-मान्यता के मानक तक तक पूरे नहीं, बना दिये बोर्ड सेंटर

-सेंटर बने तीन स्कूलों को मान्यता के मानक पूरे करने के लिए दिये गए नोटिस

BAREILLY: हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के बोर्ड एग्जाम में इस साल करीब फ्म्00 स्टूडेंट्स खुले आसमान के नीचे बैठ कर परीक्षाएं देंगे। क्योंकि कुछ ऐसे स्कूलों को सेंटर बनाया गया है, जिनके पास न तो पर्याप्त कमरें हैं और न ही फर्नीचर। बरेली में एग्जाम सेंटर बने कुल क्ख्ब् स्कूलों में से तीन ऐसे स्कूल हैं जो मान्यता के मानकों पर खरा नहीं उतरते हैं।

कमरे और फर्नीचर का अभाव

बोर्ड एग्जाम ख्0क्ब्-क्भ् के लिए सेंटर बने तीन स्कूलों में न तो भवन सुरक्षित हैं, न पर्याप्त कमरे और न ही परीक्षार्थियों के बैठने के लिए पर्याप्त फर्नीचर। ये सच बोर्ड परीक्षा के क्षेत्रीय कार्यालय से अक्टूबर में मान्यता संबंधी जारी हुए एक नोटिस से निकल कर आई है। नोटिस जारी हुए स्कूलों में भारत सेवक समाज इंटर कॉलेज रजपुरी नवादा, आनंद भूषण इंटर कॉलेज मुडि़या नवीवक्श बहेड़ी, साहू ठाकुर दास इंटर कॉलेज धौरा है। ऐसे में यहां एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इन तीनों स्कूलों को हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के लिए सेंटर बनाएं गए हैं और प्रत्येक सेंटर पर करीब क्ख्00 छात्र परीक्षा देंगे।

नोटिस में कई बिन्दुओं पर सवाल

इन तीनों सेंटर्स को मान्यता के मानक पूरे नहीं होने के कारण डीआईओएस की ओर से जल्द से जल्द मानक पूरे करने का नोटिस भेजा गया था। भारत सेवक समाज इंटर कॉलेज को मानक के अनुसार 8 गुणा म् मीटर के कुल क्ख् कक्षाएं कम होने के लिए नोटिस जारी हुआ था। वहीं आनंद भूषण मेमोरियल इंटर कॉलेज बहेड़ी में मानक के अनुसार 8 गुणा म् मीटर माप के नौ और 9 गुणा म् मीटर माप की कुल दस कमरों की कमी बताई गई है। इसके अलावा इन दोनों कॉलेजों में पर्याप्त बैठने की व्यवस्था न होने की बात भी कही गई है। वहीं साहू ठाकुर दास इंटर कॉलेज की स्कूल बिल्डिंग मानक पर खरा नहीं उतरने की बात आई थी।

अपूर्ण मानकों से वाकिफ हैं डीआईओएस

क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से मानक पूरे न किये जाने को लेकर सात स्कूलों को नोटिस भेजा गया था। इन सात में से तीन स्कूलों को एग्जाम सेंटर बनाया गया है। इस संदर्भ में जिला विद्यालय निरीक्षक आशुतोष भारद्वाज का कहना है कि क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा जारी नोटिस का जवाब किसी भी स्कूल ने अभी तक डीआईओएस दफ्तर को नहीं भेजा है। ऐसे में सवाल उठता है कि डीआईओएस ने कैसे इन अपूर्ण मानकों वाले स्कूलों को परीक्षा सेंटर बना दिया। लेकिन इस सवाल पर ये आगे जांच कराने की बात कह पल्ला झाड़ रहे हैं।