गूगल प्ले स्टोर पर रमजान स्पेशल डिफरेंट एप्स मौजूद

इफ्तार-सहरी की टाइमिंग से लेकर जरूरी दुआएं भी अवेलेबल

BAREILLY: मुकद्दस महीना रमजान शुरू हो चुका है और अल्लाह की रहमतों को पाने के लिए रोजेदार इबादत में लगे हुए हैं। पर अपने बिजी शेड्यूज के चलते अक्सर लोगों को वक्त का अंदाजा नहीं रह पाता। जबकि माहे रमजान में सभी रोजेदारों का वक्त पर सहरी, इफ्तार और इबादत करना बेहद जरूरी है। ऐसे में अकीदतमंदों की मदद के लिए टेक्नोलॉजी हाजिर है। आप किसी भी काम में बिजी हों पर फोन की एक रिंग पर आपको रिमाइंड हो जाएगा कि इबादत करने का वक्त हो गया है। ये सब पॉसिबल होगा रमजान स्पेशल एप्स से। अपने स्मार्टफोन में इन डिफरेंट रमजान स्पेशल एप्स को डॉउनलोड कर रोजेदारों को बार-बार घड़ी नहीं देखनी पड़ेगी। सहरी, इफ्तार से लेकर नमाज का वक्त होते ही आपका फोन आपको इंफॉर्म करेगा। वहीं इन एप्स में दुआएं, जकात की जानकारी और लजीज इफ्तारी बनाने की रेसिपी भी मौजूद हैं। आला हजरत के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी के अनुसार मोबाइल एप्स के जरिए दुआएं पढ़ने और सुनने में कोई हर्ज नहीं है। सभी इन एप्स से हेल्प ले सकते हैं। वेबसाइट्स और गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद ज्यादातर एप्स को फ्री डाउनलोड किया जा सकता है। हम आपको इन एप्स के बारे में बताते हैं, जो आपकी इबादत को ऑन टाइम रखेंगी।

सही समय बताएगा 'रमादान ख्0क्ब्'

एप्लीकेशन 'रमादान ख्0क्ब् एंड प्रेयर टाइम' में सहरी और इफ्तार दोनों के टाइम का सेट अलार्म लगा है, जो सहरी और इफ्तार के टाइम पर अलर्ट करेगा। साथ ही इसमें पांच वक्त की नमाज का रिमाइंडर मौजूद है, जो अलार्म के जरिए बताएगा कि किस नमाज का वक्त हो गया। इस एप की खास बात है कि इसमें लोकेशन सेट करने की जरूरत नहीं होती। बस फोन का लोकेटर ऑन होने पर आप जहां भी होंगे, वहां के वक्त के हिसाब से एप सभी टाइमिंग के लिए अलर्ट करेगा। इसके अलावा इसमें रमजान कैलेंडर, नमाज का हाईलाइटर, सहरी और इफ्तार के नोटिफिकेशन समेत कई फीचर मौजूद हैं।

एप्स पढ़ा रहे 'दुआ'

रमजान में पढ़ी जाने वाली दुआओं के लिए अब दुआ की किताबें पास रखने की जरूरत नहीं। सारी दुआएं आपको बस फोन के एक क्लिक पर मिल जाएंगी। 'रमजान दुआ' के नाम से मौजूद एप में सहरी और रोजे की नियत की दुआ समेत कई और दुआएं भी मौजूद हैं। इनमें तराबीह की दुआ, रमजान के पहले, दूसरे और तीसरे अशरे की दुआ भी मौजूद हैं। यह एप डॉउनलोड करने के बाद इंटरनेट कनेक्शन के साथ यूज कर सकते हैं। इस एप में दुआएं उर्दू और अरबी में दोनों में अवेलेबल हैं।

