-निगम की ऑनलाइन बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट मुहिम में आधे हॉस्पिटल्स भी नहीं

-शहर में 200 से ज्यादा प्राइवेट हॉस्पिटल्स, पहली लिस्ट में रजिस्ट्रेशन सिर्फ 60 का

-साल भर बाद भी कम्प्यूटर रूम और ऑपरेटर की कमी बरकरार, बजट नहीं हुआ पास

BAREILLY: नगर निगम की ओर से शहर में शुरू की गई ऑनलाइन बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन की मुहिम रफ्तार से घिसट रही है। करीब साल भर बाद भी निगम की यह कवायद शासन की ओर से निर्देशित लक्ष्य को पाने में फेल रही। बरेली के सभी प्राइवेट नर्सिग होम्स व हॉस्पिटल्स को निगम की ओर से इस कवायद में जोड़ा जाना था। मकसद था पब्लिक को आसानी से बर्थ व डेथ सर्टिफिकेट अवेलबेल करवाना और दलालों के चंगुल से निजात दिलाना। निगम की ओर से इस पर मेहनत भी की गई, जिम्मेदारों ने पसीना बहाया और कई हॉस्पिटल्स जुड़े भी, लेकिन इनकी तादाद उम्मीद से कम रही। हाल यह है कि साल भर बाद भी सैकड़ों लोगों को निगम के दरवाजे तक अपने बर्थ डेथ सर्टिफिकेट के लिए दस्तक देनी पड़ रही है।

सिर्फ म्0 निजी हॉस्पिटल्स जुड़े

अर्बन लोकल बॉडीज की ओर से सूबे के सभी निकायों में बर्थ व डेथ सर्टिफिकेट बनाए जाने के लिए ऑनलाइन सर्विस शुरू करने की पहल की गई थी। निगम में अगस्त ख्0क्फ् से इसे शुरू किया गया था। शहर में ख्00 से ज्यादा प्राइवेट हॉस्पिटल्स व नर्सिग होम्स हैं। योजना सभी को निगम से ऑनलाइन जोड़ने की थी, जिससे हर हॉस्पिटल या नर्सिग होम में बर्थ या डेथ के केसेज को तुरंत निगम से रजिस्टर्ड कराया जा सके। साथ ही अगले तीन दिन में पब्लिक को ऑनलाइन सर्टिफिकेट मिल सके, लेकिन करीब साल भर बाद भी शहर के महज म्0 प्राइवेट हॉस्पिटल्स को ही निगम से जोड़ा जा सका।

पब्लिक की मैनुअल मुसीबत

निगम की ओर से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन मुहिम में जहां म्0 प्राइवेट हॉस्पिटल्स जोड़े गए, वहीं फ् सरकारी हॉस्पिटल्स को भी शामिल किया गया। निगम भले ही क्0 महीनेां में इतने हॉस्पिटल्स को मुहिम से जोड़े जाने पर अपनी पीठ थपथपाए, लेकिन पब्लिक को अब भी बर्थ व डेथ के मैनुअल सर्टिफिकट बनवाने को निगम के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। निगम के स्वास्थ्य विभाग में रोजाना मैनुअल सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने वालों की भीड़ लगी रहती है। हालांकि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू होने के बाद पिछले साल के मुकाबले भीड़ में कमी आई है, लेकिन पूरी तरह से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने का शासन की योजना फिलहाल अधूरी पड़ी है।

हॉस्पिटल्स की मनमानी पर सख्ती नहीं

निगम के स्वास्थ्य विभाग की ओर से उन्हीं हॉस्पिटल्स को लोकल अर्बन बॉडीज की मुहिम से जोड़ा गया जहां बर्थ केसेज होते हैं। शहर के ऐसे 78 मैटरनिटी व चाइल्ड बर्थ वाले हॉस्पिटल्स की लिस्ट बनाई गई थी। इसमें भी सिर्फ म्फ् हॉस्पिटल्स ही जोड़े जा सकें, जबकि क्भ् अब भी ऑनलाइन होने की राह ताक रहे हैं। वहीं बाकी के प्राइवेट हॉस्पिटल्स को न तो इस कवायद से जोड़ने में जिम्मेदार गंभीर दिखे और न ही इन हॉस्पिटल्स ने ही अपनी दिलचस्पी दिखाई। स्वास्थ्य विभाग की ओर से बचे हुए हॉस्पिटल्स को महज सूचना देकर अपनी जिम्मेदारी निभा ली। वहीं नोटिस के बावजूद निगम से ऑनलाइन रजिस्टर्ड होने के लिए इन प्राइवेट हॉस्पिटल्स के अप्लाई न किए जाने पर भी स्वास्थ्य विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।

न कंप्यूटर रूम न स्टाफ

स्वास्थ्य विभाग को शहर के सभी प्राइवेट हॉस्पिटल्स को ऑनलाइन मोड में न शामिल कर पाने में शासन की भी कमी रही है। विभाग के मुताबिक सबसे बड़ी कमी विभाग में कंप्यूटर रूम और ऑपरेटर्स का न होना भी है। शासन की ओर से स्वास्थ्य विभाग में इस कवायद को सही से चलाने के लिए कंप्यूटर रूम बनाए जाने, एसी व कंप्यूटर्स की व्यवस्था किए जाने और एक आईटी प्रोफेशनल के साथ ही 8 कंप्यूटर ऑपरेटर्स की नियुक्ति किया जाना शामिल था। नगर आयुक्त की ओर से इस संबंध में शासन को जल्द से जल्द स्टाफ व बजट अवेलबेल कराने की मांग की थी जो पूरी नहीं हुई।

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अभी मैटरनिटी फेसेलिटी वाले हॉस्पिटल्स को ही ऑनलाइन किया जा सका है। शहर के बचे बाकी प्राइवेट हॉस्पिटल्स को भी ऑनलाइन किया जाना है, जहां डेथ केसेज होते हैं। सभी बचे हुए प्राइवेट हॉस्पिटल्स को एक बार फिर से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने को नोटिस भेजी जा रही है। कंप्यूटर रूम व कंप्यूटर ऑपरेटर्स के लिए अभी तक शासन से बजट नहीं मिला है। - डॉ। एसपीएस सिंधु, नगर स्वास्थ्य अधिकारी