- बहेड़ी में बनेगा वर्ण संकर पशु उत्थान केंद्र

- उत्तराखंड की गाय और भैंसों के भ्रूण से बढ़ेगी दुग्ध उत्पादन क्षमता

BAREILLY:

जल्द ही शहर में दूध की किल्लत से निजात मिल जाएगी। भ्रूण प्रत्यारोपण के माध्यम से गाय और भैंसों को सेरोगेट मदर बनाकर दुग्ध उत्पादन की क्षमता को तीन गुना तक हो जाएगी। फिलहाल जिले में दुग्ध उत्पादन 80 हजार लीटर प्रतिदिन है। जबकि, दूध की डिमांड जस्ट डबल है। दुधारू पशुओं के बढ़ने से रोजगार बढ़ने और मिलावटी दूध से निजात मिलने की संभावना है। क्योंकि बहेड़ी में वर्ण संकर पशु उत्थान केंद्र के निर्माण के लिए राजस्व विभाग ने 7 करोड़ का बजट जारी कर दिया है।

7 करोड़ से होगा निर्माण

प्रदेश में दूसरे वर्ण संकर पशु उत्थान केंद्र की नींव जल्द रखी जाएगी। पशुधन विकास परिषद ने प्रदेश में हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब सरीखे राज्यों की तर्ज पर अच्छी नस्ल के दुधारू पशुओं की तादाद बढ़ाने की कवायद शुरू की है। बहेड़ी के गुडिया मोकर्ररपुर स्थित सीलिंग की जमीन पर फूड मेगा पार्क के पास वर्ण संकर पशु उत्थान केंद्र बनेगा। राजस्व विभाग की ओर से जारी 7 करोड़ का बजट निर्माण निगम को दे दिया गया है। निगम जल्द ही केंद्र की नींव भरने वाला है। फूड मेगा पार्क में केंद्र को भूमि आवंटित कराने के लिए डीएम ने एनओसी लेटर पर मुहर लगा दी है।

सिर्फ बछिया होगी पैदा

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के मुताबिक अच्छे और विदेशी नस्ल की गायों में भी भ्रूण प्रत्यारोपण कर पशु संततियों को उत्पन्न किया जाएगा। इस तकनीक से गाय अब सिर्फ बछिया ही पैदा होगी। जरूरत पड़ने पर बछड़े को भी भ्रूण प्रत्यारोपण विधि से जन्म दिया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की सेक्सिंग तकनीक को अपनाकर दुधारू गायों में भ्रूण प्रत्यारोपण के जरिए उच्च कोटि की नस्ल वाली दुधारू बछिया पैदा की जाएंगी। इस तकनीक से उत्पन्न गाय और भैंसों में 40 लीटर से ज्यादा दूध देने तक की क्षमता होगी।

उत्तराखंड से लेंगे भ्रूण

अच्छी नस्ल की गायों को तकनीक के माध्यम से गर्माकर साल भर में दो से तीन अंडे यानि डिम्ब लिए जाएंगे। उनको अच्छी नस्ल के सांड के सीमेन से निषेचित कर उन गायों या भैंसों के गर्भ में डाल दिया जाएगा। जोकि दूध देने के काबिल नहीं हैं। इस प्रॉसेस में करीब 70 से 80 दिन लगेंगे। इसमें कोई कमी या बीमारी भी नहीं रहेगी। अच्छी नस्ल की गाय से दुग्ध उत्पादन को बाधित किए बिना सालभर में 8 से 10 अंडे प्राप्त कर इतनी ही संख्या में बच्चे पैदा किए जाएंगे। प्रजनन में पीडि़त गायों और भैंसों की उपयोगिता बनाए रखने के लिए शुरुआत में उत्तराखंड के पशुओं से एम्बू और सीमन लिए जाएंगे।