बरेली (ब्यूरो)। किला स्थित प्राचीन तुलसीमठ के उत्तराधिकारी स्वामी नीरज नयनदास के पट्टाभिषेक के दौरान रविवार को मठ में बवाल हो गया। उनके तुलसीमठ की गद्दी संभालने का वहां के एक सेवक ने विरोध किया और खुद को उत्तराधिकारी बताया। विवाद की सूचना पर पुलिस पहुंची। इस बीच वृंदावन, अयोध्या आदि धर्मस्थलों से आए संतों ने अपनी सहभागिता निभाई। विवाद शांत हुआ और नीरज नयनदास को तुलसीमठ की गद्दी पर आसीन किया गया।

उत्तराधिकारी के पट्टाभिषेक संस्कार के बाद महंत गोलोकवासी कमल नयनदास की सत्रहवीं विधि विधान के साथ की गई। रामगंगा स्थित जय देवी संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य पंडित अनिल शर्मा के साथ अन्य संत-महात्माओं ने मच्त्रोच्चार के साथ नीरज नयनदास को फूल माला पहनाकर और तिलक लगाकर आशीर्वाद दिया। नीरजनयन दास ने पट्टाभिषेक के बाद मठ परिसर में बने मंदिर में भगवान को साक्षी मानकर अपनी जिम्मेदारियों को निष्ठा के साथ निभाने और धर्म के प्रचार-प्रसार करने का संकल्प लिया। इस बीच श्रद्धालुओं ने भगवान राम के जयकारे लगाए तो पूरा परिसर भक्तिमय हो गया। इस मौके पर बिथरी चैनपुर विधायक डा। राघवेंद्र शर्मा, वृंदावन से जगद्गुरु धनंजयदास, श्रीरामजन्म भूमि से महंत नंदगोपाल के प्रतिनिधि, श्रीरामकुंज अयोध्या से काव्यनिधि रामचरण दास, अशोक दास, राजेंद्र देवाचार्यजी महाराज, मृत्युंजय तीर्थ, शुक्रताल से ब्रह्मचारी महाराज, अलखनाथ मंदिर के महंत कालूगिरी महाराज, तपेश्वरनाथ मंदिर के लखनदास, सोही से वैदेही शरण महाराज, दातागंज से मधुसुदन दास, महामण्डलेश्वर अमृतदास, रानीखेत से मौनी बाबा के प्रतिनिधि, कैलाशदास वेदांती के प्रतिनिधि, ऋषिकेश से त्रैलोक्य तीर्थ जी महाराज समेत अन्य महंत-संत पहुंचे।

दिनेश्वरदास बोल मैं गद्दी का हकदार

तुलसी मठ में नए महंत के अभिषेक के दौरान मठ में रहने वाले दिनेश्वरदास कुछ महात्माओं को लेकर मठ पहुंचे और महंत पद के लिए दावा किया। बताया कि उनकी चार पीढिय़ां मठ की सेवा में लगी हैं। अब वह 40 वर्षों से मठ के लिए समर्पित हैं। इसलिए उत्तराधिकारी कोई और क्यों होगा। दिनेश्वरदास पट्टाभिषेक के दौरान पूरी तैयारी के साथ पहुंचे अभिषेक स्थल पर बैठ गए। इस दौरान उनको कई लोगों ने माला पहनाना शुरू कर दी। इस पर वहां विवाद हो गया और हंगामा बढऩे की सूचना पर किला पुलिस मौके पर पहुंची। दोनों तरफ से जमकर नोकझोंक हुई।

दिनेश्वरदास का किया विरोध

महंत स्वर्गीय कमल नयनदास की बहन कमला पांडे ने दिनेश्वरनाथ का विरोध किया और कहा कि उनके भाई ने नीरज नयनदास को अपना उत्तराधिकारी बनाया था। चार लोगों को लेकर अभिषेक स्थल पर बैठक खुद से माला पहनकर बैठ जाने से कोई अपने आप को उत्तराधिकारी होने का दावा नहीं कर सकता।

पट्टाभिषेक के बाद हुआ ब्राह्मण भोज
नए महंत का पट्टाभिषेक होने के बाद तुलसी मठ ट्रस्ट की ओर से ब्राह्मण भोज का आयोजन किया गया। इसमें मंडल के साथ ही वृंदावन, अयोध्या, बनारस, बक्सर, पटना आदि से संत पहुंचे और नीरज नयनदास के उत्तराधिकारी होने के साक्षी बने। इसके बाद सभी ने पंगत में बैठकर भोज किया।