निगम की मशीनों व वाहनों के खराब होने का अंदरूनी खेल

बिलों में फर्जीवाड़े से बढ़ा दी जाती है वाहनों के मरम्मत का खर्च

BAREILLY:

नगर निगम में खराब वाहनों व मशीनों की सेहत दुरुस्त करने के नाम पर जमकर फर्जीवाड़ा हो रहा है।

मरम्मत के असल खर्च के मुकाबले कई गुना बिल बनाकर खराब वाहनों के साथ साथ निगम के कर्मचारी अपनी सेहत भी संवार रहे। दरअसल निगम के स्वास्थ्य विभाग के गैराजों में जंग खा रहे खराब वाहनों की मरम्मत के नाम पर जबरदस्त धांधली होती आई है। जिसे नगर आयुक्त शीलधर सिंह यादव ने पकड़ा। पिछले कुछ महीनों में ही गैराज से लेकर बिल जारी करने वाले जिम्मेदारों ने भ् से म् गुना तक बढ़ा चढ़ा के बिल बनाकर मोटी कमाई की।

क् लाख से ज्यादा बिल नहीं

निगम में एक लाख रुपए से ज्यादा के खर्च पर कार्यकारिणी की मंजूरी जरूरी होती है। सोर्सेज के मुताबिक ऐसे में जरूरी जांच व विवाद से बचने को खराब वाहनों के मेंटनेंस बिल क् लाख रुपए की सीमा के तहत ही बनाए जाते हैं। कई बार यह मेंटनेंस खर्च 90 से 9भ् हजार रुपए तक होती है। कई मामलों में टैम्पों की बॉडी में खराबी सुधारने के लिए भी म्0 से 70 हजार रुपए तक का बिल बनाया जाता है। नीचे से ऊपर तक सबका हिस्सा बंधे रहने के चलते यह बिजनेस बिना हींग फिटकरी चोखा रहता है।

बिना मेंटनेंस भी बनते हैं बिल

खराब वाहनों को दुरुस्त कराने के नाम पर धांधली करने का एक और तरीका भी है। इस तरीके में बिना एक भी पैसा खर्च किए लाखों रुपए का बिल बनाकर निगम को चूना लगाया जाता है। सोर्स ने बताया कि कई बार ड्राइवर वाहनों व मशीनों की छोटी मोटी खामियों की मरम्मत अपने खर्च से ही

करा लेते हैं। ऐसा इसलिए कि वाहनों के लिए मिलने वाले डीजल में से वह रोजाना अच्छा खासा मार्जिन वह अपने बचा लेते हैं। ऐसे में इन खामियों की भी मरम्मत कराने के लिए भी हेड मिस्त्री से बिल बनवाकर फंड जारी करा लिया जाता है।

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खराब वाहनों की मेंटनेंस के लिए जो फाइल अप्रूवल के लिए आई उसमें जरूरत से ज्यादा महंगे बिल थे। बाजार कीमत से ज्यादा महंगे बिल पर शक होने पर सभी से पूछताछ की। धांधली रोकने के लिए कड़े निर्देश दिए गए हैं। - शीलधर सिंह यादव, नगर आयुक्त