बरेली(ब्यूरो)। नगर निगम के ठीक सामने स्थित डलावघर के गेट पर वेडनेसडे को एक रैबीज संक्रमित पशु पूरे दिन तड़पता रहा। लोगों ने बताया कि इस पशु को कोई यहां बांधकर मरने के लिए छोड़ गया। नगर निगम को इस पशु के रैबीज संक्रमित होने की जानकारी होने के बाद भी उनकी ओर से यहां कोई एहतियात नहीं बरता गया। इस डलावघर में छोड़े हुए पशु भी पहुंचते हैं और कूड़ा बीनने वाले भी। यहां पड़े संक्रमित पशु से इनको भी संक्रमण हो सकता है और फिर यह संक्रमण एक बम की तरह भी फूट भी सकता है। नगर निगम ऑफिस से चंद कदम की दूरी पर इतने बड़े खतरे की आशंका होने के बाद भी निगम के जिम्मेदार पूरी तरह इस खतरे से बेपरवाह बने रहे। डलावघर को बंद करने के बदले निगम के अधिकारी संक्रमित पशु के मरने का इंतजार करते रहे।


कोई बांध गया पशु को
स्थानीय लोगों ने बताया कि रात में किसी समय कोई इस बीमार पशु को यहां बांध गया। नगर निगम के ठीक सामने बने डलावघर के गेट के पास ही पड़े पशु के पैर व मुंह बांध गया था। इस डलावघर के आसपास पूरे दिन छोड़े हुए पशुओं का झुंड मडराता रहता है। इसके बाद भी निगम के जिम्मेदार लोगों ने इस संक्रमित पशु को यहां से हटाने की जहमत नहीं उठाई।

करा दिया जाएगा सैनेटाइजेशन
डलावघर में रैबीज संक्रमित पशु के बंधे होने की बात जब निगम के अधिकारियों को बताई गई तो उनका कहना था कि पशु रैबीज से संक्रमित हैैं। दो-चार दिन में वह मर जाएगा। इसके बाद उस जगह पर सैनेटाइजेशन करा दिया जाएगा। इसके साथ ही उस स्थान पर सफाई भी करा दी जाएगी।

करते हैैं आइसोलेट
इस बाबत पशु विशेषज्ञों ने बताया कि संक्रमित पशु को खुले में नहीं डाल सकते। संक्रमण के खतरे से बचने के लिए ऐसे पशु को आइसोलेट कर दिया जाता है। ताकि उसके संपंर्क में आने से कोई और संक्रमित न हो जाएं। साथ ही सावधानी भी बरती जाती है, कि संक्रमित पशु की लार के संपर्क में कोई दूसरा पशु न आ जाए।

क्या है रेबीज बीमारी
यह एक विषाणुजनित रोग है, जो कि कुत्ते, बिल्ली, बंदर, गीदड़, लोमड़ी या नेवले के काटने से स्वस्थ पशु के शरीर में प्रवेश करता है। यह रोग नाडिय़ों के द्वारा मस्तिष्क में पहुंचता है और उसमें बीमारी के लक्षण पैदा करता है। बता दें कि रोग ग्रस्त पशु की लार में विषाणु ज्यादा पाए जाते हैं और यह तेजी से बढ़ते हैं। अगर रोगी पशु दूसरे पशु को काट ले या शरीर में पहले से मौजूद किसी घाव के ऊपर लार लग जाए, तो यह रोग फैल जाता है।

गाय के रेबीज़ लक्षण
विशेषज्ञों के मुताबिक पशु में रैबीज होने पर निम्न लक्षम दिखाई देते हैैं।

-पशु ज़ोर-ज़ोर से रम्भाने लगता है और बीच-बीच में जम्भाइयां लेता है।
-पशु अपने सिर को किसी पेड़ या दिवार पर मारता रहता है।
-पानी पीने से डरता है।
-रोग ग्रस्त पशु दुबला हो जाता है।
-एक दो दिन के अंदर उपचार न मिले, तो पशु मर सकता है।

वर्जन

डलावघर में बंधा हुआ पशु रैबीज से ग्रस्त हैैं। कुछ समय बाद उसकी मौत हो जाएगी। इसके बाद उस स्थान को सैनेटाइज करा दिया जाएगा।
-डॉ। अशोक कुमार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

किसी भी पशु को रैबीज होने पर उसे आइसोलेट कर दिया जाता है। ताकि इसके कारण दूसरे पशु को रैबीज न हो सके। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं हैैं।
-डॉ। ललित कुमार वर्मा, मुख्य पशुचिकित्साधिकारी

गाय के रेबीज़ लक्षण
पशु ज़ोर-ज़ोर से रम्भाने लगता है और बीच-बीच में जम्भाइयां लेता है।

पशु अपने सिर को किसी पेड़ या दिवार पर मारता रहता है।

पानी पीने से डरता है।

रोग ग्रस्त पशु दुबला हो जाता है।

एक दो दिन के अंदर उपचार न मिले, तो पशु मर सकता है।

क्या है रेबीज बीमारी

यह एक विषाणुजनित रोग है, जो कि कुत्ते, बिल्ली, बंदर, गीदड़, लोमड़ी या नेवले के काटने से स्वस्थ पशु के शरीर में प्रवेश करता है। यह रोग नाडिय़ों के द्वारा मस्तिष्क में पहुंचता है और उसमें बीमारी के लक्षण पैदा करता है। बता दें कि रोग ग्रस्त पशु की लार में विषाणु ज्यादा पाया जाता है। अगर रोगी पशु दूसरे पशु को काट ले या शरीर में पहले से मौजूद किसी घाव के ऊपर रोगी की लार लग जाए, तो यह रोग फैल जाता है।