- 29,877 लोग जिले में ट्यूजडे दोपहर तक हुए होम आइसोलेट
- 20,775 लोग ट्यूजडे तक होम आइसोलेशन पूरा कर हुए दुरुस्त
बरेली : जिले में बढ़ते कोरोना संक्रमितों की वजह से कोविड अस्पतालों में बेड लगभग फुल हैं। बेड और ऑक्सीजन की कमी समेत कई अव्यवस्थाओं का पता चलने पर अधिकांश कोविड संक्रमित होम आइसोलेट हो रहे हैं। रविवार को जहां, 873 संक्रमितों में से 800 से ज्यादा होम आइसोलेट हुए। वहीं, मंगलवार दोपहर तक करीब तीस हजार लोग संक्रमित होने के बाद होम आइसोलेट हो चुके हैं। इनमें से 20,775 का होम आइसोलेशन पूरा हो चुका है। वहीं, 1.123 लोगों की होम आइसोलेशन में तबीयत बिगड़ी, जिसके बाद इन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। यानी, जरूरी है कि होम आइसोलेशन में केवल सरकारी केयर के भरोसे न रहें, बल्कि खुद अपनी सेहत का ख्याल रखें। जिससे जल्द से जल्द कोरोना को हराकर स्वस्थ हो सकें। ऐसे में सुरक्षित रहने के लिए हमें पता होना जरूरी है कि होम आइसोलेशन में क्या-क्या सावधानी बरतनी हैं।
भेजे जा रहे मैसेज
जिले में इस समय आठ हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमित होम आइसोलेट हैं। वहीं, कोविड कंट्रोल रूम में चार से पांच नंबर ही हैं। वैसे तो पहले हर आइसोलेट कोरोना संक्रमित से बात करने का नियम है। लेकिन इतनी तादाद में सीमित संसाधनों से यह संभव नहीं। इसलिए अब रैंडम कॉ¨लग के अलावा लोगों को मैसेज भेजे जा रहे हैं। जिसमें लिखा है कि किसी भी तरह की परेशानी होने पर किन-किन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं।
होम आइसोलेशन में क्या करें
घर के अन्य सदस्यों से दूरी रखें। अलग हवादार कमरे में रहें। संभव हो, खिड़कियां खुली रखें। ट्रिपल लेयर मास्क पहनकर रहें, इसे छह से आठ घंटे में बदल लें। इसे पेपरबैग में लपेटकर 72 घंटे बाद ही सामान्य कचरा पात्र में डालें। साबुन व पानी से हाथों को चालीस सेकेंड तक धोएं। 70 फीसद अल्कोहल युक्त सेनेटाइजर का उपयोग करें। मास्क, रूमाल या कोहनी में खांसें या छीकें। ज्यादा छुई जानी वाली सतह छूने या इस्तेमाल से बचें। मोबाइल व दैनिक उपयोग की अन्य चीजें, एक प्रतिशत सोडियम हाइपोक्लोराइड घोल से सैनिटाइज करें। बर्तन, तौलिया, चादर आदि अलग रखें। पर्याप्त मात्रा में पानी, ताजा जूस या सूप जैसे तरल पदार्थ पियें।
इस तरह करें अपना परीक्षण
दिन में दो बार ऑक्सीजन व बुखार के स्तर की जांच करें। थर्मामीटर से तापमान लें, यह 100 फारेनहाइट से ज्यादा न हो। पल्स या नब्ज एक मिनट तक जांचे। इसके लिए शांत जगह तर्जनी व मध्यम अंगुलियों को कलाई (अंगूठे के आधार) पर रखें। ध्यान से गिनें, एक मिनट में कितनी धड़कनें महसूस कर रहे हैं। श्वसन दर 15 प्रति मिनट से ज्यादा न हो। ऑक्सीमीटर से एसपीओ-2 लेवल (आक्सीजन स्तर) देखें, यह 94 प्रतिशत से कम न हो। अन्य रोग जैसे शुगर, ब्लड प्रेशर है तो इसका इलाज जारी रखें। डॉक्टरों की सलाह का पालन करें व नियमित दवाइयां लें।
खान-पान रखें ध्यान
खाने में ताजा फल, सब्जी, प्रोटीन युक्त आहार ज्यादा लें, कार्बोहाइड्रेट कम लें। शराब, धूमपान या अन्य नशीली
चीज का सेवन बिल्कुल न करें। पालतू जानवरों से दूर रहें। घर पर अतिथियों को न बुलाएं और न ही किसी से मिलें। स्कूल, बाजार, सार्वजनिक स्थान या सामाजिक-धार्मिक कार्यक्रम में न जाएं। फोन पर स्वजन के संपर्क में रहें। मन प्रसन्न रखें।
इन ¨बदुओं पर दें ध्यान-
- आक्सीजन लेवल (एसपीओ-2) 98-99 के करीब बेहतर है। न्यूनतम 94 फीसद रहे।
- पल्स रेट यानी एक मिनट में 72 बार नब्ज आइडल, 100 से ज्यादा न हो
- सामान्य अवस्था में एक मिनट में 18 से 20 बार ही सांस लेना सबसे बेहतर है।
- बुखार 100 डिग्री फारनेहाइट या इससे ज्यादा न हो।
ऑक्सीजन इलाज नहीं, सपोर्ट सिस्टम
300 बेड कोविड अस्पताल के प्रभारी व वरिष्ठ फिजीशियन डॉ.वागीश वैश्य बताते हैं कि ऑक्सीजन की किल्लत की दो प्रमुख वजह हैं। पहला, कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में सीधा असर फेफड़ों पर पड़ रहा है। इससे ऑक्सीजन स्तर तेजी से घटा और इसे पूरा करने के लिए ऑक्सीजन की मांग तेजी से बढ़ी। जिसके प्लांट अभी तक सीमित ही रहे। दूसरा, लोगों ने ऑक्सीजन बड़ी तादाद में स्टोर कर ली है। ऐसे में पहले से ही ऑक्सीजन स्टाक करने की जरूरत नहीं है। इससे वर्तमान हालात में ऑक्सीजन की किल्लत सामने आ रही है। यहां यह जानना जरूरी है कि ऑक्सीजन कोई इलाज नहीं बल्कि एक सपोर्ट सिस्टम है, जो इलाज के दौरान ऑक्सीजन लेवल मेनटेन रखता है।