बरेली(ब्यूरो)। एंटी रेबीज वैक्सीनेशन को लेकर लापरवाही जानलेवा भी साबित हो सकती है। आंकड़े बताते हैैं कि एक दिन में सेंटर पर 100 से अधिक लोग वैक्सीनेशन कराने पहुंच रहे हैैं। वहीं जिले में अब भी ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैैं, जो डॉग बाइट होने पर टोटके का सहारा ले रहे हैैं। जिले में ऐसी जगह भी हैं, जहां पानी से डॉग बाइट का इलाज करवाने के लिए दूसरे प्रदेश से भी लोग आते हैैं। दावा किया जाता है कि यह कारगर उपाय है। हालांकि इन दावों की पुष्टि दैनिक जागरण आईनेक्स्ट नहीं करता है।

120 केसेस डेली
डॉग बाइट के औसतन 100 से 120 केसेस 300 बेड हॉस्पिटल के एंटी रेबीज वैक्सीनेशन सेंटर में पहुंच रहे हैैं। इनमें से अधिकांश मामले डॉग और मंकी बाइट के होते हैैं। वहीं कुछ मामले अन्य एनिमल बाइट्स के भी पहुंच रहे हैैं। मंडे को पेशेंट की संख्या का आंकड़ा 274 तक पहुंच गया था। हालांकि स्वास्थ्यकर्मी बताते हैैं कि इनमें फस्र्ट, सेकंड और थर्ड डोज लगवाने वाले भी शामिल रहते हैैं।

टोटकों पर ध्यान
डॉग बाइट पर कुछ जगहों पर कुएं के पानी पिलाते हैैं तो कोई इसके लिए झाड़-फंूक का सहारा भी ले रहा है। वहीं बचाव के लिए तरह-तरह के लेप का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं कई लोग अपने घर से कुत्तों को दूर रखने के लिए नील को बोतल में करके उसे गेट पर टांग देते हैैं, इससे कुत्तों के दूर रहने का दावा भी किया जाता है। ऐसे ही बरेली के एक गांव में लोग डॉग बाइट के केसेस में पानी पिलाने पर जोर देते हैैं। इसके लिए दूर-दूर से लोग आते हैैं।

क्या करें उपाय
पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ। आदित्य तिवारी का कहना है जानवर काटे तो सबसे पहले घाव को साबुन और नल के बहते पानी से 10-15 मिनट तक लगातार धोएं। उसके बाद सीधे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाना चाहिए। वहां पर एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाएं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार वैक्सीनेशन का कोर्स पूरा करें। इसके साथ ही अगर घर में डॉग पालतू है तो उसे भी वैक्सीन लगवाएं।

2000 का हुआ वैक्सीनेशन
नगर निगम के चीफ वेटरनरी ऑफिसर डॉ। आदित्य तिवारी ने बताया कि डॉग्स की संख्या आबादी का तीन प्रतिशत मानी जाती है। रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए नगर निगम की ओर से स्ट्रीट डॉग्स का भी वैक्सीनेशन कराया जाता है। साथ ही उनकी आबादी नियंत्रण करने के उद्देश्य से बधियाकरण भी किया जाता है। नगर निगम से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष करीब 2000 स्ट्रीट डॉग्स का वैक्सीनेशन एवं बधियाकरण किया गया है। इसके साथ ही निगम की ओर से बंदरों को पकड़वाकर जंगल में भेजा जाता है।

किसने खोजा रेबीज
रेबीज का वायरस संक्रमित जानवरों की लार ग्रंथियों में मौजूद होता है। जब ये संक्रमित जानवर किसी को भी काटता है तो ये वायरस घाव के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाता है। फिर मस्तिष्क तक पहुंचता है और सेंट्रल नर्वस सिस्टम में स्थापित हो जाता है। रेबीज एक ऐसी बीमारी है, जिसका संक्रमण जानलेवा होता है। प्रसिद्ध फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने रेबीज के टीके का सफल परीक्षण किया था।

न बरतें लापरवाही
जिला एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ। मीसम अब्बास का कहना है कि किसी भी जानवर के काटने पर मिर्च का लेप या झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़ें। डॉक्टर से परामर्श के बाद वैक्सीनेशन करवाना चाहिए, जिससे समय रहते उचित इलाज मिल सके। कुत्ते, बिल्ली या किसी अन्य जानवर के काटने पर बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें। अगर हल्का सा भी निशान है तो भी इंजेक्शन जरूर लगवाना चाहिए। रेबीज खतरनाक है, मगर इसके बारे में लोगों की कम जानकारी अधिक घातक साबित होती है। आमतौर पर लोग मानते हैं कि रेबीज केवल कुत्तों के काटने से होता है मगर ऐसा नहीं है। कुत्ते, बिल्ली व बंदर आदि कई जानवरों के काटने से वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। कई बार घाव पर पालतू जानवर के चाटने पर खून के जानवर के लार से सीधे संपर्क में आने से भी यह फैल सकता है। इसलिए इसके प्रति सावधान होने की आवश्यकता है।


डॉग बाइट के मामले को हल्के में न लें। सावधानी बरतें, चिकित्सकीय परामर्श लें। अस्पताल जाकर एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाना चाहिए।
डॉ। बलवीर सिंह, सीएमओ


तीन सौ बेड अस्पताल के साथ ही सीएचसी और पीएचसी पर भी एंटी रेबीज वैक्सीनेशन किया जाता है। ऐसे में सीएचसी-पीएचसी में वैक्सीनेशन होने के बाद अस्पताल में करीब 120 मरीज पहुंच रहे हैैं, जो दर्शाता है कि रोजाना बड़ी संख्या में लोगों को डॉग और अन्य एनिमल बाइट कर रहे हैैं। इसके अतिरिक्त कई लोग अस्पताल तक नहीं पहुंचते हैं और टोटकों का भी सहारा लेते हैैं। बाइट के केसेस सिटी से अधिक गांव से आते हैैं।
डॉ। मीसम अब्बास, एपीडेमियोलॉजिस्ट