इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबलबेंच ने नगर निगम के प्रोविजन को ठहराया गलत

नामित पार्षदों ने निगम के कार्यकारिणी चुनाव में की थी वोटिंग, वैधता पर संकट

BAREILLY/ALLAHABAD: सूबे के नगर निकायों में सरकार की ओर से नामित पार्षदों को किसी भी तरह के मतदान का अधिकार नहीं होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नामित पार्षदों को वोट देने के अधिकार देने वाले सरकार के संशोधन को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद सूबे के तमाम नगर निकायों में सरकार की ओर से चुने गए नामित पार्षद सदन की बैठकों में तो हिस्सा ले सकतें हैं, लेकिन किसी भी तरह के मतदान में भागीदार नहीं बन सकेंगे। वहीं कोर्ट के इस फैसले के बाद नगर निगम बरेली में ख्7 अगस्त को हुए कार्यकारिणी चुनाव की वैधता पर भी सवाल उठने लगे हैं, जिसमें विरोध के बावजूद नामित पार्षदों को मतदान का अधिकार दिया गया था।

कोर्ट ने माना गलत था संशोधन

वेडनसडे को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने योगेश मित्तल की रिट पर फैसला सुनाया। रिट द्वारा कानून संशोधन कर नामित सभासदों को वोट का अधिकार देने की वैधता को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उप्र नगर पालिका अधिनियम क्9क्म् की धारा 9(क्)डी में संशोधन कर नामित पार्षदों को वोट का अधिकार देना आर्टिकल ख्ब्फ्(आर) के खिलाफ है। सरकार ऐसा कोई कानून नहीं बना सकती जिससे संविधान के उपबंधों का उल्लंघन होता हो। कोर्ट ने कहा कि ऐसे कानून की अनुमति नहीं दी जा सकती।

एक को ही जारी शासनादेश

भारतीय संविधान के आर्टिकल ख्ब्फ् आर में दिए नियमों से उलट नगर निगम अधिनियम संशोधन ख्00भ् में सरकार की ओर से नामित पार्षदों को भी वोट देने का अधिकार दिया गया था। अगस्त में बरेली में हुए कार्यकारिणी चुनाव से पहले इसके खिलाफ भाजपा पार्षद नेता विकास शर्मा की ओर से रिट दायर की गई थी। जिसके बाद कोर्ट ने बरेली नगर निगम में नामित पार्षदों के पास वोट देने के अधिकार न होने क फैसला दिया। कोर्ट के इस फैसले के आधार पर भी सूबे के सभी निकायों में नाम निर्दिष्ट सदस्य या नामित पार्षदों को निगम के सदन में वोट देने का अधिकार होने के नियम को चुनौती दी गई थी। ऐसे में कोर्ट के फैसले से पहले ही सरकार ने भी इस बारे में अपना जीओ जारी कर दिया। क् नवंबर ख्0क्ब् को नगर विकास अनुभाग -7 की ओर से सचिव श्री प्रकाश सिंह ने सूबे के सभी निकायों को नामित पार्षदों को बैठक में शामिल होने लेकिन उन्हें वोट देने का अधिकार न होने का शासनादेश जारी ि1कया है।

कार्यकारिणी की वैध्ाता पर सवाल

पहले शासनादेश और फिर हाईकोर्ट के नामित पार्षदों के वोट न देने के अधिकार वाले फैसले से बरेली नगर निगम की कार्यकारिणी पर भी आशंकाओं के बादल छा गए हैं। ख्7 अगस्त को बरेली नगर निगम में कार्यकारिणी का चुनाव हुआ था। चुनाव से पहले ही भाजपा पार्षदों ने नामित पार्षदों को वोट देने का अधिकार न होने के नियम का हवाला देते हुए चुनाव में उनकी भागीदारी पर रोक लगाने की बात की थी। जिसे नगर आयुक्त व मेयर ने नगर निगम में ऐसा प्रोविजन होने का हवाला देते हुए नकार दिया था। कोर्ट के फैसले के बाद कार्यकारिणी के चुनाव की वैधता पर भी सवाल उठ रहे हैं। नामित पार्षदों के वोट की मदद से सपा के भ् पार्षदों ने कार्यकारिणी में जगह पक्की थी।

तो कार्यकारिणी पर होगी कानूनी जंग

कोर्ट के फैसले पर बरेली नगर निगम के भाजपा पार्षदों ने खुशी जताई है। भाजपा पार्षद नेताओं ने निगम के नामित पार्षदों को कार्यकारिणी चुनाव में शामिल करने के फैसले के खिलाफ अपने विरोध को सही बताया। भाजपा पार्षद नेता विकास शर्मा ने बताया कि निगम ने शुरू से नियमों के खिलाफ कार्यकारिणी का चुनाव कराया। कोर्ट के फैसले की कॉपी हाथ में आते ही कार्यकारिणी चुनाव की वैधता पर एक रिट दायर की जाएगी। वहीं मेयर डॉ। आईएस तोमर ने कहा कि निगम का कार्यकारिणी चुनाव कोर्ट का फैसला आने से पहले संपन्न हुआ। ऐसे में चुनाव पर कोर्ट का फैसला तब तक नहीं माना जा सकता जब तक कोर्ट इस बारे में फैसला नहीं देती।

कोट

उप्र नगर पालिका अधिनियम क्9क्म् की धारा 9(क्)डी के परन्तुक में संशोधन कर नामित सभासदों को वोट का अधिकार देना अनुच्छेद क्ब्फ्(आर) के प्रतिकूल है। सरकार ऐसा कोई कानून नहीं बना सकती जिससे संविधान के उपबंधों का उल्लंघन होता हो। ऐसे कानून की अनुमति नहीं दी जा सकती।

-इलाहाबाद हाईकोर्ट

हमारे विरोध सही चीजों को लेकर था। कोर्ट के फैसला अच्छा है, यह हमारी जीत है। कार्यकारिणी का चुनाव भी सवालों में है। कोर्ट की कॉपी हाथ में आते ही कार्यकारिणी चुनाव की वैधता को भी कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।

- विकास शर्मा, पार्षद नेता, भाजपा

नामित पार्षदों को सदन में वोट देने का अधिकार न होने वाला शासनादेश मिल गया है। कार्यकारिणी का चुनाव तब के नगर निगम के प्रोविजन के तहत ही कराया गया था। अब शासनादेश के बाद प्रोविजन में बदलाव किया जा रहा है।

- शीलधर सिंह यादव, नगर आयुक्त

हाईकोर्ट का फैसला मान्य है। फैसला के दिन से ही नामित पार्षदों को वोट देने का अधिकार न होने का प्रोविजन लागू हो जाएगा। कार्यकारिणी का चुनाव फैसले से प्रभावित नहीं माना जा सकता। कोर्ट का इस मामले में भी फैसला आने पर ही कुछ कहा जा सकता है।

- डॉ। आईएस तोमर, मेयर