- नई व्यवस्था के बाद 20 साल तक के डाटा हो सकेगा सेव

- मीटर रीडिंग को लेकर भी नहीं होगी किसी तरह की समस्या

BAREILLY:

बड़े कंज्यूमर्स पर बिजली विभाग की अब पैनी नजर होगी। कंज्यूमर्स द्वारा कितना बिजली कंज्यूम की जा रही है इसकी न सिर्फ पल-पल निगरानी होगी। बल्कि रिकॉर्ड भी वर्षो तक सेफ रहेगा। विभाग ने यह सारी व्यवस्था 'पावर फैक्टर' को ध्यान में रखते हुए किया है। नई व्यवस्था के तहत बड़े कंज्यूमर्स के यहां मीटर रीडिंग की भी समस्या नहीं है। अधिकारी ऑफिस में बैठे कर ही कंज्यूम हुई यूनिट के बारे में जान सकेंगे। इस नई व्यवस्था से बिजली चोरी पर बड़ी लगाम लग सकती है।

लोड से ज्यादा खपत पर लगेगी रोक

बिजली सप्लाई का एक बहुत बड़ा हिस्सा इन बड़े कंज्यूमर्स द्वारा यूज किया जाता है। जिसको ध्यान में रखते हुए विभाग ने इन कंज्यूमर्स को मीटर रीडिंग इंस्टूमेंट (एमआरआई) की कैटेगरी में ला दिया है। एमआरआई के जरिए कंज्यूमर्स कितना बिजली इस्तेमाल कर रहा है इसका हर आधे घंटे का ब्योरा अधिकारियों को अवेलबल हो सकेगा। यानि, हर आधे घंटे के अंतराल का रिकॉर्ड अधिकारियों को इस इंस्ट्रूमेंट के माध्यम से मिलेगा। यदि, कंज्यूमर्स के यहां इस बीच निर्धारित किलोवॉट की अपेक्षा बिजली का इस्तेमाल अधिक होते हुए पाया जाएगा तो, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

ख्0 साल के लिए रिकॉर्ड सेफ

इस नए सिस्टम से विभाग को रिकॉर्ड मेंटेन करना काफी आसान होगा। अधिकारियों की मानें तो, एमआरआई एक ऐसा सिस्टम है जिसके जरिए क्ख् महीने का डेटा एक साथ सेव हो सकेगा। वो भी एक दो साल के लिए नहीं बल्कि, पूरे ख्0 साल के लिए। यानि, इस दौरान किसी भी वक्त जरूरत पड़ने पर रिकॉर्ड आसानी से खंगाला जा सकता है.यह सारी व्यवस्था दो कारणों से की गई है एक है डिमांड और सप्लाई दूसरा सबसे बड़ा कारण है पॉवर फैक्टर।

रीडिंग की झंझट नहीं

यहीं नहीं ऐसे कंज्यूमर्स के यहां जाकर मीटर रीडिंग करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। बिजली मीटर में मॉडम और एक स्पेशल सिम लगाए जाने का काम पूरा हो चुका है। इसके जरिए ऑटोमेटिक मीटर रीडिंग होगी। मॉडम और सिम की कनेक्टिविटी को एचसीएल के सिस्टम से जोड़ा गया है। फिलहाल जिन कंज्यूमर्स ने ख्भ् किलोवॉट से ऊपर का बिजली कनेक्शन ले रखा है सबसे पहले उनको ही इन सिस्टम से जोड़ने का काम किया गया है। आने वाले दिनों में बाकी कंज्यूमर्स को भी इस कैटेगरी में लाये जाने का काम किया जाएगा।

प्रॉपर होगी मॉनीटरिंग

बिजली विभाग के चीफ, एसई और एक्सईएन सभी की इस बात पर पैनी नजर होगी। एचसीएल के सिस्टम से जुड़े होने के कारण पूरे महीने का सारा डाटा फॉरवर्ड होता रहेगा। जिसके कारण अधिकारी ऑफिस में बैठे-बैठे ही मीटर रीडिंग की मॉनीटरिंग कर सकेंगे। पूरे महीने की मीटर रीडिंग विभाग को ऑफिस में मिलेगा। फिर रीडिंग का ब्यौरा निकाल कर रिलेटेड कंज्यूमर्स को बिजली बिल जमा करने के लिए भेजा जाएगा।

नहीं होगा ह्यूमन एरर

इस व्यवस्था से एक बड़ा फायदा यह होगा कि, ह्यूमन एरर जैसी समस्या से राहत मिलेगी। नहीं तो अभी तक, हाथ से मीटर रीडिंग करने और फाइलों में रिकॉर्ड मेंटेन करने से काफी प्रॉब्लम्स होती थी। पूरे साल कर रिकॉर्ड ख्0 साल तक मेंटेन करना टेंशन भरा था। लेकिन, अब इन तमाम टेंशन से अधिकारियों ने राहत की सांस ली है। वहीं कंज्यूमर्स को उल्टी सीधी मीटर रीडिंग और अन्य गड़बडि़यों को लेकर परेशान नहीं होना पड़ेगा। इससे न सिर्फ विभाग को बल्कि, कंज्यूमर्स को भी राहत मिलेगी।

अच्छी-खासी है कंज्यूमर्स की संख्या

शहर में बड़े कंज्यूमर्स की संख्या कम नहीं है। क्0 से ख्ब् किलोवॉट तक टोटल कंज्यूमर की संख्या क्77ब् है। जबकि, ख्भ् किलोवॉट से उपर वाले कंज्यूमर्स की संख्या ब्ब्7 है। इन सभी को एमआरआई से जोड़ने का काम पूरा हो चुका है।

यह सारी व्यवस्था पॉवर फैक्टर को देखते हुए किया गया है। इससे बिजली की काफी हद तक बचत होगी। यहीं नहीं, कई सालों का डाटा सिस्टम में सेव होने से भविष्य में होने वाली समस्याओं से भी निजात मिलेगी।

एनके श्रीवास्तव, एसई, बिजली विभाग