-सूर्योदय से पहले ही जलाशय में खड़ी रहीं व्रती महिलाएं

BAREILLY: लोक आस्था के महापर्व छठ पर व्रती महिलाओं ने उदयाचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देकर छठ मईया को विदाई दी। सूर्योदय से पहले ही महिलाओं ने जलाशय में खड़े होकर सूर्य भगवान की उपासना की। लगभग दो घंटे तक पानी में खड़ी इन व्रतियों की तपस्या इस पर्व की महत्ता के लिए काफी है। सुबह सात बजे भगवान सूर्य के दर्शन पाकर व्रती महिलाओं ने अपने पति व बेटों के साथ सूर्य को अ‌र्घ्य देकर अपना निर्जला व्रत संपन्न ि1कया।

अटूट श्रद्धा ने बिखेरी छठ की अदभुत छटा

चार दिन चलने वाले छठ के अंतिम दिन बिहार और पूर्वांचल के परिवारों ने ढोल नगाड़े के साथ छठ मइया को विदाई दी। हर कोई छठ के लोकगीतों पर झूमता, अपने दोस्तों के साथ डोली बनाकर नाचता नजर आया। यूनिवर्सिटी स्थित शिव मंदिर, इज्जतनगर स्थित नाथ मंदिर, कैंट स्थित धोपेश्वर नाथ मंदिर व रामगंगा घाट पर व्रतीयों ने भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। इसके बाद व्रती महिलाओं ने अपने पतियों के साथ प्रसाद ग्रहण कर निर्जल व्रत संपन्न किया। इस मौके पर पत्नी सावित्री संग राजेंद्र, राधा अमित, आशी देवेंद्र, राधा राकेश आदि दंपतियों ने साथ में प्रसाद ग्रहण किया।

साथ-साथ व्रत रखा शमार् दंपति ने

छठ का व्रत सामान्यता परिवार की महिलाएं ही लेती हैं, लेकिन ग्रीन पार्क कॉलोनी में रहने वाले दंपति ने साथ-साथ छठ पूजा मनाया। सरदार शर्मा ने इस साल पहली बार अपनी पत्नी माया देवी के संग छठ का व्रत रखा। सरदार सिंह कहते हैं कि परिवार की सुख समृद्धि के लिए हर साल पत्नी ये व्रत करती आयी है। अबकी बार हमने भी इसमें हिस्सेदारी करने का मन बनाया, इसलिए व्रत रखा है।

दीवाली शुरू होते ही त्योहारों की लड़ी लग जाती है। लेकिन हमें छठ का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस फेस्टिवल के लिए हम दीवाली से भी ज्यादा तैयारियां करते हैं। हम प्रॉपर्ली बिहार से हैं, छठ पर कोशिश रहती है कि तैयारियां ऐसी हो कि इस त्योहार पर बिहार की छठ जैसा ही समां बंध जाए।

- राखी व रितु

पिछले क्भ् साल से व्रत रख रही हूं। जल कुंड में खड़े हो सूर्य तपस्या व फ्म् घंटे तक निर्जल रहने की ताकत छठ माता दे देती हैं। पूरे मन से व्रत करने पर कोई भी मनोकामना अधूरी नहीं रह सकती।

- ज्योति, व्रती