क्लोनिंग के सहारे तैयार होंगे बेहतर नस्लों के पशुओं की खेप

एनिमल्स बॉडी में वैक्सींस जीन प्रोड्यूस करने का प्लान

BAREILLY: वैसे तो दूध सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है पर अगर यही दूध दवा का भी काम करने लगे तोजी हां श्रीनगर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स की मानें तो फ्यूचर में ऐसा हो सकता है। एनिमल मेड प्रोडक्शन पर काम करने वाले इन वैज्ञानिकों को विश्वास है कि वे ऐसे ट्रांजिनिक एनिमल्स तैयार कर सकते हैं जिनके दूध में ही इंसुलिन और ह्यूमन डिजीज के लिए काम में आने वाली मेडिसिन के तत्व शामिल होंगे। फिलहाल ऐसे एनिमल्स की संख्या बढ़ाने के लिए हैंडमेड क्लोनिंग का सहारा लिया जा रहा है। इसके जरिए बेहतर नस्ल के पशुओं की खेप तैयार की रही है। पिछले दिनों आईवीआरआई के सेमिनार में पहुंचे श्रीनगर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने आई नेक्स्ट से अपने रिसर्च के बारे में बताया।

Gene produce करने का plan

लोगों को डेंजरस डिजीज और उसके खर्चीले इलाज से बचाने के लिए साइंट्सि्ट्स इस रिसर्च को कर रहे हैं। इसमें एनिमल्स बॉडी में जेनेटिक इंजीनियरिंग के सहारे वैक्सींस के जीन को प्रोड्यूस करने का प्लान है। इस जीन से कैंसर और कई घातक बीमारियों से जूझ रहे लोगों को पशुओं से निकलने वाले दूध से ही मेडिसिन मिल जाएगी। ऐसे वैक्सींस के जीन को हमेशा के लिए एनिमल्स की बॉडी में इंजेक्ट किया जा सकता है।

Farmers को मिलेगा सीधा लाभ

साइंट्सि्ट्स के अकॉर्डिग विदेशी गाय और भैंस मिल्क प्रोडक्शन में इंडियन एनिमल्स के ज्यादा कैपसिटी रखते हैं। क्लोनिंग के जरिए ऐसे एनिमल्स की खेप तैयार की जा सकती है जो किसानों के दुग्ध और अन्य बिजनेस को बढ़ावा देगी। हाल ही में बायोटेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने बोफेलो क्लोन गरिमा और पसमिना देने वाली गोट नूरी का क्लोन तैयार किया है। साइंटिस्ट का मानना है कि अगर रिसर्च इसी तरह पॉजिटिवली रहा तो वह दिन दूर नहीं जब डिजीज पर कंट्रोल पाने वाले वैक्सीन के जीन को एनिमल्स में प्रोड्यूस कर सबको फायदा मिल सकेगा।

Cell transfer कर positive change

हैंडमेड क्लोनिंग के जरिए साइंटिस्ट बेहतर नस्ल के एनिमल्स को बढ़ाने में लगे हुए हैं। इसके लिए कई विलुप्त हो रहे एनिमल्स की बॉडी से सेल निकालने के बाद एम्ब्रियो बनाकर दूसरे जानवरों में ट्रांसफर किया जा रहा है। एक्सप‌र्ट्स का मानना है कि इस एक्सपेरीमेंट के बाद एनिमल्स में जेनेटिकली चेंजेज साफतौर पर दिखाई दे रहा है। इससे दुधारू मवेशियों में दुग्ध उत्पादन और अन्य क्षमताओं में वृद्धि हो रही है।

Balance in nature

विलुप्त हो रहे जानवरों को बचाने में भी क्लोनिंग सिस्टम को साइंटिस्ट्स कारगर मान रहे हैं। उनका कहना है कि नेचर को बैलेंस में रखने के लिए ऐसे पशु-पक्षियों को बचाने में मदद मिलेगी। अधिक क्षमता वाले जानवरों की बॉडी से सेल दूसरे जानवर में ट्रांसफर कर नस्ल को बरकरार रखा जा सकता है। इस सिस्टम के सहारे देश में बेहतर नस्ल के जानवरों को फ्यूचर में बढ़ावा मिलेगा।

एनिमल्स में वैक्सींस के जीन को ट्रंासफर करना हैंडमेड क्लोनिंग का फ्यूचर प्लान है। फिलहाल हम बायोटेक्नोलॉजी के सहारे बेहतर नस्ल के मवेशियों को बढ़ावा दे रहे हैं।

-प्रो। रियाज अहमद, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी श्रीनगर