- एनसीटीई के जारी पत्र में शिक्षामित्रों के लिए टीईटी की अनिवार्यता खत्म

- हाईकोर्ट के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे लेने को दिल्ली पहुंचा शिक्षामित्र मोर्चा

BAREILLY:

दीपावली से पहले नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजूकेशन 'एनसीटीई' ने शिक्षामित्रों को बड़ी राहत प्रदान की है। पिछले करीब डेढ़ महीने से नियुक्ति को लेकर उनकी धड़कनें बढ़ी हुई थी। लेकिन, नया आदेश जारी होने के बाद उन्होंने राहत की सांस ली है। जिसके तहत सूबे के 1.72 लाख शिक्षामित्रों को दोबारा सरकारी अध्यापक बनने का रास्ता साफ होता दिखाई दे रहा है। एनसीटीई द्वारा ट्यूजडे को मुख्य सचिव आलोक रंजन को भेजे गए पत्र में बिना टीईटी पास किए ही टीचर बनने को मंजूरी दी है। हालांकि, अभी भी एनसीटीई के इस निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगना बाकी है। जिसे लेकर शिक्षामित्रों में कश्मकश बरकरार है।

हल्की राहत नहीं चाहिए पूरा सुकून

एनसीटीई के इस निर्णय के बाबत जिले के शिक्षामित्र संघर्ष मोर्चा के नेताओं ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है। शिक्षामित्र एसोसिएशन के पदाधिकारी दुष्यंत अग्रवाल ने बताया कि 12 सितंबर को हाईकोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों की सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति प्रक्रिया रद करने के आदेश दिए गए थे। जिस पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसकी सुनवाई दो नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी। जिसमें एनसीटीई के पत्र के माध्यम से हाईकोर्ट के निर्णय पर स्टे लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि एनसीटीई की ओर से जारी पत्र में अभी कई पेच है। क्योंकि इस पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगना बाकी है। प्रदेश में केवल 1.24 लाख शिक्षामित्रों को ही नियुक्त किया गया था। लेकिन शेष 48 हजार शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर अभी भी रोड़ा बरकरार है।