-दोपहर को प्रवासी-नेपाली मित्र मंच की टीम बरेली आकर बच्चों की सुपुदर्गी ली
-सीडब्ल्यूसी ऑफिस पहुंचे बच्चों के चेहरे पर भी दिखी अपनों से मिलने की खुशी
बरेली : किसी को मां-बाप तो किसी को भाई-बहन से मिलने की खुशी साफ दिखाई दे रही थी। हो भी क्यों न मार्च माह से अपनों से दूर हुए नेपाल के चार बच्चों के घर जाने का सैटरडे को मौका मिला। सभी मासूमों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। अपनों से बिछड़े इन बच्चों का परिवार से पुन: मिलन बाल कल्याण समिति की मजबूत पैरवी के कारण ही संभव हो सका। शनिवार को बरेली सीडब्ल्यूसी पहुंची प्रवासी-नेपाली मित्र मंच की टीम में संस्था के महासचिव रघुनाथ पाण्डेय, महिला अध्यक्ष अनीता क्षेत्री और महिला महासचिव गीता ने चारों बच्चों को नेपाल ले जाने की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद टीम चारों बच्चों को अपने साथ लेकर नेपाल के लिए रवाना हो गई।
मार्च माह में मिले थे बच्चे
नेपाल का रहने वाला एक 15 वर्षीय किशोर को सेंथल आरपीएफ ने 19 मार्च को पकड़कर चाइल्ड लाइन को सौंपा था। बच्चे को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश करने के बाद आर्य समाज अनाथालय में रखवा दिया गया। इसके बाद एक बच्चा नौ वर्ष, एक बच्चा सात साल और एक बच्ची पांच साल की जिनको कोई अज्ञात वाहन वाला नेपाल से लेकर आया और बरेली में 27 मार्च को छोड़ गया। सिटी चाइल्ड लाइन टीम ने तीनों मासूमों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश कर उनको भी अनाथालय में रखवा दिया। मामला दूसरे देश का था और उसके बाद लॉकडाउन भी लग गया। इससे बच्चे आर्य समाज अनाथालय में ही रहे।
जुलाई में शुरू हुई घर भेजने की प्रक्रिया
लॉकडाउन हटने के बाद अनाथालय में रह रहे बच्चों को नेपाल भेजने के लिए बाल कल्याण समिति के मजिस्ट्रेट डॉ। डीएन शर्मा ने दूतावास को 17 जुलाई को मेल किया। इसकी जानकारी प्रवासी-नेपाली मित्र मंच की टीम को लगी तो वह भी मदद को आगे आए। टीम ने भी नेपाल से बच्चों के घर का एड्रेस के बारे में नेपाल के नगर प्रमुख आदि से बात की। इसके बाद नेपाल दूतावास ने भी बच्चों को वापस लाने का प्रयास किया। इसके बाद प्रवासी-नेपाली मित्र मंच की टीम ने शनिवार को बच्चों को अपने सुपुर्द लिया और नेपाल के लिए रवाना हो गई। टीम के महासचिव रघुनाथ पाण्डेय ने बताया कि वह बच्चों को सुनौली बार्डर पर लेकर जाएंगे। संडे सुबह बच्चों के परिजन, नगर प्रमुख और पुलिस प्रमुख के समक्ष बच्चों को सुपुर्द करने की प्रक्रिया होगी। उसके बाद बच्चों को परिजनों के साथ नेपाल भेजा दिया जाएगा।
अब मानेंगे कहना
बाल कल्याण समिति पहुंचे बच्चों से जब बातचीत की गई तो 14 वर्षीय किशोर ने बताया कि वह दिल्ली में जॉब करना चाहता था। इसीलिए घर छोड़ दिया, लेकिन रास्ते में आरपीएफ ने पकड़ लिया। वहीं तीन अन्य मासूमों में एक पांच साल की बच्ची भी थी, जबकि दो सगे भाई थे। बच्चों का कहना था कि उन तीनों बच्चों को कोई ट्रक वाला घुमाने के लिए लाया और बरेली में छोड़कर चला गया। अब सभी बच्चे यही बोल रहे थे कि उन्होंने गलती की जिससे उनकी मां, बाप, भाई, बहन सब बिछुड़ गए। वह अब ऐसी गलती दोबारा नहीं करेंगे।
1990 से संस्था कर रही काम
बच्चों को नेपाल ले जाने के लिए बरेली पहुंची प्रवासी-नेपाली मित्र मंच की तीन सदस्यीय टीम के रघुनाथ पाण्डेय दिल्ली रेलवे में जॉब करते हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने नेपाली बच्चों और महिलाओं की स्थिति को देखते हुए उनके लिए काम करना शुरू किया। इसके लिए 1990 में अपनी संस्था बनाई। बताया कि उनकी टीम में करीब 25 मेंबर्स हैं और अब तक करीब 2 हजार से अधिक महिलाओं व बच्चों को की हेल्प कर चुके हैं। बरेली में इन बच्चों की जानकारी भी उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से बनारस के किसी शख्स ने दी। इसके बाद बरेली बाल कल्याण समिति से संपर्क किया। इसके बाद नेपाली दूतावास से संपर्क कर दस्तावेज पेश किए। उसके बाद बच्चों को नेपाल तक पहुंचाने में टीम को सफलता मिल सकी।
बच्चों के लिए सहानभूति की नहीं समानभूति की जरूरत होती है। नेपाल के बरेली में मिले चार बच्चे अनाथालय में रह रहे थे। सभी बच्चों को नेपाल वापस भेजने की पूरी प्रक्रिया नेपाल दूतावास के माध्यम से सफल रही। अब सभी बच्चे अपने घर परिजनों के पास पहुंच सकेंगे।
डॉ। डीएन शर्मा, मजिस्ट्रेट, सीडब्ल्यूसी