-शहर के 70 फीसदी नालों की सफाई सिर्फ कागजों पर

-नोटिस बेअसर, एजेंसी की मनमानी पर निगम ने टेके घुटने

-मॉनसून सिर पर, लापरवाही का खामियाजा भुगतेगा शहर

BAREILLY: शहर की सफाई को लेकर नगर निगम के दावे एक बार फिर जनता को छलने का काम कर रहे हैं। मॉनसून से पहले शहर के गंदे नालों को साफ करने की निगम की मुहिम दम तोड़ चुकी है। मॉनसून सिर पर आ चुका है, लेकिन शहर के 70 फीसदी नालों में गंदगी के साथ अब भी निगम की 'लापरवाही' जमी हुई है। जिस एजेंसी के सिर नालों को साफ करने की जिम्मेदारी डाली गई उसकी मनमानी का अंजाम इस बार भी शहर को भुगतना पड़ेगा। ज्यादातर वार्डो में एजेंसी के कर्मचारी सफाई के लिए पहुंचे ही नहीं। जो पहुंचे भी उन्होंने काम से ज्यादा औपचारिकताएं निभाई। निगम में रोजाना पार्षद इसकी कंप्लेन लेकर पहुंच भी रहे हैं, मगर जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग सिवाय कार्रवाई का राग अलापने के कुछ नहीं कर रहे हैं।

नहीं देखी सफाई टीम

शहर के कई इलाकों में सफाई की राह ताक रहे गंदे नालों और लोकल लोगों ने इस बार निगम का कोई सफाई दस्ता ही नहीं देखा। बदायूं रोड सुभाषनगर नाला, प्रेमनगर, भूड़, लोधी टोला, संजय नगर, कोहाड़ापीर और हजियापुर में ही नालों की सफाई में निगम के दावों की पोल खुल जाती है। यहां पिछले कई महीनों से निगम का सफाई दस्ता छोड़े कोई सफाई कर्मचारी तक झांकने नहीं आया, जबकि यह उन एरियाज मेंसे हैं जहां जलभराव की समस्या सबसे ज्यादा होती है। इन इलाकों में थोड़ी बारिश भी जबरदस्त जलभराव की वजह बनती है।

नहीं मिले सफाइर् कर्मचारी

बरेली में कुल 70 वार्ड हैं। आउटसोर्सिग के जरिए शहर के नालों को साफ करने की कवायद में जिस एजेंसी एमएस इंटरप्राइजेज को ठेका दिया गया, उसे म्00 कर्मचारी एक साथ सफाई में जुटाने थे। पिछले क्क् दिनों से शहर में नाला सफाई की शुरुआत हुई, लेकिन एजेंसी की ओर से म्00 कर्मचारी नहीं जुटाए गए। निगम के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक एजेंसी की ओर से पहले दिन महज क्8 कर्मचारी दिए गए थे। दिन बीतने के साथ कर्मचारियों की तादाद क्70 तक पहुंची। लेकिन एक बार भी एजेंसी की ओर से म्00 कर्मचारी सफाई के लिए नहीं दिए गए।

नोटिस के बाद निगम चुप

करार के तहत म्00 कर्मचारी न देने वाली एजेंसी पर निगम ने उसे बमुश्किल से एक नोटिस थमाया। क् जुलाई को नगर आयुक्त ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी को एजेंसी को नोटिस भेजने और तीन दिन में सभी कर्मचारी न देने पर ब्लैकलिस्ट किए जाने के निर्देश दिए। जिसका असर यह हुआ कि क्70 कर्मचारी दे रही एजेंसी ने नोटिस के बाद नाला सफाई मुहिम में अपने कर्मचारी घटाकर क्भ्0 तक कर दिए। पांच दिन बीतने के बाद भी नोटिस जारी करने वाला निगम एजेंसी पर कार्रवाई के नाम पर फिर चुप हो गया।

निशाने पर नगर स्वास्थ्य अधिकारी

शहर के नाला सफाई अभियान में निगम के नगर स्वास्थ्य अधिकारी पार्षदों के निशाने पर आ गए हैं। निगम पहले ही मॉनसून को देखते हुए अपने नालों की सफाई में पिछड़ा हुआ था। जो चंद दिन मिले भी तो उसमें भी जमकर लापरवाही बरती गई और मनमानी कर रही एजेंसी पर लचर रवैया अपनाया गया। सफाई अभियान के पांच दिन तक एजेंसी के एक चौथाई कर्मचारी ही दिए जाने के बावजूद नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने न तो एजेंसी पर कार्रवाई की और नहीं बड़े अधिकारियों को इस बारे में इंफॉर्म किया।

दूसरी एजेंसी की उठी मांग

नालों की सफाई के नाम पर मजाक कर रही एजेंसी निगम की नोटिस और अफसरान की कार्रवाई की चेतावनी को भी अंगूठा दिखा चुकी है। पार्षदों ने एजेंसी की ओर से नियमानुसार काम न किए जाने पर दूसरी एजेंसी को नाला सफाई की जिम्मेदारी देने की मांग उठाई है। पार्षदों की इस मांग के बाद मेयर डॉ। आईएस तोमर ने भी नगर स्वास्थ्य अधिकारी को टेंडर प्रक्रिय में दूसरे नम्बर पर रही एजेंसी से बात करने के निर्देश दिए। मेयर ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी को मंडे तक एजेंसी का काम परखने और सभी म्00 कर्मचारी न होने पर ठेका निरस्त करने को कहा है।

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