पिता संजीव गुप्ता पेशे से किसान हैं। जो किसानी के साथ-साथ छोटी सी मिठाई की दुकान भी चलाते हैं। तीनों बहनों ने एमएससी तक की पढ़ाई की है। पढ़ाई के दौरान घर के हालात ठीक न होने के कारण काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। एक समय हालात ऐसे हो गए कि पड़ोसियों ने तीनों की शादी करने तक की सलाह दे डाली। लेकिन, परिजनों ने उन्हें आगे पढ़ाने का निश्चय किया। अंत में तीनों ने दरोगा बन परिवार की झोली में खुशिया डाली।

बेटियों को लेकर सोच बदले समाज
तीनों ने बात करते हुए कहा कि समाज के लोगों को बेटियों को लेकर अपनी सोच बदलनी चाहिए। उन्हें कोख में मारने के बजाय उन्हें जीवन देकर शिक्षित करें। बेटियों को घर की हर एक स्थिति को बताते हुए समय-समय पर उन्हें समाज की हकीकत से रूबरू कराते रहें। इससे वह कभी भी गलत रास्ते पर नहीं जाएंगी। तीनों बहनें रोजाना पांच से सात घंटे तक ऑनलाइन पढ़ाई करती थीं।

शिखा-शैली थीं महिला सिपाही, रेलवे में थी शिल्पी
तीनों ने बताया कि पढ़ाई के दौरान हालात ऐसे हो गए कि शिखा और शिल्पी ने नौकरी करने का फैसला किया। जिससे परिवार का भरण पोषण होने के साथ-साथ छोटी बहन शैली को आगे पढ़ाया जा सके। हालांकि, इस दौरान शिखा और शैली का चयन यूपी पुलिस में हो गया। जबकि, शिल्पी का चयन रेलवे विभाग में हो गया था। लेकिन, अब तीनों के कंधे पर एक साथ दो स्टार लगेंगे। नियुक्ति वितरण समारोह में पहुंचे उनके पिता संजीव गुप्ता की आंखों से तीनों बेेटियों को एक साथ दरोगा बनते देख खुशी के आंसू झलक आए।

दो और सगी बहनों भी बनीं दरोगा
इसके अलावा बरेली परिक्षेत्र में दो और सगी बहनों ने सफलता हासिल की है। हिमांशी और शिखा राणा ने भी बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। मां और पिता ने उन्हें आगे बढऩे का हौंसला दिया तो उन्होंने भी कुछ करने की ठानी और फिर कड़ी मेहनत और माता-पिता के आशीर्वाद से दोनों बहनेें एक साथ दरोगा बन गईं।