'कलमा-दुरुद' पढ़ें और सुनें भी

इस एप से न सिर्फ दुरुद शरीफ और कलमा पढ़ा जा सकता है, बल्कि उन्हें सुना भी जा सकता है। इसमें बेसिक छह कलमे, जरूरी दुरूद-ए-पाक समेत इस्लाम की बेसिक जानकारी भी मौजूद है। जो रमजान की तिलावत में काफी मददगार साबित हो सकती हैं। इसके अलावा कलमों का इंग्लिश ट्रांसलेशन भी मौजूद है, ताकि कलमों को पढ़ने के साथ उनका मतलब भी समझा जा सकता है।

इफ्तार भी कराएंगे तैयार

सहरी के लिए लजीज खाना और शाम की इफ्तारी बनाने में आपका हाथ अब एप्स बटांएगे। 'रमजान रेसिपी' नाम के एप में कई देशों की लजीज डिशेज बनाने के तरीके मौजूद हैं। इस एप को खासकर रमजान के लिए बनाया गया है। जो दिन भर रोजा रखने के बाद डिलिशियस फूड बनाने में हेल्प करता है। इसमें मौजूद मेन्यू में कई डिशेज बनाने का स्टेप बाई स्टेप तरीका अवेलेबल है, जिससे कंफ्यूजन की स्थिति नहीं बनेगी।

जकात का भी कैलकुलेशन

इस्लाम में जकात यानि दान की एक अहम भूमिका है। रमजान के महीने में हर मुस्लिम को अपनी हलाल कमाई का कुछ हिस्सा गरीबों में डिस्ट्रिब्यूट करना होता है, जिसे जकात कहते हैं। लेकिन इसे देने के लिए कई कैलकुलेशन होते हैं। चल-अचल संपत्ति पर अलग-अलग तरह से जकात के नियम लागू होते हैं। इन नियमों और मसलों को जानने के लिए एप 'रमजान एंड जकात' अवेलेबल है। इस पर जकात संबंधी अन्य जानकारी भी मौजूद है।

'किड्स दुआ' सिखाएगा बच्चों को

बच्चों का ध्यान खेल में होने के कारण बच्चे इबादत से बचते हैं, लेकिन इबादत भी बच्चों के मनपसंद तरीके से हो जाएं तो वह इंट्रेस्ट लेते हैं। बच्चों के लिए स्पेशल एप 'किड्स दुआ' है, जो ना सिर्फ बच्चों को दुआएं पढ़ाएगा बल्कि सुनाएगा भी। इसे सुनकर बच्चे आसानी से दुआओं को याद कर सकते हैं। इसमें एक से तीन साल और पांच से छह साल की उम्र के बच्चों के लिए दुआएं सीखने के तरीके हैं। बच्चों को दुआएं याद करने में प्रॉब्लम ना हो इसलिए इन दुआओं के कई भाषाओं में ट्रांसलेशन भी अवेलेबल हैं।

दुआओं को एप्स से पढ़ने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन इनमें लिखी दुआओं या आयतों को किसी जानकार से चेक करा लें कि वो सही हैं या नहीं। इस्लाम को टेक्नोलॉजी से नहीं बल्कि उसके गलत इस्तेमाल से परहेज है।

नासिर कुरैशी, मीडिया प्रभारी, दरगाह आला हजरत कमेटी

मोबाइल पर अपलोड एप को सही तब ही ठहराया जा सकता, जब आपका उसमें पूरा ध्यान हो। इबादत के लिए दिल और दिमाग का साथ होना जरूरी है। मोबाइल पर आयतें, दुआएं चल रही हैं, लेकिन अगर ध्यान कहीं और है तो ये बिल्कुल गलत है।

शम्सी

बिजी शेड्यूल में इबादत के लिए प्रॉपर टाइम निकाल पाना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में स्मार्टफोन में मौजूद एप्स पर चल रही दुआओं से इबादत का सिलसिला चलता रहता है। मैंने इन्हें अपने अब्बू से चेक कराया यह सटीक हैं। इनके इस्तेमाल से किसी को कोई परहेज नहंीं होना चाहिए।

वसीम, स्टूडेंट