करीब ढाई घंटे तक जिरह के बाद किसी नतीजे पर पहुंचे मुफ्ती-ए-कराम

आज सुब्हानी मियां को बंद लिफाफे में सौपेंगे फैसला, एक-दो दिन बाद सुनाया जाएगा फैसला

>BAREILLY: मौलाना तौकीर रजा के देवबंद जाने पर खानदान हुए में विवाद पर फैसला सैटरडे को मुफ्ती-ए-कराम के पैनल ने ले लिया है। हालांकि ये फैसला सुनाया नहीं गया। एक मुफ्ती इस फैसले को लिखकर संडे को दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां को सौंपेंगे। इसके बाद तमाम मुफ्ती-ए-कराम और आलिमों की तस्दीकी दस्तख्त (प्रमाणित हस्ताक्षर) होगी। फिर तौकीर रजा की मौजूदगी में फैसला सुनाया जाएगा और अवाम में फैसले का ऐलान होगा।

मुफ्तियों के पैनल ने की सुनवाई

सैटरडे को मुफ्ती-ए-कराम का पैनल जिसमें मुफ्ती मो। आजम नूरी, मुफ्ती मो। सालेह, मुफ्ती मो। शमशाद हुसैन रजवी बदायूंनी, काजी शहर बहेड़ी अल्लामा मुख्तार अहमद कादरी, मुफ्ती सगीर अहमद जोखनपुरी, मुफ्ती मो। हनीफ खां रजवी और मुफ्ती सगीर अख्तर बरेलवी का पैनल दरगाह प्रमुख सुब्हान रजा खां (सुब्हानी मियां) के ड्राइंग रूम में इकट्ठा हुआ। इसके बाद मौलाना तौकीर रजा को भी बुलाया गया। सबसे पहले सुब्हानी मियां मुफ्तियों ने पैनल से कहा कि आप लोग कुरान और हदीस की रौशनी में जो फैसला है, उसे करें। आप पर किसी तरह का दबाव नहीं है। जिसकी तौकीर रजा ने ताईद (हिमायत) की और फिर तौकीर रजा ने अपना पक्ष रखा।

सुनवाई के दौर हुई जिरह

जैसा कि मुफ्ती सलीम नूरी ने बताया मुफ्ती-ए-कराम इससे पहले सुनवाई करते मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि 'आप लोगों का जो फैसला होगा। मैं मानूंगा। मैं अपने मसलक, मजहब और बुजुर्गो से बाहर नही हूं.' इसके बाद तौकीर रजा पर लगे इल्जाम क्या-क्या हैं, इसपर चर्चा हुई। फिर तौकीर मियां ने अपना पक्ष सुनाया। उनके पक्ष पर पैनल ने करीब ढाई घंटे जिरह किया और क्रास क्वेश्चंस भी हुए। इसके बाद मौलाना तौकीर रजा को वहां से भेज दिया गया।

लिफाफे में दरगाह अाएगा फैसला

मुफ्तियों का पैनल ने इसके बाद अलग बैठा और फैसला किया। तय हुआ कि संडे को मुफ्ती मो। आजम नूरी फैसला लिखकर सुब्हानी मियां को सौंपेंगे और तस्दीकी दस्तख्त के लिए फैसला दारूल इस्का (जहां से फतवा जारी होता है) वहां आएगा। फिर तमाम मुफ्ती और आलिम इसपर तस्दीकी दस्तख्त करेंगे। जिसके बाद मौलाना तौकीर रजा को बुलाकर उनके सामने फैसला सुनाया जाएगा और अवाम में इसे आम किया जाएगा।