- तुगलकी फरमान से बंदिश में छात्राएं

- कैंपस में मोबाइल पर बात करने से लगता है डर

केस 1- साहू रामस्वरूप ग‌र्ल्स कॉलेज में एक छात्रा की तबियत अचानक खराब हो गई। कॉलेज में मोबाइल पर प्रतिबंध है और मेडिकल की भी कोई सुविधा नहीं। ग‌र्ल्स को न तो मेडिकल हेल्प मिली और न ही वह अपने घर तबियत बिगड़ने की इंफॉर्मेशन दे पाई।

केस 2- अवंतीबाई ग‌र्ल्स कॉलेज की एक छात्रा मेन गेट के आगे खड़े होकर आटो का वेट कर रही थी। बाइक सवार कुछ शोहदे बार-बार उसके पास आकर कमेंट करने लगे। वह वापस कैंपस लौट गई। मोबाइल न होने की वजह से वह अपने घर पर इसकी सूचना भी नहीं दे पाई। काफी देर बाद जब शोहदे चले गए तो वह घर पर जा पाई।

BAREILLY: ग‌र्ल्स की सिक्योरिटी और उन्हें सशक्त बनाने के लिए हर लेवल पर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। सेल्फ डिफेंस के गुर सीखने से लेकर पेपर स्प्रे व स्माल नाइफ तक रखने का सलाह दी जा रही हैं। यहां तक कि अब तो इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी को उनके लिए एक बड़े हथियार के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन सिटी के ग‌र्ल्स कॉलेज में इन दिनों उल्टी गंगा ही बह रही है। ग‌र्ल्स कॉलेजेज ने एक तुगलकी फरमान में यहां पर पढ़ने वाली ग‌र्ल्स के लिए बड़ी प्रॉब्लम खड़ी कर दी है। कॉलेज मैनेजमेंट ने कैंपस में ग‌र्ल्स को मोबाइल यूज पर बैन लगा दिया है। यह फरमान इतना स्ट्रिक्ट कर दिया है कि कॉलेज में मोबाइल साथ लाने पर भी रोक है। कॉलेज के इस फरमान से जहां एक तरफ ग‌र्ल्स में गुस्सा है तो दूसरी तरफ वह कालेज प्रशासन के खिलाफ खुल कर बोल भी नहीं रही हैं।

अवंतीबाई में कैमरे की नजर में ग‌र्ल्स

वीरांगना रानी अवंतीबाई ग‌र्ल्स पीजी कॉलेज ने बाकायदा बोर्ड पर नोटिस चस्पा कर कैंपस में मोबाइल के प्रयोग पर बैन लगा दिया है। कॉलेज के मेन गेट से लेकर पूरे कैंपस में करीब क्ख् सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। ग‌र्ल्स को कॉलेज मैनेजमेंट की तरफ से यह साफ हिदायत दी गई है कि वे कैमरे की नजर में हैं। यदि कैंपस में मोबाइल का यूज करते हुए पकड़ी गई तो उनके खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है। इसस कॉलेज की ग‌र्ल्स के मन में डर बैठ गया है। वे कहीं सीसीटीवी कैमरे की जद में ना आ जाएं, यह सोचकर मोबाइल यूज भी नहीं करतीं।

साहू रामस्वरूप में तो होती है चेकिंग

साहू रामस्वरूप ग‌र्ल्स पीजी कॉलेज में तो मोबाइल को लेकर बाकायदा चेकिंग अभियान भी चलता है। ग‌र्ल्स को साफ हिदायत दी गई है कि वे मोबाइल लेकर कॉलेज न आएं। फरमान इतना स्ट्रिक्ट है कि अब अधिकांश ग‌र्ल्स मोबाइल लेकर कॉलेज नहीं आतीं। स्टूडेंट्स के मन में कॉलेज का डर इस कदर हावी है कि वे इसके खिलाफ आवाज भी नहीं उठातीं। यदि गाहे-बगाहे मांग उठती भी है तो कॉलेज तुरंत दबा देता है। डर के मारे ग‌र्ल्स इस मुद्दे पर बात नहीं करतीं, यहां तक कि वे कॉलेज के सुर में सुर मिलाती नजर अाती हैं।

ग‌र्ल्स को जाना पड़ता है बाहर

मोबाइल फोन का यूज करने के लिए ग‌र्ल्स को कैंपस से बाहर जाना पड़ता है। जिन्होंने मारे डर के मोबाइल लाना बंद कर दिया है, उनके लिए तो पीसीओ ही सहारा है। लेकिन कैंपस से बाहर भी जाने पर उनसे इंक्वायरी की जाती है। कुछ ग‌र्ल्स ने बताया कि कॉलेज मैनेजमेंट ने मोबाइल पर प्रतिबंध तो लगा दिया लेकिन यदि इमरजेंसी में परिजनों से बात करनी पड़ती है तो कैंपस में इसकी सुविधा भी नहीं है। उन्होंने बताया कि कई बार ऐसी सिचुएशन आई जब घर पर फोन करनी जरूरत महसूस हुई लेकिन वे फोन नहीं कर पाई।

कॉलेज मिसयूज का दे रहा है तर्क

कैंपस में मोबाइल के प्रयोग पर बैन लगाने के पीछे कुछ अलग ही तर्क दे रहा है। कॉलेज का मानना है कि ग‌र्ल्स मोबाइल का मिसयूज ज्यादा कर रही हैं। क्लास में बैठने के बजाय वे कैंपस में किसी एकांत जगह पर बैठकर घंटों बातें करती हैं। यही नहीं मोबाइल पर कॉल व मैसेज आते ही वे तुरंत कैंपस से गायब भी हो जाती हैं। कॉलेज का तर्क है कि वे घर से तो निकलती हैं कॉलेज के लिए लेकिन कॉलेज आने पर कॉलेज से कहीं और चली जाती हैं। कॉलेज में भी नहीं आतीं। क्लास के अंदर भी चैटिंग करती रहती हैं। कॉलेज का मानना है कि मिसयूज पर रोक लगाने के लिए ही कैंपस में प्रतिबंध लगाया गया है।

मोबाइल है बड़ा हथियार

मौजूदा समय में ग‌र्ल्स के साथ हर मोड़ पर घटनाएं हो रही हैं। आज सिक्योरिटी और सेफ्टी सबसे बड़ा कंसर्न है। ऐसे में टेक्नोलॉजी डिफेंस के लिए सबसे बड़ा हथियार बनकर उभर रहा है। मोबाइल भी इसी में से एक है। मोबाइल पर तमाम एप्स मौजूद हैं जिनके माध्यम से ग‌र्ल्स अपने आपको सेफ रख सकती हैं। यही नहीं क्090 समेत कई हेल्पलाइन फोन और वाट्सएप्प पर एक्टिव हैं। ये सब ग‌र्ल्स की सहूलियत के लिए है। जिसकी कभी भी जरूरत महसूस हो सकती है। किसी भी वक्त वे प्रॉब्लम में आएं तो तुरंत मोबाइल के माध्यम से वे किसी से भी हेल्प मांग सकती हैं। यही नहीं मोबाइल के जरिए तमाम बड़ी घटनाओं का खुलासा होता है। ऐसे में इतनी सारी खूबियों को समेटे हुए मोबाइल पर बैन लगाना बेतुका लगता है।