बरेली (ब्यूरो)। अगर आप अपनी बाइक या बुलेट का साइलेंसर मॉडिफाइड करवा चुके हैं और उससे पटाखा जैसी तीखी आवाज निकल रही है तो अब सावधान हो जाइए। मॉडीफाइड साइलेंसर का इस्तेमाल करते हुए ध्वनि प्रदूषण बढ़ाने वाले बाइकर्स की मुश्किलें बढ़ गई है। ऐसे बाइकर्स अब पुलिस की रडार पर आ गए हैं। परिवहन विभाग, पुलिस विभाग, वाणिज्य कर विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ज्वाइंट टीम मॉडिफाइड साइलेंसर बेचने और लगवाने वाले बाइकर्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी।
बनाया मास्टर प्लान
प्रशासन और पुलिस ने ऐसे बाइकर्स को रोकने के लिए मास्टर प्लान बनाया है। कलेक्ट्रेट सभागार में थर्सडे को एडीएम सिटी महेंद्र कुमार ने कहा कि मॉडिफाइड साइलेंसर से निकलने वाले तेज व कर्कश आवाज (80 डेसिबल से अधिक) से ध्वनि प्रदूषण से खतरनाक प्रभाव से बढ़ता है। इससे निकलने वाली तेज से इंसानों और पशु पक्षियों पर कुभाव पड़ता है। उन्होंने जिले में वाहनों में मॉडिफाइड साइलेंसर पाये जाने पर विधिक कार्रवाई करते हुए ध्वनि प्रदूषण के संबंध में नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन स्वामियों का वाहन रजिस्ट्रेशन के निलंबन की कार्रवाई के आदेश दिए। इस दौरान एसपी सिटी रविंद्र कुमार, एआरटीओ प्रवर्तन जेपी गुप्ता, एआरटीओ प्रशासन मनोज कुमार सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण बोर्ड रोहित सिंह, यातायात निरीक्षक परवेज अली खान सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी मौजूद रहे।
चलाया जाएगा अभियान
जिले में अभियान चलाकर मॉडिफाइड साइलेंसर वाले वाहनों की धरपकड़ की जाएगी। ध्वनि प्रदूषण से होने वाले विपरीत प्रभावों से आमजन को जागरूक किया जाएगा। स्कूल, अस्पताल, आवासीय क्षेत्र में साइलेंट जोन या नो हार्न, नॉइज फ्री जोन चिह्नित किए जाएंगे। साथ ही जिलेभर में जागरुकता होर्डिंग्स लगाए जाएंगे।
इस तरह होगी कार्रवाई
मॉडिफाई साइलेंसर पर मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की 182ए (वाहन के स्वरुप में परिवर्तन), धारा 190 (ध्वनि प्रदूषण के अंतर्गत कार्रवाई), धारा 53 (वाहन के रजिस्ट्रेशन निलंबन) और निलंबन के 6 महिने बाद धारा 54 (पंजीयन निरस्त करने) की कार्रवाई की जाएगी।
मैकेनिक से करवा रहे मॉडिफाई
कार या बाइक के शोरूम्स पर बाइक या बुलेट में किसी भी तरह की मॉडिफाइडेशन कराने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसके बावजूद बाइकर्स सिटी में चल रहे हार्डवेयर मैकेनिक से बाइक में तमाम तरह का मॉडिफाइ करवा लेते हैं। बाइक में साइलेंसर और कार में बंपर प्रचलन में है। पटेल चौक, कोहाड़ापीर, जंक्शन मालगोदाम रोड, सेटेलाइट पर स्थित मकैनिक मार्केट में खुलेआम गाडिय़ों ेको मॉडिफाई किया जाता है।
सुनने की क्षमता हो सकती कम
ईएनटी डॉ। स्पेलिस्ट एलके सक्सेना ने बताया कि ध्वनि प्रदूषण मापने का पैमाना डेसिबल होता है। 100 डेसिबल की आवाज को लगातार 15 मिनट तक सुनने से कान हमेशा के लिए खराब हो सकते हैं। सुनने की क्षमता हमेशा के लिए कम हो सकती है। नॉर्मल व्यक्ति 0 डेसिबल तक की आवाज सुन सकता है। यह पेड़ के पत्तों की सरसराहट के बराबर होती है। नॉमर्ली बातचीत करीब 60 डेसिबल तक होती है। बिजली कड़कने की आवाज 120 डेसिबल और बंदूक चलाने पर 190 डेसीबल तक आवाज निकलती है।