-बैठक को संबोधित करते हुए शोध को-आर्डिनेटर बोले पार्ट टाइम पीएचडी भी जल्द होगी शुरू

-माइग्रेशन व प्रोविजनल डिग्री के लिए दूर दराज के स्टूडेंट्स को आरयू तक लगानी पड़ती थी दौड़

बरेली : एमजेपीआरयू के मिनिस्ट्रयल सभागार में सैटरडे को दूसरे दिन 'प्रवेश परीक्षा एवं शोध कार्यो में सुधार' विषय पर बैठक हुई। जिसमें आरयू से एफिलेटेड महाविद्यालयों के प्राचार्य मौजूद रहे.कार्यक्रम का इनॉग्रेशन सरस्वती वंदना से हुआ। संचालन डॉ। आलोक श्रीवास्तव ने किया। बैठक में जानकारी देते हुए परीक्षा नियंत्रक संजीव कुमार सिंह ने कहा कि एमजेपीआरयू अब माइग्रेशन और प्रोविजनल डिग्री जल्द ही ऑनलाइन उपलब्ध कराएगा। इससे स्टूडेंट्स का समय, श्रम के साथ रुपए भी बचेंगे।

मार्च में ही पीएचडी में एडमिशन

विश्वविद्यालय के डायरेक्टरेट ऑफ रिसर्च के शोध समन्वयक प्रो। सुधीर कुमार ने सभी प्राचार्य को संबोधित करते हुए शोध के संबंध में विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे कार्यो एवं सुधारों के विषय में अवगत कराया। उन्होंने बताया की पीएचडी में एडमिशन मार्च के दूसरे सप्ताह में प्रारंभ हो जाएंगे, प्रथम प्राथमिकता फैलोशिप वाले छात्रों को होगी जिन्हें रिसर्च के साथ-साथ पठन-पाठन में भी सहयोग करना होगा। प्रोफेसर कुमार ने बताया की जुलाई सन 2021 तक पीएचडी प्रवेश संबंधी सभी कार्यो को विश्वविद्यालय पूर्ण कर लेगा। शोध छात्रों का साल में दो बार विश्वविद्यालय में एडमिशन होगा। विश्वविद्यालय शीघ्र ही पार्ट टाइम पीएचडी करवाने पर भी विचार कर रहा है। इसके लिए ऑनलाइन कोर्स वर्क पर भी विचार किया जा सकता है।

ऑनलाइन कोर्स वर्क पर होगा विचार

पीएचडी जमा करने के 3 माह के भीतर ही स्टूडेंट्स स्टूडेंट्स का वायवा कराने के लिए भी आरयू प्रयास कर रहा है। 2012 से आज तक के लंबित शोध प्रबंधों को शीघ्र अति शीघ्र निपटाने हेतु कार्य योजना तैयार की जा रही है ताकि कोई लंबित प्रकरण बचा ना रहे। शोध के कार्यो से संबंधित सभी जानकारियों को छात्रों तक पहुंचाने के लिए फोन नंबर अपनी वेबसाइट पर जारी किया है। यूजीसी अथवा अन्य संस्थाओं से फैलोशिप प्राप्त करने वाले शोधकर्ताओं का भुगतान सुनिश्चित करने हेतु विश्वविद्यालय समुचित कदम उठाएगा।

च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम हो लागू

डॉ। बृजेश कुमार द्वारा उपरोक्त सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके सभी प्राचार्यो को दिखाया एवं समझाया गया। डॉ। बृजेश कुमार ने सभी प्राचार्यो को विस्तार से इस सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल करने एवं इसके फायदे समझाए। आरयू के एंट्रेंस एग्जाम कोऑíडनेटर प्रो। एसके पांडे ने प्राचार्य को संबोधित करते हुए कहा रुहेलखंड विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश का प्रथम विश्वविद्यालय है जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को कारगर ढंग से अपने संस्थान में लागू किया है। उन्होंने कहा कि काउंसलिंग की प्रक्रिया ऑनलाइन कराए जाने से वक्त की काफी बचत हो जाती है और यह बहुमूल्य समय छात्रों के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकता है उन्होंने चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम अर्थात समस्त सिस्टम को भी अत्यधिक लाभकारी बताया।

पोर्टल के माध्यम से मिलेगी जानकारी

रजिस्ट्रार डॉ। सुनीता पांडे तथा परीक्षा नियंत्रक संजीव कुमार सिंह ने महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय के बीच बेहतर सामंजस्य बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आरयू महाविद्यालयों से डाटा एकत्र करने के लिए एक पोर्टल का निर्माण करवा रहा है, ताकि दूरदराज के क्षेत्रों से छात्रों एवं शिक्षकों को सुविधा हो साथ ही साथ शिक्षकों को दी जाने वाली तनख्वाह इत्यादि की जानकारी दी उसी पोर्टल के माध्यम से मिल सके। परीक्षा नियंत्रक संजीव कुमार सिंह ने बताया कि शीघ्र ही विश्वविद्यालय माइग्रेशन तथा प्रोविजनल डिग्री ऑनलाइन देने के कार्य को मूर्त रूप देने जा रहा है। इससे पूरे रुहेलखंड क्षेत्र में छात्रों को लाभ होगा ना केवल उनके यात्रा का समय बचेगा, खर्च बचेगा, बल्कि शारीरिक परेशानियां एवं मानसिक परेशानियां भी बचेंगी। उन्होंने सभी प्रधानाचार्य से निवेदन किया कि छात्रों के प्रैक्टिकल के नंबर हमेशा समय पर ही उपलब्ध करवाएं ताकि छात्र एवं कॉलेज ही नहीं विश्वविद्यालय भी परेशानियों से बचें।

आरयू वीसी प्रोफेसर केपी सिंह ने कहा कि कहा की 34-35 साल बाद नई शिक्षा नीति आई है, एवं पुरानी शिक्षा नीति से बेहतर है। इस शिक्षा नीति से समाज में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा। रुहेलखंड विश्वविद्यालय के तर्ज पर ही सभी महाविद्यालय अपने-अपने डायरेक्टरेट्स खोलें छात्रों को निरंतर सकारात्मक कार्यो में लगाएं अन्यथा वे नकारात्मक कार्यो के तरफ मुड़ सकते हैं। इस मौके पर मीडिया प्रभारी डॉ। अमित सिंह, सहायक रजिस्ट्रार सुनीता यादव, प्रशासनिक अधिकारी अनिल कुमार सिंह, प्रोग्रामर रविंद्र गौतम, प्रशासनिक अधिकारी जहीर अहमद, तपन वर्मा , देवेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे।