बरेली(ब्यूरो)। महानगर में ऑटो रिक्शा चालकों की मनमानी चरम पर है। यहां पर किसी भी ऑटो में न आपको स्पीडोमीटर दिखाई देगा, न ही फेयर लिस्ट। ऐसे में आपको न तो कितनी दूरी आपने तय की, इसका पता चल पाता है, न ही किस दूरी का कितना किराया निर्धारित है, इसका। ऐसे में ऑटो रिक्शा चालकों द्वारा पैसेंजर्स की जेब पर खुलेआम डाका डाला जा रहा है। वे जरा सी दूरी का भी मनमाना किराया वसूल रहे हैं। मीटर और किराया सूची न होने की दशा में यात्री भी उन्हें मुंहमांगा किराया देने के लिए विवश हैं। यदि कोई इन ऑटो ड्राइवर्स से इसको लेकर विरोध जताता भी है तो वे उसके साथ अभद्रता पर उतर आते हैं। ऐसा नहीं कि जिम्मेदारों को इसके विषय में पता नहीं है। लेकिन, वे जानबूझ कर इस पर संज्ञान लेना उचित नहीं समझते, जिसके चलते पैसेंजर्स को जमकर चूना लगाया जा रहा है।

साथ आता है मीटर
जब कोई रोड पर चलाने के लिए ऑटो रिक्शा खरीदने जाता है तो कंपनी की ओर से उसे ऑटो के साथ ही स्पीडोमीटर भी दिया जाता है। जब परिवहन विभाग से वह व्यक्ति परमिट लेने के लिए आवेदन करता है तो जब उसे परमिट मिलता है तो उस पर उस मीटर का नंबर अंकित भी किया जाता है। लेकिन, हद यह है कि इन ऑटो रिक्शा ड्राइवर्स द्वारा तुरंत ही उस मीटर को उतार कर घर के एक कोने में डाल दिया जाता है।

यह भी जानें
7.65 रुपये प्रति किमी निर्धारित है किराया
10-15 रुपये पैसेंजर्स से वसूले जा रहे
5000 से अधिक ऑटो रिक्शा है जनपद में
4000 से अधिक ई-रिक्शा दौड़ रहे सडक़ों पर
1500 से अधिक है ठेका गाडिय़ां

यह है किराया
इन ऑटो रिक्षा ड्राइवर्स की मनमानी यहां पर ही नहीं रुकती। वे वाहन पर किराया सूची को लगाना भी उचित नहीं समझते। सिटी के सभी ऑटो रिक्शा के ड्राइवर्स ने अपने वाहनों से फेयर लिस्ट को भी उतार कर कचरे में डाल दिया है। ऐसे में पैसेंजर जब इनके वाहन में बैठते हैं तो उन्हें तय की गई दूरी का पता चलता है, न ही वहां तक का उचित किराया है, इसका। ऐसे में ये लोग जितना किराया पैसेंजर से मांगते हैं, उन्हें देना पड़ता है। वास्तविकता यह है कि इनका किराया प्रति किमी 7.65 रुपये निर्धारित है। लेकिन, ये लोग एक किलोमीटर दूरी के लिए 10 से 15 रुपये तक वसूल रहे हैं।

जिम्मेदारों ने मंदीं आंखें
आरटीओ, यात्री कर अधिकारी व ट्रैफिक पुलिस की ढील का ही परिणाम है, जो इन लोगों की मनमानी चरम पर है। जनपद में 5000 से अधिक ऑटो रिक्शा, 4000 से अधिक ई-रिक्शा, टेंपो व 1500 ठेका गाडिय़ां हैं। इन सब का आरटीओ में रजिस्ट्रेशन भी है। पैसेंजर्स से कितना फेयर लिया जाना है, यह भी सेट किया गया है। इसके साथ ही यह भी आदेश है कि फेयर लिस्ट, चालक का नाम तथा परमिट की जानकारी वाहन पर चस्पा होना चाहिए। लेकिन, नगर में किसी भी वाहन पर ये सब आपको दिखाई नहीं देगा। कहां तक का कितना किराया लेना है, यह इन ड्राइवर्स की च्च्छा पर ही डिपेंड करता है। इसके अलावा इन वाहनों में सवरियां बैठाने का मानक भी इन लोगों द्वारा धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। ऑटो रिक्शा में ड्राइवर सहित सात लोगों का बैठाना अलाउड है, जबकि ई-रिक्शा में चालक सहित पांच। लेकिन, स्थिति यह है कि ये लोग इन वाहनों में ठूंस-ठूंस कर सवारियां भरते हैं, जोकि न तो आरटीओ और न ही ट्रैफिक पुलिस को नजर आता है।

वर्जन
चेङ्क्षकग अभियान को और भी अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। वाणिज्यिक वाहनों में फेयर लिस्ट लगा होना अनिवार्य है। यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो पकड़े जाने पर ऐसे वाहनों को सीज किया जाएगा।
- दिनेश कुमार ङ्क्षसह, संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन)